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प्राकृतिक खेती करते किसानों को फसल में कीटाणु से बचाने के लिए “सोलार प्रकाश पिंजर” प्रोजेक्ट बना वरदान

रासायनिक खाद या कीटनाशक छिड़काव के बिना ही चुसिया प्रकार के कीटाणु को किया जा सकता है नष्ट:-
 बच्चों ने बुनियादी शिक्षा से ही प्राकृतिक खेती का पाठ सीखना शुरू कर दिया, रोहिना आश्रमशाला के दो बाल वैज्ञानिकों ने तैयार किया एक प्रोजेक्ट:-
स्टार मीडिया न्यूज 
वलसाड जिला। जैविक खेती आज के समय की मांग है। यदि कोई स्वस्थ जीवन जीना चाहता है तो जैविक खेती के उत्पाद को सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। नये-नये आइडिया भी किसानों के काम आ रहे हैं, जिससे किसान आसानी से प्राकृतिक खेती कर सकें। अब तो अगली पीढ़ी को भी प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए उन्हें प्राथमिक शिक्षा में ही प्राकृतिक खेती का पाठ पढ़ाया जा रहा है। वलसाड जिला के पारडी तालुका के रोहिना गांव के आश्रमशाला के बाल वैज्ञानिकों ने जैविक खेती करने वाले किसानों की मदद के लिए बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में सोलार प्रकाश पिंजर प्रोजेक्ट प्रस्तुत कर किसानों के लिए मदद रूप बने हैं। प्राकृतिक खेती के पांच आयामों के आधार पर अब गांव-गांव किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इस खेती में जहरीले रासायनिक उर्वरकों के छिड़काव की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन फिर भी कृषि फसलों में कीट पाए जाते हैं। इसे रोकने के लिए किसान कीटनाशकों का छिड़काव कर फसल और मिट्टी दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं। अब इन परिस्थितियों में पारडी तालुका के रोहिना आश्रमशाला की कक्षा 7 वीं की छात्रा प्रवीणा धवणुभाई वाघमार्या व कक्षा 8वीं की छात्रा जास्मीनी दलुभाई गायकवाड़ ने शिक्षक सतीशभाई बी. पटेल के मार्गदर्शन में जैविक खेती करने वाले किसानों की मदद के लिए सोलार प्रकाश पिंजर प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसकी जानकारी देते हुए दोनों बाल वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्तमान परिवेश के अनुसार फसल में सफेद मक्खी, थ्रिप्स, हरा तोता एवं अन्य प्रकार के कीट पाए जाते हैं। ये सभी कीट फसलों को अत्यधिक नुकसान पहुंचाते हैं। जिस पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। इन सभी कीटों के सटीक नियंत्रण के लिए सोलार प्रकाश पिंजर बहुत उपयोगी है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य किसानों द्वारा अपनी फसलों को कीटों से बचाने के लिए उपयोग किए जाने वाले जहरीले रासायनिक स्प्रे के उपयोग को कम करना है। जिससे किसानों का आर्थिक बोझ भी कम होता है। इसके साथ ही मिट्टी और फसलों को भी नुकसान नहीं होता है। इस प्रकार, वास्तव में, सोलार प्रकाश पिंजर जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए एक वरदान हैं।
किसान कैसे बना सकते हैं सोलार प्रकाश पिंजर:-
 सोलार प्रकाश पिंजर बनाने के तरीके पर बाल वैज्ञानिक प्रवीणा वाघमारीया और जास्मीनी गायकवाड़ का कहना है कि सोलार प्रकाश पिंजर में सोलार से चलने वाले दो पीले रंग के बल्ब लगाए जाते हैं। इस बल्ब के नीचे एक चिपचिपा रसायन रखा रहता है। जब बल्ब चालू किया जाता है, तो बल्ब की रोशनी के आकर्षण के कारण खेत में मौजूद कीड़े उस पर बैठ जाते हैं और चिपचिपे रसायन के संपर्क में आने से मर जाते हैं।
सोलार प्रकाश पिंजर की उपयोगिता:-
सोलार प्रकाश पिंजर की व्यावहारिक उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए दोनों बाल वैज्ञानिक आगे बताते हैं कि सोलार प्रकाश पिंजर के उपयोग से फसलों में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करना पड़ता है। फसल में कोई अन्य दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। सस्ता एवं आसान कीट नियंत्रण किया जा सकता है। किसानों को महंगी रासायनिक खाद छिड़कने से मुक्ति मिल गई है। सोलार प्रकाश पिंजर वाटरप्रूफ है। इसलिए पानी पड़ने पर भी यह खराब नहीं होता है। इसे चालू या बंद करने की कोई जरूरत नहीं है।

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