नई सियासी चर्चा को मिला बल
मीरा-भायंदर. महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मीरा-भायंदर सीट से भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार नरेंद्र मेहता के विरूद्ध बगावत का झंडा बुलंद कर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी जंग में उतरी पूर्व
महापौर न सिर्फ भाजपा के परंपरागत मतदाताओं, अपितु भाजपा के साथ महायुति की प्रमुख सहयोगी शिवसेना में भी सेंध लगाने की रणनीति में जुट गई हैं. गीता जैन के नामांकन रैली में शिवसेना के कई नगरसेवकों के शामिल होने के बाद शिवसैनिकों तथा गीता जैन की नजदीकी एक बार फिर बुधवार को नजर आई. मौका था मीरा-भायंदर विधानसभा क्षेत्र के प्रथम विधायक गिल्बर्ट मेंडोसा के जन्मदिन का. मेंडोसा के जन्मदिन पर बधाई देने के लिए उनके शुभचिंतकों के उमडे हुजूम ने यह दिखा दिया कि मीरा-भायंदर का टायगर अब भी जिंदा है. बधाई देने के लिए शिवसेना सांसद राजन विचारे, विधायक प्रताप सरनाईक, पूर्व महापौर गीता भरत जैन, भवन निर्माता भरत मीठालाल जैन, शिवसेना के जिलाप्रमुख प्रभाकर म्हात्रे, ठाणे उपजिलाप्रमुख विक्रम प्रताप सिंह, युवा शहर संगठक सलमान हाशमी, उत्तर भारतीय जिला संपर्क प्रमुख सुरेश दुबे समेत तमाम नगरसेवक, कारोबारी, समाजसेवी भी पहुंचे. पूर्व विधायक गिल्बर्ट मेंडोसा ने सांसद राजन विचारे तथा तमाम शिवसैनिकों के बीच जिस गर्मजोशी से भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मेहता के विरूद्ध बगावत का बिगुल बजाकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी जंग में उतरी गीता भरत जैन का जिस गर्मजोशी से स्वागत किया, उसने नए सियासी चर्चा का रूप धारण कर लिया है. बतादें कि शहर के शेठ कहे जाने वाले गिल्बर्ट मेंडोसा भले ही पिछले कुछ समय से सियासी सक्रियता से दूर हों, लेकिन उनके समर्थकों की तादाद अब भी वही है.
लोग आज भी उनका उतना ही सम्मान करते हैं. राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा-शिवसेना के आपसी रिश्ते सदैव से स्थानीय स्तर पर बनते-बिगडते रहे हैं. चुनाव में महायुति भले ही हो, लेकिन मीरा-भायंदर में शिवसेना भाजपा महायुति के उम्मीदवार नरेंद्र मेहता के प्रति फिलहाल असहयोगात्म रूख अख्तियार किए हुए है. ऐसे में यदि गिल्बर्ट मेंडोसा का आशीर्वाद, जो फिलहाल शिवसेना में हैं, का आशीर्वाद यदि गीता जैन को मिल गया तो भाजपा को अपना गढ बचाने में भारी जद्दोजहद करनी पड़ सकती है.