नरेंद्र मेहता के समक्ष गढ बचाने की चुनौती, गीता जैन बन रहीं पहली पसंद
मीरा-भायंदर. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तिथि जैसे-जैसे समीप आती जा रही है, वैसे-वैसे मुंबई से सटी मीरा-भायंदर विधानसभा सीट पर मुकाबला रोचक बनता जा रहा है. इस सीट से इस बार भाजपा से पूर्व महापौर तथा वरिष्ठ नगरसेविका गीता भरत जैन ने टिकट की प्रबल दावेदारी की थी. इसके लिए उन्होंने महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक लाबिंग की, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने एक बार फिर से विधायक नरेंद्र मेहता पर भरोसा जताते हुए पहली ही सूची में उनकी उम्मीदवारी पर मुहर लगा दी, लिहाजा चुनाव लड़ने पर किसी भी सूरत में अटल गीता जैन ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी समर में ताल ठोंक दी है. विदित हो कि वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भी गीता भरत जैन ने भाजपा से मीरा-भायंदर विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने नरेंद्र मेहता को टिकट दिया और वे राकांपा के कद्दावर विधायक गिल्बर्ट मेंडोसा को पराजित कर विधायक निर्वाचित हुए.
गीता जैन को बाद में मेहता ने मीरा-भायंदर मनपा की महापौर बना दिया. महापौर बनने के बावजूद गीता जैन इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी रहीं, और इस चुनाव में पार्टी द्वारा टिकट न मिलने पर निर्दलीय ही चुनावी समर में उतर पड़ी हैं. हिंदीभाषी बाहुल्य वाली मीरा-भायंदर सीट पर चुनाव की घोषणा से पूर्व एकतरफा जीत का दावा करने वाले भाजपाई निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरी गीता भरत जैन को मिल रहे अपार जनसमर्थन से सकते में हैं, और भाजपा का गढ बचाने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगाने को विवश हो गए हैं. बनते-बिगडते रिश्तों के बीच इस चुनाव में जहां महायुति की प्रमुख सहयोगी शिवसेना दिल से इस सीट से भाजपा के साथ खडी नहीं दिख रही है, वहीं दूसरी ओर विधायक नरेंद्र मेहता की तानाशाही से त्रस्त भाजपा के कई पदाधिकारी और असंतुष्ट नगरसेवक, बिल्डरलाबी, कारोबारी समेत बड़ी तादाद में शहरवासी इस बार नरेंद्र मेहता को जमीन दिखाने का तानाबाना बुन रहे हैं, जो भाजपा के लिए बड़ी समस्या का रूप धारण कर सकता है. सूत्रों की मानें तो स्थानीय सट्टा बाजार में गीता जैन फिलहाल पहली पसंद बताई जा रही हैं.