मीरा-भायंदर. शहर में बढ़ती आबादी के साथ फेरीवालों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. वर्तमान सत्ताधारी भाजपा की भ्रष्ट नीतियों के कारण फेरीवाले शहर की एक बड़ी समस्या बन गए हैं.
सत्ताधारी भाजपा ठेकेदार के माध्यम से फेरीवालों से अवैध वसूली के व्यापार में लगी हुई है. फेरीवालों की संख्या और समस्या का अंदाजा इससे भी आसानी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2014 तक में जहां फेरीवालों से शुल्क वसूली का टेंडर 1 करोड़ रुपये था वही आज वह 8 करोड़ रुपए हो गया है. इसमें गौर करने वाली बात यह है कि शुल्क वसूली भले 8 गुना बढ़ी है, जबकि वास्तव में फेरीवालों की संख्या 10 गुना से ज्यादा बढ़ गयी है. फेरीवालों से अवैध वसूली के चलते सत्ताधारी भाजपा और फेरीवालों के बीच के बीच झड़पें आम बात हो गई है.
यह बातें कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रदेश कार्याध्यक्ष एवं मीरा-भायंदर विधानसभा सीट से कांग्रेस-राकांपा आघाडी के उम्मीदवार मुजफ्फर हुसैन ने कही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने शहर को फेरीवाला मुक्त बनाने के उद्देश्य से आरक्षित जगहों पर ‘सब्जी मंडी’ बनाने का खाका तैयार किया था. आज कई मंडियों की शुरुआत भी हो गयी है, लेकिन उसके बावजूद शहर में फेरीवालों की समस्या कम नहीं हुई है. इसका कारण सत्ताधारियों का लालच और भ्रष्टाचार है. हुसैन ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या आपने गौर किया है कि आरएनपी पार्क, भायंदर पूर्व में सब्जी मंडी का उद्घाटन हुआ, लेकिन क्या सड़कों पर से फेरीवाले कम हुए ? मंगल नगर, मीरारोड पूर्व में सब्जी मंडी का उद्घाटन हुआ लेकिन क्या सड़कों पर से फेरीवाले कम हुए ?
रामदेव पार्क में सब्जी मंडी का उद्घाटन हुआ लेकिन क्या सड़कों पर से फेरीवाले कम हुए? उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दावा करते हैं कि उन्होंने सब्जी मंडियों का निर्माण किया है, लेकिन क्या बीपी रोड, नवघर रोड, केबिन रोड, मीरारोड स्टेशन, भाईंदर स्टेशन, शांति नगर, शांति पार्क, रामदेव पार्क आदि जगहों पर फेरीवाले कम हुए, तो उत्तर है नहीं. इस सबके पीछे सत्ताधारियों का भ्रष्टाचार है. मुजफ्फर हुसैन ने आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ताधारी पुराने और अधिकृत फेरीवालों के बजाय पैसे लेकर नए लोगों को मंडी में जगह दे रहे हैं. सत्ताधारियों का मकसद शहर को फेरीवाला मुक्त करना नही बल्कि अपनी जेबें भरना है. इतना ही नहीं, फेरीवालों के लिए मनपा में स्वतंत्र विभाग होने के बावजूद सत्ताधरियों ने ‘स्पेशल बाउंसर’ का ठेका दिया है. इस पर मनपा मासिक 20 लाख रुपये खर्च करती है. ये ठेका भी जनता की तिजोरी पर लूट का एक तरीका मात्र है. हुसैन ने कहा कि वे फेरीवालों को पर्यायी व्यस्था देने और शहर की सड़कों को फरीवाला मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.