आज कल जहां देखो वहां मोबाइल फोन सार्वजनिक जगहों की शांति का सबसे बड़ा दुश्मन है। मोबाइल का फोन जब किसी की शांति भंग करता है। किसी को भी गुस्सा आना स्वाभाविक है। आसपास वालों के मोबाइल से निकली आवाजें लोगों को डिस्टर्ब करती है और मनचाहा काम करने से रोकती है। किसी को पसंद हो या न हो, लेकिन आजकल हम हर दिन ऐसे ही अनचाहे शोर वाली स्थिति में जी रहे हैं। हमारी चिढ़ के पीछे इस तरह के शोर की बड़ी भूमिका है। इस बात को ध्यान में रखकर सैन फ्रांसिस्को दो दोस्तों ने एक अनूठा प्रयोग ‘साइलेंट बुक क्लब’ के रूप में शुरू किया है और अब तो दुनियाभर में इसके 70 चैप्टर चल रहे हैं। इनमें से एक मुंबई में है और दूसरा दिल्ली में अभी कुछ दिन पहले खुला है। आज हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां अगर वाई-फाई की सुविधा न मिले तो हम उस जगह जाने से बचते हैं। लेकिन इस साइलेंट क्लब के लाउंज में आफिस काल पर भी पाबंदी है। आप यहां एक गरम कैपुचिनो का या ड्रिंक का आर्डर दे सकते हैं, जिसे फटाफट आपकी मन पसंद किताब के साथ पेश कर दिया जाता है। फिर दो घंटे तक आपको कोई परेशान नहीं करता। यहां आपका फोन जरा भी काम नहीं करता। यहां आप ऐसे साइलेंट जोन में होते हैं, जिसका मौन किसी आसपास वाले व्यक्ती को छींक या खांसने से ही टूट सकता है। अन्यथा तो माहौल ऐसा होता है कि आपको पता भी नहीं चलेगा कि आपके आसपास कोई मौजूद है। आज की चूहा दौड़ ऐसी है कि हम किसी सार्वजनिक जगह पर शांति से बैठकर पढ़ भी नहीं पाते, क्योंकि आपके आसपास वाले मोबाइल पर नेटफिलक्स या अमेजन प्राइम के वीडियो चलायेंगे या अगर आप घर में हैं तो डोर बजती रहेगी। आज की दुनिया में जहां बहुत से लोग बिना स्मार्ट फोन के जीने की कल्पना नहीं कर सकते।
मोबाइल का फोन जब किसी की शांति भंग करता है तो गुस्सा आना स्वाभाविक है
निंबाराम के पुरोहित
उपसंपादक – स्टार मीडिया न्यूज़
मोबाइल फोन की बातें कभी न खत्म होने वाली बाते हैं। खाने के टेबल भी नौजवान पूरी तरह से मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं। वे दाएं से खाना खाते हैं तो बायें हाथ से लगातार मोबाइल पर स्क्रालिंग कर रहे होते हैं। ये वो युवा पीढ़ी है जो अपने गार्डन में वाकिंग की जगह अपने पर सैकड़ों किलोमीटर की स्क्रालिंग कर सकते हैं और इसलिए वे अपने आसपास मौजूद संभावनाओं के देखने में चूक जाते हैं। इंटरनेशनल डेटा कार्पोरेशन यानी आईडीसी, एशिया पेसिफिक के तिमाही मोबाइल फोन ट्रेकर के मुताबिक 2019 की दूसरी तिमाही के दौरान भारत में कुल 69.3 करोड़ मोबाइल फोन मंगाए गए जो कि पिछली तिमाही की तुलना में 7.6% ज्यादा हैं । ऐसे में जहां अच्छा प्रदर्शन न करने वाले कुछ क्षेत्रों में नौकरियां जा रही हैं तो कुछ अन्य क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही है। जहां लोग पैसा खर्च करने को तैयार हैं और यहां तक कि ‘फोल्डिंग बंडर’ जैसा मोबाइल फोन भी खरीदने की इच्छा रखते हैं। जिसकी कीमत 1,64,999 रूपए है। आज मंदी की चर्चा करने वाले नौजवान भी उन चीजों में पैसा डालने को तैयार बैठे हैं जो सस्ती नहीं मिलती।
हमारे देश में अहमदाबाद के वस्त्रापुर में एक पुलिस स्टेशन है, अगर आप इस पुलिस स्टेशन में जाएं और अपने गुम हुए मोबाइल फोन की शिकायत दर्ज कराएं तो आपका मोबाइल कुछ ही देर में मिल जायेगा। वस्त्रापुर पुलिस स्टेशन के अफसरों ने जब देखा कि लोग मोबाइल फोन गुम होने की कई शिकायतें लेकर बड़ी उम्मीद के साथ यहां आते हैं। इसलिए उन्होंने पुलिस विभाग की क्राइम ब्रांच से एक विशेष सॉफ्टवेयर बनवाया। इस टेक्नोलॉजी से पुलिस ने पिछले छह महीनों में 25 मोबाइल फोन जो गुम हो गए थे, वो ढूंढ निकाले हैं। आज सारी दुनिया दुनिया में वाट्सअप पर प्रतिदन 6500 करोड़ मैसेज भेजे जाते हैं। यही कारण है कि हररोज फेसबुक पर 1000 टीबी डेटा क्रिएट हो रहा है, जबकि ट्विटर पर 50 करोड़ ट्वीट और 294 अरब ईमेल रोज भेजे जाते हैं। बाकी के सोशल प्लेटफॉर्म पर भी इतना ही ज्यादा डेटा है। यहां तक की 2025 तक अनुमान है कि दुनिया भर में प्रतिदिन करीब 463 एक्साबाइट (ईबी) डेटा पैदा होगा। अगर हम इतने डेटा के साइज की कल्पना करें तो यह प्रतिदन करीब 22 करोड़ डीवीडी के जितना है। आज कई तरह का एनालिसिस करके गुगल और फेसबुक कंपनियां सबसे ज्यादा कमाई कर रही हैं। असल में यह डेटा एक तेल के विशाल कुएं जैसा है, जितना आप खोदेंगे, उतनी ही स्पष्ट सूचनाएं आपके लगेंगी, जिन्हें आप बेचकर पैसा कमा सकते हैं।