बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह देना वाणी की एक कला है और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार इस कला के मंजे हुये खिलाड़ी हैं। बीते बुधवार को नागपुर में उन्होंने कहा कि देश को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विकल्प की जरूरत है, जो देश में ‘टिक’ सके। राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी गठबंधन बनने की संभावनाओं के सवाल पर पवार ने मीडिया से कहा कि इस तरह के संकेत हैं कि देश के कुछ हिस्सों में भाजपा विरोधी भावनाएं उमड़ रही हैं। लोगों को ऐसे बदलाव के लिए विकल्प की जरूरत है और ऐसे विकल्प को देश में टिकना होगा। आखिर पवार किस टिकाऊ विकल्प की बात कर रहे थे? दरअसल पवार के बयान से एक दिन पहले ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि उन्होंने दक्षिण कोरिया की यात्रा के दौरान वहां के प्रधानमंत्री ली नाक-योन से मुलाकात की थी। राहुल गांधी की दक्षिण कोरिया की यात्रा ऐसे समय में हुई जब भारत में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर प्रदर्शन हो रहे थे। जाहिर है बिना नाम लिए पवार ने राहुल को उनकी भूमिका की याद दिला दी। पवार ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विपक्ष के नेताओं की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात को लक्षित कर कहा कि ऐसा लगता है कि गैर-भाजपा दल कुछ समान मुद्दों पर साथ आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का मुकाबला करने के लिहाज से एक अधिक ‘संगठित ढांचा’ बनाने के लिए इन दलों को थोड़ा और वक्त चाहिए। नागरिकता संशोधन कानून पर बढ़ते विरोध के बारे में पूछे जाने पर पवार बोले कि ऐसी उम्मीद थी कि अशांति कुछ राज्यों तक सीमित रहेगी। भाजपा की इस आंकाक्षा के विपरीत कि कुछ राज्यों में नए कानून का स्वागत किया जाएगा, उसके शासन वाले असम में भी अधिनियम का विरोध हो रहा है।