9.7 C
New York
Sunday, Jun 4, 2023
Star Media News
Breaking News
Uncategorized

डॉ धर्मवीर भारतीय को भारत रत्न दिए जाने की मांग

डॉ.धर्मवीर भारती को भारत रत्न दिये जाने की मांग

मुंबई. २५ दिसंबर। पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान द्वारा यहां विरुंगला केंद्र, मीरा रोड में आयोजित साहित्यकारों, पत्रकारों और रचनाधर्मियों की एक सभा ने हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार, पत्रकार और सामाजिक विचारक डॉ. धर्मवीर भारती को भारत रत्न दिये जाने की मांग की है।

सभा में इस आशय का प्रस्ताव रखते हुए महाराष्ट्र के पूर्व नगरविकास राज्य मंत्री श्री चंद्रकांत त्रिपाठी ने कहा, “ स्वातंत्र्योत्तर भारत के नव निर्माण काल में जब साहित्य, कला, संस्कृति, सिनेमा,आदि सभी नये आकार ले रहे थे, और सामाजिक-आर्थिक सोच भी पुनर्नवा हो रही थी, तब,डॉ.धर्मवीर भारती भारत और भारतीयता के प्रबल पैरवीकार होकर उभरे। उन्होंने सृजन और रचनाधर्म को भारतीय संस्कृति और सभ्यता से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया। परिवर्तन के उस दौर में उन्होंने लोक और सृजन के बीच बहुत सुन्दर और जिम्मेदारी भरा तालमेल बनाया। अंधायुग और कनुप्रिया तो उसके उदहारण हैं ही, उनके संपादन में निकलनेवाली साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग ने भी सातवें , आठवें और नौवें पूरे तीन दशक तक भारतीय समाज के मध्यवर्ग को मूल्य और मानक दिये। डॉ. भारती और धर्मयुग ने भारतीय भाषाओं को जोड़ने, उनके बीच सम्बन्ध और सहयोग बनाने और भारतीय वांग्मय को समृद्ध और समुन्नत करने का भी बहुत सराहनीय काम किया। रचनाकार के साथ-साथ वे बहुत सुधी सामाजिक विचारक भी थे। उन्हें भारत रत्न देना रचनाकर्म में भारत और भारतीयता को प्रतिष्ठित करना होगा।”

सभा ने इस प्रस्र्ताव का करतल ध्वनि से समर्थन किया। पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान द्वारा यह प्रस्ताव जल्द ही माननीय प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को विचार के लिए भेजा जायेगा।

पूर्वांचल विकास प्रर्तिष्ठान द्वारा यह सभा डॉ. भारती के जन्मदिन २५ दिसंबर को भारतीय भाषा स्वाभिमान और सम्पृक्ति दिवस के रूप में मनाने के लिए बुलाई गयी थी। २५ दिसंबर को भारतीय भाषा स्वाभिमान और सम्पृक्ति दिवस घोषित करना भारतीय भाषाओँ को मज़बूत करने, उन्हें जोड़ने और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मुहिम का एक हिस्सा है।

भारतीय भाषाओँ को मज़बूत करने और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की वर्तमान चर्चाओं की सूत्रधार, प्रख्यात लेखिका श्रीमती पुष्पा भारती ने कहा कि जिन लोगों ने देश पर अंग्रेजी लाद दिया है, उन्होंने भारतीय भाषाओँ और सामान्य जन के साथ गहरी नाइंसाफी की है। अंग्रेज सबसे पहले मद्रास में आये। फिर कोलकाता में। हिंदी विरोध की आवाजें वहीं से उठती हैं, जहां अँग्रेज़परस्ती ने किसी न किसी रूप में अपनी जड़ें जमा ली थीं। अंग्रेजी को बनाये रखने या न बनाये रखने की बात राज्यों के ऊपर छोड़ देना गलत था। उन्होंने अज्ञेय जी के हवाले से कहा कि देश को राजनीतिक आज़ादी तो मिली, लेकिन देश भाषायी रूप से गुलाम हो गया। इस गुलामी से देश को अब मुक्त होना चाहिए।

सभा में भारती जी और धर्मयुग का बहुत आदर से स्मरण किया गया। श्री हृदयेश मयंक, श्री सुमंत मिश्र, श्री धीरेन्द्र अस्थाना, श्री हरि मृदुल, श्री आबिद सुरती, श्री कैलाश सेंगर, श्री रमन मिश्र ने याद किया कि धर्मयुग ने लगभग तीस साल कैसे सामान्य जन के जीवन को सुधारा और समृद्ध किया। सभा अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार श्री मनमोहन सरल ने बताया कि उन्होने रूसी विद्वान श्री पीटर बारानिकोव की मेज पर भी धर्मयुग की प्रतियां सजा कर रखी गयी देखीं।

श्री विनोद दुबे और श्री राज शेखर ने भारती जी की रचनाओं के पाठ किये। श्री रमन मिश्र ने सञ्चालन और श्री अमर त्रिपाठी ने कार्यक्रम का बहुत सुन्दर संयोजन किया। पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान की ओर से श्री ओम प्रकाश ने अतिथियों का स्वागत और स्वर संगम की ओर से श्री हृदयेश मयंक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

२५ दिसंबर महामना पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी और महामना मदन मोहन मालवीय जी का भी जन्मदिन है। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए गये उनके प्रयत्नों को लेकर सभा ने उनके प्रति गहरी कृतज्ञता जताई। सभा ने धर्मयुग परिवार के सदस्य रहे श्री अनुराग चतुर्वेदी के पिता श्री नन्द चतुर्वेदी को आदरांजलि, और हाल में ही एक दुर्घटना में मृत लेखक श्री गंगा प्रसाद विमल को बहुत भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

Related posts

Actress Monika Chaudhary Latest Photo-Shoot

cradmin

A major setback to the Shiv Sena 300 activists including 26 corporators resigned from the party

cradmin

छाले – पं. अजय भट्टाचार्य

cradmin

Leave a Comment