वलसाड जिला का नैसर्गिक सौंदर्य चीचोझर के शिवधोध का अनोखा आकर्षण.
झरने की धाराओं के पीछे से प्रकृति का आनंद लेने का एक और फायदा ‘शिवधोध’ है.
धरमपुर. वलसाड जिला सह्याद्री पर्वत श्रृंखला से घिरा एक वनाच्छादित जिला है. पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित धरमपुर तालुका मानसून के मौसम में फलता-फूलता है. हरी-भरी वनस्पतियाँ एक सुंदर दृश्य बनाती हैं मानों पहाड़ हरी चादर से ढके हों. धरमपुर तालुका में जिसकी अनुमानित वर्षा 100 इंच से अधिक है, जैसे ही मानसून का मौसम शुरू होता है, कई जगहों पर झरने बहने लगते हैं. कुछ बड़े झरने बहने लगते हैं तो कुछ झरनें धोध का स्वरूप धारण कर लेते हैं. प्रकृति की सुंदरता में और इजाफा करते हुए ऐसे झरनों को देखने का सौभाग्य ही कुछ और है. ऐसे ही एक अनोखे (धोध) जलप्रपात की बात कर रहे हैं.
धरमपुर तालुका के चीचोझर गांव की पहाड़ियों में स्थित बहुत ही खूबसूरत ‘शिवधोध’ कई अन्य झरनों से अलग बहता है. धरमपुर से मात्र 13 किमी की दूरी पर प्रकृति की निकटता में स्थित चीचोझर का शिवधोध आनंद लेने योग्य है. शिवधोध को करीब से देखने के लिए 250 से 300 मीटर की रोमांचक चढ़ाई के बाद आपको झरने का मनोरम दृश्य दिखाई देगा. इस झरने की खास विशेषता व अद्भुत नजारा झरने के पीछे की ‘खाड़ी’. इसलिए इस शिवधोध को स्थानीय कुंकणा जनजाति द्वारा अपनी बोली में ‘रणुनी खोरी’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘बाघ की गुफा’. लोककथाओं के अनुसार सालों पहले इस गुफा में बाघ रहते थे. यह खाई इतनी चौड़ी है कि 100 से अधिक लोग झरने के पीछे जा सकते हैं और झरने की धाराओं से सामने हरी-भरी पर्वत श्रृंखला के मनोरम दृश्य का आनंद ले सकते हैं.
शिवधोध की 40 से 45 फीट की ऊंचाई से गिरती धाराओं में स्नान करने का आनंद मिलता है. जलप्रपात की जलधाराएं एक्यूप्रेशर की तरह शरीर की मालिश का अहसास कराती हैं. अगर आप इस शिवधोध का नजारा देखना चाहते हैं तो एक बार यहां जरूर जाएं. धरमपुर-धामणी रोड पर से झरिया से केणवनी जाने वाले चीचोझर के पास जनलभाई बारिया की दुकान से सीधे बायीं ओर जा कर शिवधोध पहुंचा जा सकता है. जब भी आप किसी पर्वतीय वन क्षेत्र में जाते हैं, तो प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान न पहुंचाने के लिए प्लास्टिक के उपयोग से बचना बहुत जरूरी है. जब आप किसी अज्ञात स्थान पर हों तो स्थानीय लोगों से सुरक्षा के लिए पूछकर भौगोलिक स्थिति की जानकारी प्राप्त करें.