संघप्रदेश दमन और आसपास के विस्तारों में श्रध्दा और भक्ति से मनाया गया.उत्तरभारत का पवित्र निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत।
हमारे देश में पूरे वर्ष अनेकों पर्व,व्रत त्योहार धूम धाम से मनाये जाते है। हर राज्य में परंपरागत विविधताओं से परिपूर्ण अनेकों पर्व मनाए जाते है। इसी क्रम में उत्तर भारत के लोग सन्तान की दीर्घायु और कुशलता के लिए आश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका निर्जलाव्रत प्राचीन समय से मनाते हैं। इस व्रत की एक दिन पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है।एक दिन पहले देशी सत्पुतिया की सब्जी,नोनी का साग,देशी मटर इत्यादि की मिश्रित दाल के साथ देशी पुष्टिकारक अनाज मंडुआ(नाजनी) की रोटी खाई जाती है। दूसरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है। व्रत के दिन ही सांयकाल किसी जलाशय,तालाब,नदी या समुद्र तट पर सपरिवार पूजा अर्चना के साथ जीवित्पुत्रिका व्रत कथा का वाचन श्रवण होता है, फिर घर पर आकर विशेष पूजा आयोजित की जाती है।तीसरे दिन सुबह स्नान पूजा के बाद देशी मौसमी सब्जी बंडे की सब्जी,देशी साग और अन्य कई पौष्टिक अनाजों से बने भोजन के साथ पारण करने के साथ व्रत सम्पन्न हो जाता है।
संघ प्रदेश दमण के उत्तर भारत्तीय नागरिकों ने भी परिवार बच्चों के साथ रविवार सायंकाल नानी दमन समुद्रनारायन मंदिर के पास पहुँचकर जीवित्पुत्रिका पूजन और व्रतकथा श्रद्धा भक्ति से मनाया और अपनी संतानों की कुशलता व दीर्घायु के लिए पूजा अर्चना की। दमण के विद्वान पुरोहित श्री हरि ओमजी महाराज ने व्रतधारी महिलाओं और उपस्थित लोगो को जीवित्पुत्रिका व्रतकथा सुनाया,फिर आरती के साथ पूजन संपन्न हुआ।
इस आयोजन में नानी दमन के श्री समुद्रनारायण मंदिर प्रांगण में दमन उत्तरभारतीय सेवा संघ के सदस्यों कृपाशंकर राय,शिवाजी तिवारी,शिवलखन सिंह,अमर यादव,आदित्य मिश्रा इत्यादि ने व्यवस्था में सहयोग किया।