गैरहिंदुओं को गरबा में प्रवेश नहीं दें – हिंदू संगठनों की अपील।
वलसाड जिला विश्व हिंदू परिषद के जिला उपाध्यक्ष नरेन्द्र भाई पायक
कृष्ण कुमार मिश्र,
वापी , गुजरात सहित देश भर में सोमवार से नवरात्रि पर्व शुरू हो गया है। इस उत्सव के दौरान हर रात गरबा खेलने की भी परंपरा है। राज्य भर में कई जगहों पर रात भर गरबा खेला जाता है। गरबा खेलने के लिए बड़ी संख्या में युवक-युवतियां शामिल होते हैं। विभिन्न नवरात्रि उत्सव मंडलों द्वारा बड़े पैमाने पर गरबा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
विश्व हिंदू परिषद सहित अन्य हिंदू धार्मिक संगठनों के वरिष्ठों ने समाज में समय के साथ कुछ बदलाव चाहते हैं। गरबा खेलने के लिए आने वालें गैर-हिंदुओं को गरबा स्थल में प्रवेश नहीं देने प्रशासन का ध्यान आकर्षित करना चाहते है।
इस संबंध में वलसाड जिला विश्व हिंदू परिषद के जिला उपाध्यक्ष नरेंद्र भाई पायक ने कहा की ”हर साल देश भर में बड़े पैमाने पर गरबा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसमें लड़कियों और महिलाओं समेत तमाम लोग शामिल होते हैं।
गरबा का अर्थ है कि हम देवी को प्रसन्न करने के लिए नृत्य करते हैं। इसका मतलब है कि मुझे उस देवी में आस्था है। हम उन्हे खुश करने के लिए यह गरबा नृत्य करते हैं, उसके सामने आत्मसमर्पण करते हैं और उसका आशीर्वाद लेते हैं। लेकिन यह कौन कर सकता है? जो देवी में आस्था रखता है वही ऐसा कर सकता है। लेकिन जिसे इस देवी में आस्था नहीं है, जो देवी को नहीं मानता, जो मूर्तियों की पूजा नहीं करता है। उसे इस जगह पर क्यों आना चाहिए?”
इसके साथ ही, “कई जगहों पर ऐसा देखा गया है कि कई गैर-हिंदू बच्चे उस जगह पर आते हैं और फिर हमें समाज में इसके परिणाम देखने पड़ते हैं। लव जिहाद की घटनाएं होती रहती हैं। जो माता-पिता के लिए मुश्किल स्थिति पैदा करते हैं। समाज में दरार पैदा हो जाती है। इन सब चीजों को रोकने के लिए हम मांग करते हैं कि गैर-हिंदुओं को वहां प्रवेश न करने दिया जाए। बहुत से लोग इस जगह पर नाम बदलकर आते हैं और लड़कियों को धोखा देते हैं।
साथ ही गरबा पंडाल में और मां
बजरंग दल के संयोजक नीरज द्विवेदी , राजूभाई मिश्र ,आकाश गुर्जर सहसंयोजक वापी ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा की मां दुर्गा जी के विसर्जन के समय हिंदी फिल्मी गीत और अश्लील गीत नही बजाए , हमे धर्म का सम्मान करना है मजाक का पात्र नहीं बनाना है। इस पर युवा पीढ़ी को विशेष ध्यान देना पड़ेगा।
पुलिस, स्थानीय प्रशासन और आयोजकों को इस पर ध्यान देना चाहिए।