वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक मिलिंद देसाई को विवादों के कटघरे में खड़ा करना सर्वथा निंदनीय।
भायंदर। पिछले दिनों नवघर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक मिलिंद देसाई के जन्मदिन पर, उनके कार्यालय में पहुंचकर मीरा भायंदर के पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता ने उन्हें केक क्या खिला दिया, कुछ लोगों के सीने पर सांप लोट गया। नरेंद्र मेहता से व्यक्तिगत नफरत और दुश्मनी रखने वाले लोग मीडिया के माध्यम से सक्रिय हो गए। कहा गया कि आरोपी के हाथ से केक खाकर मिलिंद देसाई फंस गए। जिन लोगों ने भी यह हास्यास्पद समाचार पड़ा, मीडिया के अभिनव प्रयोग से स्तब्ध रह गए। मीडिया को व्यक्तिगत दुश्मनी का माध्यम बनाने का एक नया प्रयोग लोगों के सामने आया। देश के आधे से अधिक बड़े नेताओं के खिलाफ राजनीतिक या अन्य कारणों से कोई न कोई मामला जरूर दर्ज है। ऐसे में क्या वे सारे लोग अछूत हो गए। मिलिंद देसाई हमेशा से एक कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार पुलिस अधिकारी हैं। नवघर पुलिस स्टेशन की कमान संभालने के बाद उन्होंने अनेक अपराधिक मामलों का पर्दाफाश किया। कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया। सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया। अपराधियों के साथ-साथ नशाखोरी और साइबर अपराध करने वाले लोगों पर लगाम लगाई। वे पहले से ही एक अच्छे पुलिस अधिकारी रहे।
यही कारण है कि उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। पिछले दिनों मीरा भायंदर वसई विरार के आयुक्त डॉ सदानंद दाते ने उनके अच्छे कार्यों को देखते हुए उन्हें सम्मानित भी किया था। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे जांबाज पुलिस अधिकारियों का मनोबल गिरा कर हम क्या हासिल करना चाहते हैं? जहां तक नरेंद्र मेहता का सवाल है, वे लगातार मीरा भायंदर की राजनीति के शीर्ष पर कायम हैं। आने वाले दिनों में भी उनके विधायक बनने की प्रबल संभावना है। ऐसे व्यक्ति का पुलिस स्टेशन में जाकर एक बहादुर पुलिस अधिकारी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने को कैसे प्रश्न चिन्ह के कटघरे में खड़ा कर सकते हैं। धन्यवाद देना होगा– मीरा भायंदर की प्रबुद्ध जनता को, जिसने आगे बढ़कर मिलिंद देसाई का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें लगातार अच्छा काम करते रहने की शुभकामनाएं दी है।