वलसाड। गुजरात राज्य के वलसाड जिले की वापी शहर मे 27 अक्टूवर गुरुवार को भाई-बहन के अपार स्नेह और अटूट प्रेम व अनुपम विश्वासके प्रतीक पर्व भाईदूज पर्व को एवं भाई टिका के मंगल पर्व को गोरखा समाजके एंव नेपाली समाज के और अन्य समाज के लोगों ने बडी धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ साथ अपनी अपनी सांस्कृति के अनुरूप और अपनी अपनी परम्पराओं से इस पर्व को मनाया।
इस साल की भाईदूज एंव भाईटिका महापर्व को इस अवसर पर गोरखा समाज एंव नेपाली समाज के भाइयोंने अपने बहनों के घर पे जाकर तो कहीं बहन भाई के घर जाकर टीका लगाया। इस भाईदूज एवं भाई का मंगल टीका पर्व को पारंपरिक अंदाज में उत्सव को आगे बढ़ाते हुए वहीं बहन ने अपने भाइयों की मंगल तिलक किया और अपने भाइयों की आरती किया हैं और भाई के माथे पर सप्तरंगी टीका और गलों मे फूलों की पहनाई और सलामती के लिये ईश्वर से प्रार्थना की और बाद में मीठा खिलाया और उनकी लम्बी उम्र के लिए कामनाएँ की।
वहीं भाइयों ने भी बहनों के लिए मंगलकामनाएँ करते हुए रक्षा का बचन के साथ साथ बहन को पांव पर ढोग किया और उन्नति एवं प्रगति के लिये आशीर्वाद भी दिया और नकदी के साथ कुछ उपहार भी दिया। इस अवसर पर नेपाली समाज एंव गोरखा समाज के अग्रणी चेतनाथ ढकाल एवं हरी भंडारी ने बताया कि यम द्वितीया हिन्दूओं का प्रमुख त्योहार में भाईटिका एंव भाईदूज के इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
इसलिए इस पर्व पर यम देव की पूजा भी की जाती है। भाईदूज पर्व भाईयों के प्रति बहनों के श्रद्धा व विश्वास का पर्व है। इस पर्व को बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगा कर मनाती है और भगवान से अपने भाइयों की लम्बी आयु की कामना करती है। हिन्दू समाज में भाई -बहन के स्नेह व सौहार्द का प्रतीक यह पर्व दीपावली दो दिन बाद मनाया जाता है। लेकिन इस बार सूर्य ग्रहण का असर भैया दूज के पर्व पर भी देखने को मिला, यही कारण है कि दीपावली के तीसरे दिन मनाए जाने वाले इस पर्व को इस बार उसके भी एक दिन बाद मनाया गया है।
यह पर्व भी अन्य त्यौहारों की तरह परम्पराओं से जुडा हुआ है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उसकी लम्बी आयु की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन कि रक्षा का वचन देता है, इस दिन भाई का अपनी बहन के घर भोजन करना विशेष रुप से शुभ होता है। ज्ञात हो कि इस दिन बहन के घर भोजन की परंपरा है। मान्यता है कि यमुना ने भाई यम को इस दिन खाने पर बुलाया था। इसी वजह से इसे यम द्वितिया भी कहा जाता है।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन अपनी बहन के यहां भोजन करता है वह साल भर हर झगड़े से दूर रहता है, साथ उसे कोइ शत्रुओं का कोई भय नहीं होता, हर तरह के संकट से छुटकारा मिलता है, साथ ही भाई का कल्याण भी होता है। इस दिन बहन के घर भोजन करने और उसे उपहार देने से सम्मान में वृद्धि होती है। आजकल व्यस्त जीवनशैली में इस त्यौहार पर परिवार का मिलना भी अच्छा होता है। इस दिन अगर अपनी बहन न हो तो ममेरी, फुफेरी या मौसेरी बहनों को उपहार देकर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। भाईदूज त्योहार एंव भाईटिका भारत और नेपाल देश में मनाए जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है जो की हिंदुस्तान के कोने कोने में मनाया जाता है।
भाईदूज एवं भाईटिका एक हिंदू त्यौहार है-हिन्दू धर्म के अनुयाई द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व भाई और बहन के पावन रिश्ते के महत्व को दर्शाता है। जिसमे बहने अपने भाई की रक्षा के लिए इस त्योहार को करती है। इस दिन के अनुष्ठान और उत्सव ‘रक्षा बंधन’ जैसे लोकप्रिय उत्सव के समान हैं। इस गोरखा समाज की एवं नेपाली समाज की भाईदूज एवं भाईटिका पर्व पर वापी शहर के नेपाली समाज तथा वलसाड जिले के अग्रणी चेतनाथ ढकाल,सिलवासा के अग्रणी एवं समाजसेवी हरी भंडारी,मनोज थापा,श्याम राई,प्रेम भट्टराई,राहुल अधिकारी,मुकेश ढकाल, कृष्णा शर्मा, मिथल अधिकारी, बालकृष्ण दाहाल,महिला मंडल की अग्रणी श्रीमती कमला ढकाल नेपाली समाज वापी की श्रीमती सिर्जना थापा,श्रीमती झुमा भट्टराई,श्रीमती पूर्णिमा दाहाल,सुश्री कल्पना ढकाल,सिमरन दाहाल, दिक्ष्या दाहाल आदि लोग मौजूद रहे।