कृष्ण कुमार मिश्र ,
स्टार न्यूज मीडिया मोरबी पुल हादसे में जान गवाने वालों और घायल लोगों के प्रति श्रद्धांजलि और संवेदना प्रकट करता है। साथ ही तीखे सवाल भी पूछता है ,कहीं चुनावी राजनीति की तो भेंट नही चढ़ी मोरबी दुर्घटना ……???
गुजरात के मोरबी में रविवार को हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में करीब 150 लोगों की मौत हुई है और सैकड़ों घायल हैं। हादसे में होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है और रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर चल रहा है। गौरतलब है कि ये हादसा मच्छू नदी पर केबल ब्रिज टूटने की वजह से हुआ।
गुजरात के मोरबी पुल हादसे में जांच समिति बनाकर मामले की गहनता से तहकीकात की जा रही है। इस मामले में अब हेकेदार ओरेवा कंपनी के 4 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। मोरबी में गिरा केबल पुल करीब एक सदी पुराना था. मरम्मत के बाद चार दिन पहले ही 26 अक्टूबर को इस पुल को फिर से खोला गया था।
मोरबी में हुई दुर्घटना के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और ठहराया भी जाना चाहिए , लेकिन नेताओ , मंत्रियों द्वारा जिस तरह से लोकार्पण और खातमुहुर्त का कार्यक्रम हो रहा है , कतई इस बात से किनारा नही किया जा सकता है। राज्य के विभिन्न जिलों , तहसीलों में उद्घाटन समारोह की खबरें पिछले 4 महीनों से सुर्खियों में छाई है ,मानो इन अंतिम के चार महीनों में ही सारा काम हो रहा है। क्षेत्र में सरकार का कार्यकाल खत्म होने से पहले ही सारे लंबित कार्य पूरे कर लिए गए या कर लिए जाएं ,एक होड़ सी मची हुई है अधिकारियों , ठेकेदारों , नेताओं और प्रशंसकों में ,नतीजा चाहे जो भी हो।
मोरबी, गुजरात की दुर्घटना के लिए पूरी तरह स्थानीय सरकार और प्रशासन जिम्मेदार है। मामले में जिस तरह से लीपापोती हो रही है ,ऐसा बिल्कुल प्रतीत होता है ठेकेदारों पर चुनाव से पहले पुल को चालू करने का दबाव रहा होगा। अलबत्ता आचार संहिता लागू होने से पहले उस पुल का भी मरम्मत कर के उद्घाटन कर आम जनता के लिए छोड़ दिया गया और ये सब बिना ऊपरी दबाव ( प्रशासन के वरिष्ठ नेताओं , अफसर शाही) के संभव नहीं है। उच्च स्तरीय जांच बैठेगी , जांच में अधिकारी नपेंगे और ठेकेदार को दिखावे के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। भ्रष्टाचार और चुनावी राजनीति की भेंट चढ़ गई मासूम जिंदगियां।