कृष्ण कुमार मिश्र,
वलसाड। तूफानी चुनावी प्रचार का दौर शुरू हो चुका है, डिजिटल युग में जनता अब जागरूक हो चुकी है। नोटा का बटन अब चुनावों में काफी लोकप्रिय हो चला है , जनता को अगर कोई भी प्रतिनिधि पसंद न हो तो नोटा का उपयोग करने का विकल्प चुनाव आयोग ने दिया हुआ है। जो कि वर्तमान प्रतिनिधियों के लिए राहत भरी खबरें है । सबसे बड़ा सवाल यह है कि जनता केवल प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो और जनसभाओं के बहाने बीजेपी को वोट क्यों दे ?? यह बड़ा सवाल लोगों के बीच में रह-रह कर कसोट रहा है।
इसी क्रम में वलसाड जिले के लगभग सभी विधानसभाओं के अंतर्गत जनता का खुला विरोध और चुनाव बहिष्कार की खबरें सामने आ रही हैं। वहीं वलसाड विधानसभा के अंतर्गत बीजेपी शासित नगरपालिका प्रमुख के ही वार्ड अब्रामा विस्तार में सड़कें खराब होने के कारण वहां के लोगों ने सोसाइटी परिसर के बाहर प्रवेश द्वार पर बैनर लगा कर अपना विरोध दर्ज किया है , “रोड नहीं तो वोट नहीं”, इस गांव में चुनाव प्रचार के लिए मना है ” इस तरह के बैनर प्रशासन और चुनाव अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। सोसाइटी की जनता का सीधा आरोप है कि 10 साल से सड़कों का विकास नहीं हो सका। सभी बड़े नेताओं और कलेक्टर तक को आवेदन सौंपने के बाद भी सड़क नहीं तैयार हुई। हालांकि नगरपालिका प्रशासन तथा स्थानीय पुलिस के सहयोग से बैनर को निकाल दिया गया। लेकिन जनता इस बार चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करने का मन बना लिया है।
इसी तरह की घटनाएं जिले की अन्य विधानसभाओं उमरगाम, धरमपुर ,कपराडा तालुका में भी कई तरह की विरोध की खबरें आ रही है , जो कि बीजेपी के लिए चिंता की खबर है। लेकिन बीजेपी के प्रतिनिधि इन सभी मुद्दों को नजरंदाज कर अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हो प्रचार में जुटे हैं।
वहीं ऐसे संवेदनशील मुद्दे को विपक्षी प्रतिनिधि जोर शोर से उठा कर जनता का मूड अपने पक्ष में करने की हरसंभव कोशिश में जुटे हुए हैं। गाहे बगाहे पान ,चाय की दुकान पर लोग खुले कहते मिलते हैं, कि केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो और जनसभाओं से बीजेपी नहीं जीत सकती, बल्कि स्थानीय नेताओं को भी उनके जैसा जनहित कार्यों को प्राथमिकता देनी होगी , वरना जनता का मूड बदलते देर नहीं लगती।