मुंबई। कुर्ला-बांद्रा रेलवे लिंक और ई और जी ब्लॉक में रेलवे स्टेशन के प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया और निजी डेवलपर्स को लाभ पहुंचाने के लिए बांद्रा और कुर्ला रेलवे स्टेशन को मेट्रो कनेक्शन के बारे में झूठी जानकारी देकर सरकार और मुंबईकरों को धोखा दिया हैं। एमएमआरडीए अधिकारियों की जांच कर एफआईआर दर्ज करे एवं बांद्रा- कुर्ला रेलवे लाइन को फिर से खींचने और ई और जी ब्लॉक में रेलवे स्टेशनों की बहाली की मांग आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने की है। आरटीआई से एमएमआरडीए द्वारा किए गए ऐसे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है।
एमएमआरडीए कुर्ला-बांद्रा रेलवे लाइन की ड्राइंग एवं ई और जी ब्लॉक में रेलवे स्टेशन के प्रस्ताव को रद्द करने के लिए 22 फरवरी 2011 को अधिसूचना प्रकाशित की। 14 मार्च, 2011 को अनिल गलगली के अथक सेवा संघ के माध्यम से एमएमआरडीए को लिखित रूप में आपत्तियां प्रस्तुत की और तदनुसार सुनवाई समाप्त हो गई। सोमवार 30 मई 2010 को एमएमआरडीए कार्यालय में पीआरके मूर्ति की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने सुनवाई की। सुनवाई के बाद पीआरके मूर्ति, डी संपतकुमार और पीजी गोडबोले की योजना समिति ने सरकार को एक रिपोर्ट भेजी जिसमें 3 सिफारिशें की गईं। इसमें बांद्रा कुर्ला के स्वीकृत योजना प्रस्तावों में से बांद्रा-कुर्ला रेलवे लाइन को हटाना। बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स के “ई” और “जी” ब्लॉक में “रेलवे स्टेशन” के भूमि उपयोग को “वाणिज्यिक” किया जाए ।
बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में ड्राइव-इन-थिएटर के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में ट्रैक्शन सब स्टेशन के 4210 वर्ग मीटर प्लॉट के प्रस्तावित उपयोग को “ट्रैक्शन सबस्टेशन” के बजाय “वाणिज्यिक” में बदला जाए ।एमएमआरडीए ने एक पत्र के माध्यम से योजना समिति की रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई थी। इस रिपोर्ट में अनिल गलगली द्वारा उठाई गई आपत्तियों से अवगत कराया गया कि गठित योजना समिति ने प्रस्तावित (चारकोप-बांद्रा-मानखुर्द) मेट्रो लाइन को बीकेसी से गुजरने और बांद्रा को कुर्ला स्टेशन से जोड़ने पर विचार किया गया हैं। बांद्रा-कुर्ला रेल लिंक ड्राइंग के बहुत करीब है। चूंकि करीब 2 रेलवे लाइनों की कोई आवश्यकता नहीं है, योजना समिति ने बीकेसी के अनुमोदित योजना प्रस्तावों से बांद्रा-कुर्ला रेलवे लाइन को हटाने की सिफारिश की है। साथ ही सरकार ने 23 जून 2000 को जब 7वीं रेलवे लाइन को रद्द करने की मंजूरी दी थी उस समय उल्लेख किया गया था कि बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के ब्लॉक ई और जी में एक प्रस्तावित रेलवे स्टेशन है। अब प्रस्तावित रेलवे स्टेशन व बांद्रा-कुर्ला रोड की ड्राइंग को निरस्त करते हुए प्रस्तावित 5 हजार वर्ग मीटर जमीन जो ट्रैक्शन सबस्टेशन के लिए आरक्षित थी उसमें से 4210 वर्ग मीटर को अलग किया।
अनिल गलगली के मुताबिक प्लानिंग कमेटी के सदस्यों और मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर ने मेट्रो को बांद्रा और कुर्ला रेलवे स्टेशनों से जोड़ने की झूठी जानकारी देकर उनके साथ, सरकार और मुंबई की जनता के साथ धोखा किया है। इसमें एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त ने प्रमुख सचिव-1, नगर विकास, मुंबई रेल विकास निगम, प्रमुख सचिव, पर्यावरण को झूठी जानकारी दी है। इस झूठी सूचना के आधार पर 1 अक्टूबर 2018 को अधिसूचना जारी की गई थी। अधिसूचना में मेट्रो को बांद्रा और कुर्ला रेलवे स्टेशनों से जोड़ने की झूठी सूचना का उल्लेख है जो वर्तमान में मौजूद नहीं है। इस वजह से इस अधिसूचना को भी रद्द करना जरूरी है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव नगर विकास को अनिल गलगली द्वारा भेजे पत्र में शहरी विकास विभाग द्वारा एक अक्टूबर 2018 को जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है। कुर्ला-बांद्रा रेलवे लाइन की ड्राइंग एवं ई और जी ब्लॉक में रेलवे स्टेशन को पूर्ववत करे। निजी लोगों की मदद के लिए सरकार को झूठी सूचना देकर ठगी करने वाले एमएमआरडीए के आयुक्तों और योजना समिति के सदस्यों पर मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। इसके कारण एमएमआरडीए को हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई संबंधित आयुक्तों और योजना समिति के सदस्यों से की जानी चाहिए। अनिल गलगली कहते हैं कि आज मध्य और पश्चिम रेलवे को जोड़ने वाला कोई सीधा मार्ग नहीं है। यह परियोजना बहुत महंगी नहीं है और आज हर साल 3 करोड़ से अधिक यात्री कुर्ला और बांद्रा के बीच यात्रा करते हैं। अगर यह रूट बन जाता है तो दादर में भीड़भाड़ भी कम होगी और रोजाना आने-जाने वालों को राहत मिलेगी। भारतीय रेलवे सस्ती और किफायती है और इससे आम नागरिकों को फायदा होगा। आज बीकेसी में मजदूर वर्ग के लोगों की एक बड़ी आबादी है जो इस कड़ी से लाभान्वित होंगे। परियोजना पर ज्यादा खर्च नहीं होगा एवं समय और ईंधन की बचत होगी। इस संबंध में सभी राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों ने समय-समय पर मांग भी की है। इससे पूर्व 15 नवंबर 2018 को मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठक कर सकारात्मक निर्णय लिया गया था।
इस बैठक से पहले एक अधिसूचना जारी की गई थी। इससे नगर विकास विभाग के अवर सचिव प्रदीप गोहिल की भूमिका संदिग्ध होने का जिक्र अनिल गलगली ने किया है। व्यावसायिक उपयोग निजी डेवलपर्स के लाभ के लिए है और लाखों मुंबईकरों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इसके बजाय, अगर सरकार ने बांद्रा-कुर्ला रेल लिंक के निर्माण को प्राथमिकता दी होती और इसे रेलवे प्रशासन के साथ आगे बढ़ाया होता, तो पहली बार पश्चिम और मध्य क्षेत्रों को जोड़ने वाला रेल लिंक मुंबईकरों के लिए उपलब्ध होता और इस तरह एक यहां मौजूदा ढहती सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का नया विकल्प उपलब्ध हो जाता था। फर्जी सूचना फैलाकर रेलवे लाइन की योजना को रद्द कर दिया गया क्योंकि एमएमआरडीए के आला अधिकारी निजी डेवलपर्स को लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे।