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ऑर्किड फूलों की खेती ने खोले किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि के द्वार, पारडी का किसान वर्ष में कमाता है 20 लाख रुपये। 

आर्किड फूलों की खेती आत्मनिर्भर भारत का एक बड़ा उदाहरण है, जो अब थाईलैंड और चीन पर निर्भर नहीं।
संकलन – जिग्नेश सोलंकी 
 स्टार मीडिया न्यूज, वलसाड। थाईलैंड और चीन में उगाए जाने वाले ऑर्किड फूल, जिनकी शादियों और विभिन्न त्योहारों के लिए देश भर में सबसे ज्यादा मांग है, अब वलसाड जिले के पारडी तालुका के परवासा गांव में उगाए जा रहे हैं। इस गाँव के प्रगतिशील युवा किसान ने परंपरागत खेती से आगे बढ़ कर कुछ अनूठा करने के लिए साहस के साथ गुजरात सरकार के बागवानी विभाग की राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत ग्रीन हाउस/पॉली हाउस (संरक्षित खेती में मदद) का लाभ लेकर आधुनिक तरीके से खेती करके बागायती क्षेत्र में एक नया मुकाम बनाया है। वलसाड जिला के किसान ने आर्किड फूलों की खेती कर आत्मनिर्भर बनने से अब विदेशों पर निर्भर नहीं रहेंगे।
स्वदेशी फूलों का उपयोग युगों से होता आया है, आमतौर पर जब हमारे पास शुभ अवसर या त्यौहार होते हैं, लेकिन आज के वैश्विक युग में विदेशी फूलों की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है। आधुनिक तकनीक की सहायता से हमारे देश की धरती पर विदेशी फूलों की खेती भी सफलतापूर्वक की जा रही है। वहीं परवासा गांव के किसान मिथुलभाई दिनेशभाई उपाध्याय ने एक मिशाल कायम किया है। जबकि ऑर्किड की सफल खेती के साथ-साथ मितुलभाई ने 20 लाख रुपए की आय के साथ वह कई किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। तो आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी उन्हीं के शब्दों में…
प्रगतिशील युवा किसान मितुलभाई ने बताया कि उनके दादा के समय से चली आ रही पारंपरिक खेती में उनके पिता आम की बाड़ी के साथ-साथ धान और गन्ने की खेती करते थे। लेकिन एक दिन गांव के किसान शिविर में जाकर सरकार के उद्यानिकी विभाग की विभिन्न सहायता योजनाओं के बारे में जाना और उन्हें ऑर्किड फूलों की खेती करने की प्रेरणा मिली। थाईलैंड और चीन में उगने वाले ऑर्किड के फूलों को वहां के ग्रीनहाउस में भी उगाया जा सकता है। वलसाड बागवानी विभाग के अधिकारियों ने मुझे मार्गदर्शन दिया, उसके बाद महाराष्ट्र में पुणे की एक कंपनी में संयंत्र की जांच करने के लिए निर्देशित किया। इसलिए मैं इस कृषि के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए 3 बार थाईलैंड गया। जहाँ से एक व्यापक समझ प्राप्त करने के बाद कृषि के प्रति अपनी योग्यता के कारण उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर परवासा गाँव में 1 एकड़ (4 हजार वर्ग मीटर) भूमि पर ऑर्किड के फूलों की खेती करने का निर्णय लिया।
जिसके लिए वर्ष 2018-19 में बागवानी खाते में आईखेदूत पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करने पर प्रोजेक्ट लागत 69 लाख रुपये के मुकाबले 38.39 लाख रुपए की सब्सिडी का लाभ मिलने पर आर्किड फूलों की खेती करने के लिए मेरे अंदर उत्साह का संचार हुआ। वर्तमान में मेरे ग्रीन हाउस में 40 हजार प्लांट हैं। एक प्लांट की कीमत 60 रूपये है। एक प्लांट पर आर्किड फूल की 5 से 6 डंडियां होती हैं। 1 डंडी की कीमत बाजार भाव 10 रूपये से लेकर 18 रूपये तक है । वर्तमान में फूल की 2 लाख डंडियां हैं। जिसमें से प्रति वर्ष 20 लाख रुपये की आमदनी होती है। इसमें से श्रम, खाद और दवा सहित वार्षिक लागत 7.20 लाख रुपये का खर्च काटकर 12.80 लाख रुपये का लाभ होता है। हालांकि मई के महीने में असहनीय गर्मी के कारण पर्याप्त फूल नहीं आ पाते हैं। इसके बावजूद यह खेती पारंपरिक खेती की तुलना में बेहतर आय देती है।
मितुलभाई आगे कहते हैं कि साल के दौरान कई ऑर्डर आते हैं क्योंकि बाजार में आर्किड फूल की मांग साल भर रहती है। कई बार तो ऑर्डर पूरा नहीं कर पाते हैं।  20 डंडी के एक बंडल बनता है, जिसकी कीमत वर्तमान में मुंबई में 230 रूपये और शादी तथा त्योहार के मौसम के दौरान इसकी कीमत 350 रुपये तक जाती है। ऑर्किड का प्लांट एक बार तैयार होने के बाद 7 साल तक लगातार फूल देने से मेहनत रंग लाती है। इस प्रकार सरकार के उद्यानिकी विभाग के सहयोग से और आधुनिक तरीके से की जाने वाली खेती से जगत के तात को आत्मनिर्भर बनाकर आर्थिक समृद्धि का द्वार खोल दिया है।
नारियल के भूसी(जटा) में उगते हैं ऑर्किड के फूल। 
किसान मितुलाभाई ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि आर्किड के फूल नारियल की भूसी (जटा) में उगते हैं। नारियल के छिलकों को महीनों तक पानी में भिगोकर रखने से मुलायम हो जाते हैं। उसके बाद इसमें खाद मिलाई जाती है और इसे मिट्टी की तरह बना लिया जाता है। यह लादी बैंगलोर से मंगवाई गई है। एक लादी की कीमत 60 रूपये हैं। फिर पौधे को लादी में प्लांट लगाया जाता है। जिसमें से एक डंढी तैयार करने में 9 से 10 माह का समय लग जाता है। इस तरह इस पूरे सिस्टम को तैयार करने में डेढ़ से दो साल का समय लगता है।
आर्किड के पौधों पर शुद्ध आरओ के पानी का छिड़काव करना जरूरी, 
नमी की मात्रा को बनाए रखने के लिए ऑर्किड के प्लांट को स्प्रिंकलर पद्धति से सींचा जाता है। प्लांट के बढ़ने के बाद सूखा न पड़े इसके लिए हर दूसरे दिन पानी का छिड़काव करना जरूरी है, जबकि गर्मियों में हर दिन पानी का छिड़काव करना चाहिए । इस विदेशी फूल को सादे पानी से नहीं बल्कि आरओ प्लांट के शुद्ध पानी से सींचने की जरूरत है। क्योंकि सादा पानी खारा और क्षारयुक्त होता है। जिसके लिए मितुलभाई ने अपने खेत में आरओ प्लांट के साथ ही 15 हजार लीटर पानी की टंकी भी लगा रखी है। वहीं प्लांट में लाल रंग के जीव न पड़े इसके लिए सावधानी बरतनी चाहिए।

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