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Friday, Apr 26, 2024
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वलसाड जिला में धरमपुर के मालनपाडा में वर्ल्ड क्लास सर्प संशोधन केंद्र (स्नेक रिचेस इंस्टीट्यूट) शुरू किया गया

राज्य सरकार ने दो वर्ष पूर्व 10 करोड़ रुपए की ग्रांट आवंटित कर अस्थाई तौर पर केंद्र की शुरूआत की थी
संकलन:-  जिग्नेश सोलंकी 
श्यामजी मिश्रा 
स्टार मीडिया न्यूज, वलसाड। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 1 लाख 38 हजार लोगों की मौत सर्पदंश से होती है। दुर्भाग्य से हमारे देश में बहुत से लोग सांप के काटने से मर जाते हैं। इस मौत को रोकने और बहुमूल्य जीवन को बचाने के लिए राज्य सरकार ने वलसाड जिले के धरमपुर तालुका के मालनपाड़ा गांव में एक विश्व स्तरीय सांप अनुसंधान केंद्र शुरू किया है। जबकि वलसाड जिले के धरमपुर तालुका स्थित साईनाथ अस्पताल के डॉ धीरूभाई सी पटेल ने इस दिशा में जीरो मृत्यु दर का सपना देखा था। जिसके अंतर्गत उन्होंने निःस्वार्थ भाव से सर्पदंश के मरीजों का इलाज सेवा के रूप में शुरू किया। इसी बात को ध्यान में रखते हुए गुजरात सरकार अब भी मुफ्त में एंटीवेनम इंजेक्शन दे रही है। साथ ही अब रिजीयन स्पेसिफिक एंटीवेनम इंजेक्शन बनाई जा सके, इसके लिए राज्य सरकार ने पहल की और वर्ष 2020 में 10 करोड़ रुपए का अनुदान आवंटित किया था। जिसमें से धरमपुर के मालनपाड़ा स्थित वन विभाग के पंचवटी भवन में अस्थाई तौर पर सांपों के प्रजनन के लिए विश्व स्तरीय सर्प अनुसंधान केंद्र शुरू किया गया है। इस सर्प गृह में दुनिया के सबसे जहरीले कहे जाने वाले 3000 सांपों को रखने की अनुमति दी गई है। तो वहीं आने वाले दिनों में यह स्नेक रिसर्च इंस्टीट्यूट मात्र भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के काम आएगा।
सांप के जहर में से पाउडर बनाकर सर्प जहर विरोधी दवा व एंटी वेनम इंजेक्शन बनाया जाएगा:-
सर्पदंश की घटनाएं पूरे भारत में होती हैं, विभिन्न राज्यों में सर्पदंश की घटनाओं में विभिन्न प्रकार के विष पाए जाते हैं। सर्प अनुसंधान संस्थान की कार्यकारी समिति के उपाध्यक्ष व धरमपुर साईनाथ हास्पिटल के डॉ. धीरूभाई सी. पटेल ने बताया कि गुजरात में रसेल वाइपर ने एक व्यक्ति को काटा है। इसी तरह उत्तर प्रदेश या पंजाब सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में यदि रसेल वाइपर ने किसी व्यक्ति को काट लिया है, तो उसका जहर अलग-अलग होता है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुसार क्षेत्र विशेष के एंटीवेनम इंजेक्शन बनाए जाएंगे। जिसके लिए गुजरात और आसपास के महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान से अत्यधिक जहरीले सांपों को प्रजनन के लिए धरमपुर के मालनपाड़ा स्थित सर्प अनुसंधान केंद्र में लाया जाएगा। उसके बाद उसमें से विष निकालने के बाद उसे विशेष रूप से प्रोसेस कर लाईयोफिलाइज्ड पाउडर तैयार कर सर्प जहर विरोधी दवा बनाने वाली देश की विभिन्न कंपनियों को दिया जाएगा। इससे एक इंजेक्शन बनाया जाएगा और सरकारी नियमों के अनुसार अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए दिया जाएगा।
सर्प दंश से जीरो मृत्यु दर का लक्ष्य हासिल किया जायेगा:-
धरमपुर की साईनाथ अस्पताल में 1-4-1993 से 31 दिसंबर 2022 तक विभिन्न राज्यों के 18696 सर्पदंश के मरीजों को नया जीवन देने वाले डॉ. धीरूभाई सी. पटेल ने आगे कहा कि वर्तमान में भारत में केवल चेन्नई में ही जहरीले सांपों का पाउडर बनाया जाता है लेकिन यह बहुत खुशी की बात है कि गुजरात सरकार द्वारा सर्प विष में क्षेत्र के अनुसार अंतर देखा गया, जिसके परिणामस्वरूप सर्प अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई। अब इस केंद्र के शुरू होने जाने से सर्पदंश से जीरो मृत्यु दर का लक्ष्य हासिल किया जाएगा। खासतौर पर धरमपुर और कपराडा तालुका जंगलों से घिरे हुए हैं, इसलिए सांप के काटने के कई मामले सामने आते हैं। पहले लोग अंधविश्वास से प्रेरित होकर दूसरे विकल्प अपनाते थे। और बाद में अस्पताल पहुंचते-पहुंचते जीवन गंभीर स्थिति में पहुंच जाता था और उसकी मृत्यु हो जाती थी। इसलिए सबसे पहले लोगों में जागरूकता पैदा करने का अभियान चलाया गया, ताकि लोगों में फैले अंधविश्वास को सफलतापूर्वक दूर किया जा सके और अब 99 फीसदी लोग सांप के काटने पर सीधे अस्पताल पहुंचते हैं। इसके अलावा गांव के सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को भी जहरीले और गैर विषैले सांपों के इलाज का प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही बचावकर्मियों को सांपों को सुरक्षित रूप से संभालने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इस प्रकार गुजरात सरकार और जन-जागरूकता के माध्यम से सर्पदंश के मामलों को कम किया जा सकता है और राज्य सरकार द्वारा सांप के जहर से इंजेक्शन बनाने के प्रयास अब केंद्र ने भी शुरू कर दिया है, जिससे अब लोगों के कीमती जीवन को बचाने में सफल होंगे।
किस सांप में से कितनी मात्रा में जहर निकाला जाता है:-
किस सांप से कितना जहर निकाला जा सकता है, इस बारे में डॉ. धीरूभाई सी.पटेल ने बताया कि कोबरा से सप्ताह में एक बार 250 से 300 मिलीग्राम, कॉमन क्रेट से 15 दिन में एक बार 0.026 मिलीग्राम, रसेल वाइपर से महीने में 3 बार 150 से 160 मिलीग्राम और सॉ स्केल वाइपर से 15 दिन में एक बार 0.0026 मिलीग्राम जहर निकाला जाता है। साईनाथ अस्पताल में हर साल सर्पदंश के 1200 मामले सामने आते हैं। जिसमें अक्सर मरीज को 15 से 45 इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं जिससे एक साल में 3000 इंजेक्शन की जरूरत पड़ती हैं।
वर्तमान में संशोधन केंद्र में बहुत ही जहरीले सापों का संवर्धन हो रहा है:- 
धरमपुर के मालनपाड़ा सर्प अनुसंधान केंद्र में वर्तमान में 86 अत्यधिक विषैले सांप हैं। इनमें 24 कोबरा(नाग) , 33 रसेल वाइपर(कामणियो), 25 कॉमन क्रेट्स (मनीयार) और 4 सौ स्केल्ड वाइपर(फोडची) हैं। एंटी वेनम बनाने के लिए फिलहाल कुल 580 जहरीले सांपों की जरूरत होती है। इस हिसाब से 60 कोबरा, 120 रसेल वाइपर, 160 कॉमन क्रेट और 240 सॉ स्केल्ड वाइपर की जरूरत है। उसके लिए राज्य के अन्य जिलों से सांपों को एकत्रित करने की अनुमति लेने वाले पहले राज्य के तटीय क्षेत्रों में स्थित 8 जिलों से सांपों को एकत्र करेंगे।
डब्ल्यू एच ओ की गाइडलाइंस के मुताबिक स्नेक रिसर्च सेंटर की स्थापना की गई:-
सर्प अनुसंधान संस्थान की कार्यकारी समिति के सदस्य सचिव और वलसाड उत्तर वन विभाग की उप वन संरक्षक निशा राज ने कहा कि वर्तमान में सर्प दंश विरोधी इंजेक्शन गुजरात के बाहर से आ रहे हैं। लेकिन अब स्नेक रिसर्च सेंटर में स्थानीय सांपों के जहर से पाउडर बनाया जाएगा, जिसे एंटी स्नेक वेनम बनाने वाली कंपनियों को इंजेक्शन बनाने के लिए दिया जाएगा। भारत में केवल धरमपुर के मालनपाड़ा में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन के अनुसार एक सर्प अनुसंधान संस्थान स्थापित किया गया है।
सांप की प्राकृतिक मृत्यु जब तक न हो तब तक सापों को रखा जाता है:- 
धरमपुर के मालनपाड़ा स्थित सर्प अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. महर्षि पंड्या ने कहा कि यहां सांपों के प्रजनन के लिए उनका भोजन, हवा-पानी का अनुपात, वजन, स्वास्थ्य, अगर सांप की आवाज में कोई अंतर आता है तो डॉक्टर और स्टाफ भी उसकी निगरानी करता है। यहां प्रशिक्षित क्यूरेटर, वेटरनरी डॉक्टर, टेक्निकल स्टाफ और कंसल्टेंट भी नियुक्त किए गए हैं। सांप को लाने के बाद यहां उसकी जांच की जाती है और अगर सांप गर्भवती पाई जाती है तो उसे वहीं छोड़ दिया जाता है जहां से उसे लाया गया था। अगर कोई बीमार सांप है तो उसका इलाज किया जाता है। यहां लाए गए सांपों को डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के अनुसार तब तक रखा जाता है जब तक उनकी प्राकृतिक मृत्यु नहीं हो जाती।

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