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Thursday, Apr 25, 2024
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ठहराव नहीं, नई शुरुआत है अवकाश ग्रहण – डॉ अलका पोतदार

स्टार मीडिया न्यूज पुणे। मनुष्य के जीवन में अपनी सेवा से अवकाश ग्रहण करना मतलब ठहराव कदापि नहीं, अपितु एक प्रकार की नई शुरुआत होती है| इस आशय का प्रतिपादन डॉ. अलका सुरेंद्र पोतदार, विशेषाधिकारी-हिंदी तथा समन्वयक विद्या विभाग, महाराष्ट्र राज्य, पाठ्यपुस्तक निर्मिति व पाठ्यक्रम संशोधन मंडल, ‘बालभारती’, पुणे, महाराष्ट्र ने किया। वे अपनी 31 वर्ष की प्रदीर्घ सेवा के उपरांत ‘बालभारती’, पुणे के उत्तम सभागार में आयोजित धन्यवाद ज्ञापन तथा स्नेह समारोह में उद्बोधन दे रही थीं । ‘बालभारती’ पुणे के संचालक कृष्ण कुमार पाटील ने समारोह की अध्यक्षता की| मंच पर हिंदी जगत के श्रेष्ठ साहित्यकार डॉ. दामोदर खडसे, पुणे, ‘बालभारती’, पुणे के नियंत्रक श्री विवेक गोसावी, सातारा जिला हिंदी अध्यापक मंडल के अध्यक्ष श्री ता. का. सूर्यवंशी तथा श्री. सुरेंद्र पोतदार की गरिमामय उपस्थिति थी | डॉ. अलका पोतदार ने आगे कहा कि 31 वर्ष की सेवा के अंतर्गत मुझे बहुत कुछ सीखने मिला | मुझे अपने हिंदी शिक्षकों तथा विषय विशेषज्ञों पर गर्व की अनुभूति हो रही है, क्योंकि मैं जितना करती थी, उससे अधिक मेरे हिंदी शिक्षक करते रहे और निरंतर एक दूसरे से जुड़ते रहे। मैंने हमेशा अपने कठिन परिश्रम के साथ बेहतर से बेहतर पाठ्यपुस्तकें देने का सफल प्रयास किया है। ‘बालभारती’ वास्तव में शिक्षालय से कम नहीं है। हिंदी के प्रति मेरी निष्ठा तथा समर्पण की भावना निरंतर बनी रहेगी | मुझे ठहराव कतई पसंद नहीं | अतः मैं सदैव गतिशील रहूंगी | हिंदी साहित्य जगत के ख्यातनाम साहित्यकार तथा अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. दामोदर खडसे,पुणे ने अपने उद्बोधन में कहा कि डॉ. अलका पोतदार के अपने सेवा काल में पाठ्यपुस्तक निर्मिति व पाठ्यक्रम संशोधन में विशेष उत्साह व प्रेरणा सदैव बनी रही है। हिंदी भाषा के पाठ्यक्रम में उनकी प्रशंसनीय भागीदारी रही | डॉ. पोतदार अपने जीवन में अपनी भूमिका को सफल दायित्व के साथ निभाती रही | हिंदी भाषा और शिक्षा के क्षेत्र से उनका हमेशा संपर्क बना रहा । उनका सरल, सहज, स्वाभाविक और सदा आनंदमयी व्यक्तित्व हिंदी शिक्षा जगत को निरंतर प्रेरित करता रहेगा। ‘बालभारती’, पुणे के नियंत्रक विवेक गोसावी ने अपने मंतव्य में कहा कि, विशेषाधिकारी-हिंदी के रूप में डॉ. अलका पोतदार ने अपनी प्रदीर्घ सेवा में सभी से समन्वय स्थापित किया है। कार्य करने की उनकी अपनी स्वतंत्र शैली है। वे सभी के साथ हंसते हुए पेश आती है। कभी कभार वह डांटती भी है, परंतु उनके डांटने में क्रोध भाव कभी देखा नहीं। वे हंसते हुए डांटती रही । यह उनके स्वभाव की विशेषता है। ‘बालभारती’, पुणे के संचालक श्री कृष्ण कुमार पाटील ने अपने अध्यक्षीय समापन में कहा कि डॉ. अलका पोतदार का महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिति व पाठ्यक्रम संशोधन में अमूल्य योगदान रहा है । 31 वर्ष की अपनी सेवा में उन्होंने ‘बालभारती’ के माध्यम से बहुत कुछ दिया है। प्रदीर्घ काल से वे अपने पद को विभूषित करती रही है | उनका स्वभाव शांतिप्रिय, सरल व सहनशील है। मूलतः दक्षिण भारतीय पर भिलाई, छत्तीसगढ़ में जन्मी-पली तथा महाराष्ट्र को अपनी कर्मभूमि मानते हुए उनका व्यक्तित्व वास्तव में अद्भुत है। ‘बालभारती’ के साथ उन्होंने अपने परिवार को भी अच्छे संस्कार दिए हैं। कुछ समय से वे ‘बालभारती’ में हिंदी के साथ अन्य विषयों का भी दायित्व निभा रही है। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व हिंदी भाषा व साहित्य को अपने निरंतर मार्गदर्शन से आलोकित करता रहेगा | समारोह का आरंभ श्रीमती रजनी म्हैसालकर, मुंबई के स्वागत गीत से हुआ ।

इस अवसर पर डॉ. अलका पोतदार की शोध कृति ‘साठोत्तरी हिंदी गीति नाटकों में जीवन मूल्य’ तथा ‘हिंदी शब्द क्षितिज की पाखी-डॉ. अलका सुरेंद्र पोतदार’ इस संपादित अभिनंदन ग्रंथ का विमोचन हुआ। प्रा. धन्यकुमार जिनपाल बिराजदार,सोलापुर, डॉ. अलका पोतदार के पति सुरेंद्र पोतदार और पुत्र अद्वैत पोतदार तथा भाई दीपक मुदलियार, भिलाई, छतीसगढ़ ने अपना मंतव्य संक्षेप में दिया। इस धन्यवाद ज्ञापन व स्नेह समारोह में डॉ. अलका पोतदार को विभिन संस्थाओं तथा व्यक्तियों द्वारा सम्मानित किया गया, जिनमें महाराष्ट्र राज्य हिन्दी अध्यापक मंडल की ओर से अध्यक्ष अनिल जोशी व उपाध्यक्ष ता.का. सूर्यवंशी के कर कमलों से सम्मान चिन्ह व सम्मान पत्र, पूना कॉलेज के प्राचार्य डॉ.आफताब अन्वर शेख के हाथों सम्मान चिन्ह, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के प्रधानमंत्री डॉ हेमचंद्र वैद्य के हाथों सम्मान चिन्ह व प्रमाण पत्र, बहुउद्देशीय संस्था, वर्धा की अध्यक्ष श्रीमती तुलसा सरताले की ओर से सम्मान पत्र, शक्ति महिला संस्था, मुंबई के न्यासी माताचरण मिश्र द्वारा सम्मान पत्र तथा सौ. स्वाति कान्हेगावकर-ब्रहमे के हाथों सम्मान पत्र प्रदान करके डॉ. अलका पोतदार को गौरवान्वित किया गया | इस अवसर पर डॉ. अलका पोतदार ने अपने 31 वर्ष के सेवा काल में ‘बालभारती’ से जुड़े सभी शिक्षकों तथा विषय विशेषज्ञों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन हेतु इस स्नेह समारोह का आयोजन किया था, जिसमें डॉ. अलका पोतदार ने अपनी ओर से सभी उपस्थित शिक्षकों एवं विषय-विशेषज्ञों का स्मृति चिन्ह, प्रकाशित अपनी शोध कृति व अभिनंदन ग्रंथ सम्मान स्वरूप प्रदान करके सभी को गौरवान्वित किया | तत्पश्चात सभी को स्नेह भोजन के साथ अपने दायित्व को अत्यंत सुचारु रूप से निभाया | इस समारोह के लिए विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के अध्यक्ष डॉ शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे; संस्थान के महाराष्ट्र प्रभारी डॉ. भरत शेणकर, राजूर; प्रो.डॉ. प्रतिभा येरेकार, नांदेड़, डॉ. शाकिर शेख, डॉ. बाबा शेख, प्रा. अनूया अजित दलवी, औरंगाबाद, डॉ. ममता झा, मुंबई; प्रो. निशा मिश्रा, मुंबई; डॉ. कविता सोनवणे, देवपुर, धुले; प्रा. मैनूद्दीन मुल्ला, औसा, लातूर; प्रा. रामहित यादव, प्रा. शशि निगोजकर, डॉ. रत्ना चौधरी, वर्धा सहित ढाई सौ से अधिक गणमान्यों की उपस्थिति रही। समारोह का सफल संचालन व नियंत्रण श्रीमती आशा मिश्रा तथा मीना अग्रवाल ने किया | दीपक मुदलियार, भिलाई, छत्तीसगढ़ ने धन्यवाद ज्ञापित किए।

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