सफल जैविक खेती के लिए पांच आयामों का उपयोग करना जरूरी :- जिला कृषि पदाधिकारी
स्टार मीडिया न्यूज,
वलसाड। प्रशासन द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि वलसाड जिले के किसान प्राकृतिक खेती करें, प्राकृतिक खेती का प्रचलन बढ़े और किसानों की आय बढ़े, मिट्टी का क्षरण रुके और मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। जिसके अंतर्गत वलसाड तालुका के वलंदी गांव में प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
कृषि और पशुपालन से जुड़ी वलंडी गांव की 45 महिलाओं ने प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया और स्वयं जीवामृत कैसे बने उन्होंने खुद सीखा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला कृषि अधिकारी ए. के. गरासिया ने कहा कि प्राकृतिक खेती के पांच आयामों का उपयोग करना जरूरी है। जिसमें (1) जीवामृत (2) बीजामृत (3) आच्छादन (4) वाफ्सा (5) इंटरपैक शामिल है। वलसाड जिले के आत्मा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर धीरेनभाई पटेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती का अर्थ है प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर उपयोग, बिना बाजार से खरीदे अपने खेत या गांव से लाई गई चीजों का उपयोग करना। जैविक खेती में उपयोग की जाने वाली सामग्री जीव , जमीन , पानी और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। जिला संयोजक एवं कोचवाड़ा गांव निवासी निकुंजभाई एच. ठाकोर ने अपने अनुभव साझा किए और उम्मीद जताई कि वलंदी गांव प्राकृतिक खेती के लिए एक आदर्श गांव बनेगा और आसपास के गांव भी इससे प्रेरणा लेंगे। इस अवसर पर ग्राम सरपंच कुसुमबेन, कमलाबेन, किसान मित्र रतिलालभाई, विजयभाई, मधुबेन, विस्तरण अधिकारी, ग्रामसेवक जतिनभाई, माहेश्वरीबेन, भाविकाबेन, कालिंदीबेन और शीतलबेन मौजूद रहीं।