आखिर किसकी है ये जिम्मेदारी , जीपीसीबी का रटा हुआ जवाब ” जांच है जारी “
स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो,
वलसाड, वापी। बीते कुछ दिनों से एशिया की मशहूर आद्योगिक क्षेत्र वापी में लगातार भीषण आगजनी की घटना निरंतर हो रही है। हालांकि किसी बहुत बड़े जान माल की हानि आधिकारिक आंकड़ों के तहत प्राप्त नही हुई है , लेकिन आस पास के विस्तारों में फैले मजदूरों और रहवासी क्षेत्रो में भय का माहौल है। फायर अधिनियम के मुताबिक कई तरह के कड़े प्रावधान हैं, लेकिन या तो उन कानूनों पर अमल नही किया जा रहा है या सरकारी अफसरों के कान पर जूं नही रेंग रही है। आखिर किस तरह इन घटनाओं पर काबू पाया जाए , इसका तोड़ प्रशासन को निकालना पड़ेगा।
कुछ दिन पहले सरिगाम जीआईडीसी स्थित वाल ऑर्गेनिक नाम की पेट्रोकेमिकल में भयानक आग लगी थी , जिसमे 3 मंजिला इमारत ध्वस्त हो गया था , 2 बड़े अधिकारियों की तडके मौत हो गई थी। पेट्रोकेमिकल लीकेज होने के कारण गोदाम में उपयुक्त वेंटिलेशन न होने के कारण इतना बड़ा हादसा हुआ था , जिसमे जीपीसीबी ने समय रहते ऑडिट सही से किया होता तो ऐसे हादसों से बचा जा सकता था।
वापी जीआईडीसी में लगातार कबाड़ी के गोदामों में आग लगने की घटना सामने आ रही है।
वापी जीआईडीसी में कबाड़ी के कारोबार में लिप्त 80% से अधिक लोगों के पास कोई भी लीगल लाइसेंस न होना , सरकारी भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। 2 दिन पहले हुए भीषण आगजनी में 10 कबाड़ के गोदाम बुरी तरह जल गए। राष्ट्रीय मीडिया ने इस खबर को जगह दिया था। आम तौर पर देखें
ऐसे स्क्रैप गोदामों के मालिक किसी भी प्रकार के अग्नि सुरक्षा उपकरण नहीं रखते हैं, ज्वलनशील पदार्थ और जहरीले रसायनों के ड्रम कंपनियों से लाए जाते हैं और उनके गोदामों में अवैध रूप से जमा होते हैं। जीपीसीबी और संबंधित अधिकारी ऐसे अवैध स्क्रैप के खिलाफ कार्रवाई केवल खानापूर्ति के लिए करते है , प्राप्त जानकारी के अनुसार इन गोदाम वालों से मोटी रकम हफ्ते के तौर पर जमा की जाती है।
अधिकारी इस कदर बेखौफ हो चुके हैं की इस तरह के गोदाम रिहायशी इलाके के अंदर ही अनुमति प्रदान कर देते है। जिससे कई लोगों की जान और माल को खतरा होता है। नियमों के मुताबिक रासायनिक सामान GPCB द्वारा लाइसेंस प्राप्त स्क्रैप डीलरों द्वारा प्रदान किया जाना है, लेकिन वापी में ऐसे किसी नियम का पालन नहीं किया जाता है। अधिकारियों की लीपापोती के कारण कबाड़ी खुले आम मनमानी कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार की जड़ें किस हद तक जीआईडीसी में फैली है , ये तो जांच का विषय है। जीपीसीबी का दायित्व है जनता की उम्मीदों पर खरा उतर कर अपना दायित्व निर्वहन करे। हर आगजनी पर केवल जांच जारी है कह कर अधिकारी पल्ला झाड़ लेते हैं, कभी कोई कड़ी कार्यवाही की खबर जनता तक नही सुनाई पड़ती । आखिर किन लोगों का शह इन उद्योग पतियों को प्राप्त है , जो की बड़ी बड़ी घटनाओं पर शांति से मामले को सुलझा लेते है। मृतक परिवारों को मुवावजे के रूप में क्या मिलता है , इसका भी कोई आधिकारिक आंकड़ा नही मिलता है। इस तरह की भयानक घटनाओं को गंभीरता से लेना पड़ेगा , क्योंकि यह आम आदमी की सुरक्षा से जुड़ा होने के कारण यह मामला अति गंभीर श्रेणी में आता है।