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अप्पापाड़ा की आग: क्यों नहीं जागा उत्तर भारतीय समाज ? :- ओम प्रकाश

स्टार मीडिया न्यूज,
मुंबई में पिछले कुछ महीनों से उत्तर भारतीय समाज को लेकर हलचलें तेज हैं। हर दल को हिन्दीभाषी मतों की तलाश है। जिसे बहुतायत से मिल जाए, उसकी जीत। ३५ से ४० फीसदी वोट बहुत होते हैं। लेकिन , उत्त्तर भारतीयों की इस राजनीतिक तलाश के बावजूद,राजनीतिक दलों और खुद समाज के अग्रणी नेताओं द्वारा समाज की उपेक्षा जस की तस जरी है। अप्पापाड़ा में लगी आग से १००० से ज्यादा उत्तर भारतीयों के घर जल गए। लेकिन हफ्ता भर हो जाने के बावजूद अग्निपीड़ितों को अभी तक न तो सरकार की ओर से कोई मदद मिली है, और न ही कोई राजनीतिक दल ही उनके लिए कोई बड़ी सहानुभूति और सहायता लेकर उतरा है।  जो कुछ हो रहा है, उसमें स्थानीय राजनीति और तकाजों का जोर ज्यादा है, समाज की किसी संगठित भागीदारी का हिस्सा कम।
श्री अबू आसिम और श्री राजहंस सिंह ने अप्पापाड़ा की आग को विधानसभा में उठाया।  श्री राजहंस सिंह और श्री विनोद मिश्रा के लोग मदद में लगे हैं। श्री संजय निरुपम ने भी इलाके का दौरा किया है।  मध्य वर्ग के लोग भी बहुत जागृत होकर अग्निपीड़ितों की मदद कर रहे हैं, लेकिन  उत्तर भारतीय समाज के अधिकांश नेता अभी भी सीन से गायब हैं। उन्हें लगा ही नहीं कि उनके अपने समाज के लोगों के घर जल गए हैं।
इस परिस्थिति  को लेकर समाज में जगह-जगह चर्चाएं उठ खड़ी हुई हैं। लोगों के सीधे सवाल हैं कि समाज और राजनीति में इतनी दूरी क्यों बन गयी है? वोट चाहिए लेकिन साथ खड़े होने को कई तैयार नहीं? सो, लोग ऐसे सरंजाम को भी तलाशना चाहते हैं जो कुछ नेताओं के बदले पूरे समाज को आवाज दे।  इस सिलसिले में उत्तर भारतीय समाज में कई जगह विमर्श हो रहे हैं।  नीचे कांदिवली में हुए कुछ विमर्श का मैं उल्लेख कर रहा हूँ।
ठाकुर विलेज में इस तरह की चर्चा की शुरुआत बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री इंदु प्रकाश तिवारी की अगुवाई में हुई।  जिसमें श्री धनीलाल पांडे, श्री राम यश मिश्रा, श्री बांके लाल शुक्ल, श्री राजेंद्र प्रसाद मिश्रा , श्री सुभाष मिश्रा और श्री एच पी सिंह शामिल हुए। श्री तिवारी ने कहा- “कल्पना कीजिए, उत्तर भारतीय समाज के नेता एकजुट होकर वहां पहुंचते तो क्या सरकारी मदद मिलने में इतनी देर होती ?
दूसरी बैठक अगले दिन कुरार तालुका के अध्यक्ष रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री छोटेलाल सिंह की अगुवाई में हुई। जिसमें समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे श्री शिवजटी सिंह, अखंड राजपूताना के महाराष्ट्र अध्यक्ष श्री राम नवल सिंह और दूसरे कई अन्य समाजसेवी शामिल हुए। , श्री छोटेलाल सिंह ने कहा- “ राजनीति की जांच का लिटमस टेस्ट यह होना चाहिए कि वक्त-जरूरत पर आप समाज के साथ खड़े हुए कि नहीं ? ,” श्री राम नवल सिंह ने कहा- – “ पहले समाज में आम लोगों का,महत्व और योगदान दोनों था। तो लोग एक-दूसरे के सुख-दुःख को पहचानते थे और एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ खड़े होते थी। अब ठेकेदारी सिस्टम हो गया है। सो साथ , सहयोग और संवेदना में भी ठेकेदारी चल रही है। राजनीतिक दलों से कोटेशन पास हो जाएगा तब नेता लोग मैदान में उतरेंगे।” श्री रामपाल सिंह और श्री संतोष सिंह ने कहा- “ हमें अच्छाई के लिए लामबंद होना होगा। अच्छा और बुरा क्या है, इसे लोगों के सामने बार-बार रखना होगा। ”
श्री विनोद सिंह ने कहा- -“ समाज जागृत रहेगा तो राजनीति और राजनेता दोनों पटरी पर रहेंगे। ” श्री महेश सिंह ने कहा- “ समाज को भी अपने और पराये का नोटा जैसा कोई सिस्टम बनाना चाहिए। ”
श्री रवि सिंह और श्री संजय सिंह ने कहा- “ समाज के इकठ्ठा न होने के कई कारण हैं। एक तो यह कि राजनीति समाज के लिए नहीं की जा रही। बल्कि समाज का अपनी-अपनी राजनीति के लिए उपयोग किया जा रहा है। इसलिए राजनेताओं के बीच साझा काम के लिए कोई सहमति नहीं है। दूसरे यह कि सामाजिक संस्थाएं निजी संपत्तियों में बदल गयी हैं। इसलिए ऐसे किसी मुकाम की भी कमी आ गयी है, जहां सभी लोग साथ आ सकें। तीसरे यह कि, समाज में बुद्धिजीवियों, अध्यापकों और दूसरे प्रोफेशनल्स आदि की भी भूमिका होती थी। वह भूमिका कमजोर हुई है। उनकी आवाज फिर वापस लाना चाहिए। जब सब कुछ राजनेताओं के सहारे ही हो जायेगा तो समाज की आवाज तो कमजोर होगी ही। ” इस मौके पर लोगों ने स्व. श्री राजेंद्र चौबे की याद की। जिन्होंने वन विभाग के मलाड से दहिसर तक के समूचे वन इलाके में लोगों के फोटो पास बनवाने में मदद की थी और उसके लिए उन्होंने लम्बी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी।
उत्तर भारतीय समाज से जिन गैर-राजनीतिक व्यक्तियों ने अग्निपीड़ितों की मदद की है, उनमें एक बहुत उल्लेखनीय नाम मुंबई हाईकोर्ट के अधिवक्ता श्री राकेश कुमार सिंह का है। श्री सिंह जाने-माने वकील हैं, बहुत बड़ी प्रैक्टिस है उनकी; लेकिन अप्पापाड़ा के लोगों की मदद के लिए वे खुद कई-कई बार मौके पर मौजूद रहे । भारत उत्थान संघ और खाना चाहिए फाउंडेशन नाम के उनके दो एनजीओ हैं। दोनों ही एनजीओ ने पहले दिन से ही खाने के पैकेट्स, बिस्कुट्स, खाद्य सामग्री और जरूरत के दूसरे सामान बांटने शुरू कर दिए थे ; और आज भी बाँट रहे हैं। श्री सिंह ने अग्निपीड़ितों को भरोसा दिया है कि पुनर्स्थापना के काम में कानूनी सहायता की भी कोई जरूरत पडी तो वे मदद करेंगे। और इसकी जरूरत शायद पड़ेगी ही। यह बात बहुत ध्यान देने की है कि इतने भीषण अग्निकांड के बावजुद अग्निपीड़ितों को सरकारी मदद पाने के लिए मोर्चा निकालना पड़ रहा है और प्रदर्शन करने पड़ रहे हैं। श्री राकेश और उनकी टीम के लोग भी यही कहते रहे, उत्तर भारतीय समाज को अपनी सामर्थ्य और आवाज बनाने के बारे में बहुत गहराई से विचार करना चाहिए।
गुजराती और मारवाड़ी समाज के लोगों ने खूब मदद की है।  यह स्वर तो हर ओर उठा है कि उत्तर भारतीय समाज के उनके अपने तथाकथित बड़े लोग कहाँ हैं ? कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री जय प्रकाश सिंह ( सांताक्रुज ) कहते हैं– “ समाज को मंथन की जरूरत है।  ” श्री सिंह उन नेताओं में से हैं जिन्होंने बहुत जमीनी स्तर पर लोगों की सेवा की है।
सो, सिलसिला शुरू है बातचीत का।  कोशिश है कि जगह-जगह बैठकें बुलाकर फिर एक बड़ी बैठक बुलाई जाए। आशा की जा सकती है कि इन बैठकों के अच्छे परिणाम निकलेंगे।
चित्र:
१. लेखक श्री ओम प्रकाश
२. . श्री इंदु प्रकाश त्रिवारी की अगुवाई में होती बातचीत।  साथ में श्री धनीलाल पांडे, श्री राम यश मिश्रा, श्री बांके लाल शुक्ल, श्री राजेंद्र प्रसाद मिश्रा।
३.  अग्निपीड़ितों को साथ और सहयोग दे रहे श्री छोटेलाल सिंह , श्री राम नवल सिंह , श्री शिवजटी सिंह, श्री रामपाल सिंह,, श्री छगन जी चौहान, श्री साउ जी पटेल, श्री संतोष सिंह, श्री वीरेंद्र सिंह और श्री महेश सिंह।
४.  अप्पापाड़ा में मदद बाँटते अधिवक्ता श्री राकेश कुमार सिंह।

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