लिथियम के भंडार मिलने से आर्थिक , पर्यावरणीय और ऊर्जा में होगा अभूतपूर्व लाभ
न्यूज डेस्क , स्टार न्यूज़ मीडिया
पिछले महीने फरवरी में भारत में लिथियम के भंडार को लेकर बहुत बड़ी खबर आई थी कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने पहली बार जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में करीब 5.9 मिलियन टन लिथियम भंडार खोजे थे। देश में लिथियम की इतनी बड़ी खोज भारत के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। अब लिथियम पर अमेरिका की विश्वसनीय लैब ने भी अध्ययन कर रिपोर्ट साझा किया है।
बर्कले लैब ( अमेरिका) द्वारा किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत को ऊर्जा स्वतंत्रता का मार्ग अपनाना चाहिए और भू-राजनीतिक कारणों से वैश्विक ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव से खुद को बचाना चाहिए।
बर्कले लैब की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत ने अगले 20 वर्षों में आवश्यक लिथियम से अधिक पा लिया है, जो भारत की अपनी ऊर्जा उत्पादन में मदद करेगा। सुविज्ञ है लिथियम का एक बड़ा हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों की कार बैटरी में इस्तेमाल किया जाएगा जिसे पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है और नई बैटरी में पुन: उपयोग किया जा सकता है।
यह अध्ययन, “आत्मनिर्भर भारत के रास्ते,” 2047 तक भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता की दृष्टि के आसपास आधारित है, जो अमेरिकी ऊर्जा विभाग के लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी (बर्कले लैब) ने अध्ययन जारी किया।
अध्ययन से पता चलता है कि स्वच्छ प्रौद्योगिकी को अपनाने से संक्रमण लागत में तेजी से कमी आ सकती है, और लिथियम एज 2047 तक लागत प्रभावी ऊर्जा स्वतंत्रता के लिए एक मार्ग को सक्षम कर सकता है।
भारत की हालिया लिथियम खोज 5.9 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो अगले 20 या इतने वर्षों में संचयी लिथियम आवश्यकता से काफी अधिक है।
अध्ययन करने वाले विद्वानों ने बताया है कि “हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि 2022 और 2040 के बीच कुल संचयी लिथियम आवश्यकताएं लगभग 1.9 मिलियन टन होंगी; 1.7 मिलियन टन लिथियम का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए किया जाएगा।”
अध्ययन में आगे कहा गया है, “हम अनुमान लगाते हैं कि यदि ईवी बैटरियों में लिथियम का पुनर्चक्रण (95% तक) किया जाता है, तो यह स्वच्छ-भारत में 2040 के दशक में वार्षिक लिथियम मांग के एक चौथाई और आधे के बीच पूरा कर सकता है।”
तीव्र आर्थिक विकास ने भारत को दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता बना दिया है। आने वाले दशकों में इसकी ऊर्जा मांग चौगुनी हो जाएगी। भारत वर्तमान में अपने तेल का 90%, अपने औद्योगिक कोयले का 80% और प्राकृतिक गैस का 40% आयात करता है।
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत को ऊर्जा स्वतंत्रता का मार्ग अपनाना चाहिए और भू-राजनीतिक कारणों से वैश्विक ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव से खुद को बचाना चाहिए। अध्ययन ने निर्धारित किया कि ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने से महत्वपूर्ण आर्थिक, पर्यावरणीय और ऊर्जा लाभ उत्पन्न होंगे।
गुजरात के ऊर्जा एवम वित्त मंत्री कनु भाई देसाई ने इस रिपोर्ट पर खुशी जताते हुए कहा की भारत विश्व गुरु बनने के लिए अब प्रकृति ने भी अपने भंडार खोल दिए हैं । देश के यशस्वी प्रधानमंत्री के कड़ी मेहनत और दूर दृष्टि से भारत लगातार दिन दूनी ,रात चौगुनी वृद्धि कर रहा है। जैसा की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि लिथियम का बड़ा हिस्सा बैटरी में इस्तेमाल हो सकेगा। जिससे पेट्रोल ,डीजल के आयात पर काफी राहत मिल सकेगी और मुद्रासफूर्ति में सुधार होगा। लगभग 9000 करोड़ विदेशी डॉलर का खर्च आयात पर होता रहा है। जलवायु परिवर्तन को काबू करने के लिए पूरी दुनिया को है लिथियम आयन बैटरियों से उम्मीद है।
वलसाड जिले के वापी तालुका के बीजेपी आई टी सेल प्रमुख निलेश तिवारी कहते हैं, जिस देश का “राजा ” प्रधान सेवक ईमानदार होता है , प्रकृति भी खुद मेहरबान हो जाती है। इसको चरितार्थ होते हुए लिथियम के भंडार मिलने के कारण अगले 20 वर्षों में को खपत होगी उससे भी अधिक का भंडार प्राप्त हुआ है , जिससे भारत की आर्थिक स्थिति के साथ ही प्रदूषण नियंत्रण हो सकेगा।
दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाली 10 लिथियम बैटरियों में से लगभग चार का इस्तेमाल चीन में हो रहा है। लिथियम की इंपोर्टेड बैटरियों का 77 प्रतिशत उत्पादन भी चीन में होता है। अब लिथियम मिलने पर अगर भारत ने लिथियम बैटरियां बनाना शुरू कर दिया तो चीन को बड़ा नुकसान होगा। अभी तक भारत में जरूरत का 96 फीसदी लिथियम आयात किया जाता है। इसके लिए बड़ी मात्रा में लगभग 9000 करोड विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है।