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वलसाड जिले में पहली बार आदिवासी समुदाय की बेटी बनी पायलट, फिलहाल हैदराबाद एयरपोर्ट से भर रही है अंतरराष्ट्रीय उड़ानें

गुजरात सरकार के विदेश में पढ़ाई करने हेतु 15 लाख की कर्ज सहायता ने आसमान में उड़ने को पंख दिए:-
मिताली पटेल ने अमेरिका के कैलिफोर्निया में पायलट प्रशिक्षण और अबू धाबी में एयरबस प्रशिक्षण लिया:-
वर्ष 2019 में प्रारंभिक वेतन प्रति माह 90 हजार, अब डेढ़ लाख की सैलरी मिलती है:-
आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवारों के लिए सरकार की ऋण सहायता एक प्रकाश स्तंभ साबित हुई
 जिग्नेश सोलंकी
 स्टार मीडिया न्यूज, वलसाड। जीवन में जितना कठिन संघर्ष होगा, जीत भी उतनी ही शानदार होगी।‘ यह कहावत सही अर्थ में वलसाड में रहने वाले एक पिता और उसकी बेटी ने सच साबित कर दिखाया है। उनके इस संघर्ष में गुजरात सरकार उनके साथ खड़ी थी। आदिवासी समुदाय के बच्चों के सपनों को आसमान पर पहुंचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 15 लाख तक की ऋण सहायता प्रदान की जाती है। यह ऋण सहायता खुले आसमान में उड़ने के लिए पंख साबित हुई है। वलसाड जिले में पहली बार आदिवासी समुदाय की एक बेटी काफी संघर्ष और कई निराशाओं को पार कर पायलट बनी है। अब उन्होंने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय उड़ान भरकर अपने सपने को पूरा किया है और पूरे आदिवासी समुदाय और वलसाड जिले का नाम भी गौरवान्वित किया है।
 वलसाड तालुका के राबडा गांव के मूल निवासी हैं और वर्तमान में शहर के बेचर रोड पर स्थित हाईवे पार्क अपार्टमेंट में रहने वाले हितेश ठाकोरभाई पटेल गोरगाम गांव में बैंक ऑफ इंडिया में कैशियर हैं। उनकी दो बेटियां मिताली और दिव्या हैं, जबकि पत्नी हेमलताबेन गृहिणी हैं। बेटी मिताली ने वर्ष 2009 में वलसाड के सेंट जोसेफ ईटी हाई स्कूल से 12वीं पास करने के बाद उनके सामने करियर के कई विकल्प थे। उनमें से ज्यादातर मेडिकल या इंजीनियरिंग क्षेत्र में जाते हैं लेकिन मिताली के मन में कुछ और था। उसने अपने माता-पिता से कहा कि मैं सबसे अलग बनना चाहती हूं। इसलिए उन्हें पायलट की पढ़ाई के लिए मुंबई जाना पड़ा, उसके बाद उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाना और नौकरी पाने तक लाखों रुपये का खर्च था। परंतु उसके बाद भी पिता हितेशभाई और मां हेमलताबेन ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी बेटी को शिक्षित करने के लिए जीवन भर की पूंजी खर्च कर दी, लेकिन आर्थिक संकट पैदा हो गया। उनके मन में यह तय हो गया था कि अपनी बेटी को किसी भी कीमत पर पायलट बनाना है, भले ही अपने दोस्तों तक हाथ फैलाना पड़े। इस कशमकश और हताशा भरी स्थिति में वे एक दिन वर्तमान पत्र में पढ़ा कि गुजरात सरकार के आदिजाति विकास कॉर्पोरेशन द्वारा आदिवासी बच्चों की उन्नति के लिए पायलट योजना के अंतर्गत 15 लाख रूपये तक लोन सहाय विदेश में पढ़ाई करने हेतु मात्र 4 टका मामूली व्याज के दर से मिलता है। उसमें सबसे बड़ी राहत यह थी कि कर्ज लेने के दूसरे महीने से नहीं, बल्कि 1 साल बाद 15 साल तक आसान किश्तों में कर्ज चुकाना था। तो पिता हितेशभाई का दिल पसीज गया कि अब मेरी बेटी का पायलट बनने का सपना गुजरात सरकार की मदद से पूरा होगा। उन्होंने तुरंत वलसाड जिला प्रायोजना विभाग के कार्यालय पहुंचे और विदेशी अध्ययन के उद्देश्य से ऋण के लिए आवेदन किया और एक महीने के भीतर ऋणड स्वीकृत हो गया। मिताली के करियर की शुरुआत गांधीनगर से 15 लाख के चेक से हुई थी। छोटे से कस्बे वलसाड से वे सीधे अमेरिका के कैलिफोर्निया पहुंचीं और डेढ़ साल में कमर्शियल पायलट लाइसेंस (सीपीएल) की ट्रेनिंग पूरी कर स्वदेश लौटीं। यहां पर विदेश लाइसेंस कन्वर्ट कराने के बाद पायलट की नौकरी के लिए पहले रेडियो टेलीफोनिक परीक्षा अनिवार्य है, इसलिए इस परीक्षा को पास करने के बाद मिताली को एयरबस ट्रेनिंग के लिए अबुधाबी जाना पड़ा। जहां दो महीने की ट्रेनिंग के बाद वे भारत लौटीं और विभिन्न एयरलाइंस में महिला पायलटों की भर्ती के लिए अखबार में विज्ञापन पढ़कर साल 2017 में ऑनलाइन फॉर्म भरा। जिसमें उन्हें साल 2019 में चेन्नई एयरपोर्ट पर इंडिंगो एयरलाइंस में नौकरी मिली। तब शुरुआती सैलरी उनकी 90 हजार थी और वर्तमान में हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर मिताली को 1.50 लाख के वेतनमान पर पायलट के रूप में अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट उड़ा रही हैं। इस तरह गुजरात सरकार की मदद से मिताली का आसमान में उड़ने का सपना साकार हुआ है और आदिवासी समाज के कई बेटे-बेटियों के लिए प्रेरणा भी बनी है।
मिताली के माता पिता
आर्थिक संकट के समय में गुजरात सरकार सहयोगी बनी:- माता-पिता
पिता हितेशभाई और मां हेमलताबेन ने कहा कि उनकी बेटी का पायलट बनने का सपना आसान नहीं था। संघर्ष, धैर्य, भाग्य की बलिहारी व कठोर पुरुषार्थ बहुत आवश्यक है। बेटी की उच्च शिक्षा के लिए हमारी आर्थिक संकट के समय गुजरात सरकार हमारी सहायता के लिए आई और 15 लाख की ऋण सहायता प्राप्त हुई। कई छात्र अक्सर वित्तीय समस्याओं के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं। तब गुजरात सरकार द्वारा की गई यह मदद बेटी मिताली के सपनों को उड़ान देने में वाकई सार्थक साबित हुई है। मेरी दूसरी बेटी दिव्या भी अपनी बीएससी और आईटी की पढ़ाई के बाद मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल एयरपोर्ट पर एक कार्यकारी सुरक्षा अधिकारी के रूप में काम कर रही है।
मेरे सपनों को उड़ान भरने के लिए गुजरात सरकार ने दिए पंख:-  पायलट मिताली पटेल
पायलट मिताली पटेल ने कहा कि पायलट की नौकरी पाने के लिए इंटरव्यू के समय बोली, बर्ताव और व्यवहार का बहुत महत्व होता है। एक पायलट को न केवल विमान को उड़ाना होता है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और सलामती के लिए कप्तानी भी करनी होती है। वलसाड से अमेरिका, अबू धाबी से लेकर चेन्नई और हैदराबाद तक, मेरे माता-पिता और खासकर गुजरात सरकार की मदद से मेरे सपनों को उड़ान भरने के लिए पंख मिली। गुजरात सरकार की मदद से मेरे जैसे कई युवाओं को अपने सपनों को साकार करने का साहस मिलता है और आर्थिक मजबूती हासिल करने की ताकत मिलती है। जिसके लिए मैं गुजरात सरकार का हृदय से आभार मानती हूं।

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