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पुरुष नसबंदी को जिले में मिल रहा है अच्छा प्रतिसाद, पुरूषों की सक्रिय भागीदारी बढ़ी

वलसाड जिले में 1 साल में 100 पुरुष नसबंदी ऑपरेशन सफल:-
विशेष लेख :- जिग्नेश सोलंकी 
स्टार मीडिया न्यूज 
वलसाड। जिला पंचायत के स्वास्थ्य विभाग की टीम को परिवार नियोजन के मामले में बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। पिछले एक साल में जिले में 100 पुरुषों ने नसबंदी ऑपरेशन करवा कर समाज और अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई है।
 मर्दानगी शब्द पुरुषों के लिए गर्व की बात माना जाता है। वहीं पुरुष प्यार में अपनी जान देने की बात करता है, परंतु जब पत्नी की सेहत की बात आये और उसे ध्यान में रखते हुए स्वयं नसबंदी करवाये तो उसे ही सच्चा प्यार कहते हैं।और समाज के प्रति कर्ज चुकाना भी कहा जा सकता है। परिवार नियोजन को पुरुषों की उतनी ही जिम्मेदारी माना जाता है, जितनी महिलाओं की जिम्मेदारी बताई जाती है। प्रकृति ने गर्भपात और प्रसव की पीड़ा पुरुषों को नहीं दी है, परंतु महिला की जगह पुरुष नसबंदी कराकर परिवार नियोजन में सहभागी हो सकते हैं। वलसाड जिले में पिछले कुछ वर्षों से लाभार्थी पुरुष नसबंदी ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं हो रहे थे, लेकिन वर्तमान में वलसाड जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.  केपी पटेल और अतिरिक्त जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.  विपुल गामित के मार्गदर्शन में परिवार नियोजन पखवाड़े के अंतर्गत पुरुष नसबंदी के लिए विशेष शिविर शुरू किए गए हैं। जिसके लिए गांव-गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के एमपीएचडब्ल्यू व एफएचडब्ल्यू द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिसके फलस्वरूप वलसाड तालुका के वाघलधरा गांव में 3 लाभार्थी पुरूषों ने नसबंदी कराकर अपनी जवाबदारी निभाई।
समाज में फैली खोटी मान्यता दूर करने में कैसे सफलता मिली, इस मामले में गोरगाम पीएचसी के डॉ. विमल टंडेल ने बताया की पहले नसबंदी के लिए गांव के लक्षित जोड़ों की सूची तैयार की गई। जिसमें 1 बच्चे, 2 बच्चे व 3 बच्चों वाले जोड़ों की सूची तैयार की गई। राज्य सरकार द्वारा पुरुष नसबंदी के आर्थिक और सामाजिक लाभों के बारे में बताया गया। यह समझाने में 10 दिन बीत गए। एक लाभार्थी तैयार हुआ और धरमपुर के स्टेट हास्पिटल शिविर में था, परंतु दूसरे दिन ना बोल दिया और कहा कि मुझे नसबंदी नहीं कराना है। जिससे मुझे चिंता हुई कि अब क्या करें ? परंतु इसके बावजूद हार नहीं मानी और फिर यादी तैयार की जिसमें इस बार चार बातों को ध्यान में रखा गया:-
(1) जिन स्त्रियों को संतान सीजर से हुआ हो ( 2) जिनके पास दो लड़के हो (3) जिनको एक लड़का और लड़की हो (4) जिनको दो लड़की हों ऐसे दंपतियों की यादी बनाकर पुन: प्रयास किया गया और एक लाभार्थी तैयार हुआ। शिविर में अगले दिन सुबह नौ बजे फोन किया तो नाश्ता करके आता हूं परंतु आया नहीं। उसके बाद फिर फोन किया तो पत्नी ने उठाया और उसने बोला कि मेरे पति का आपरेशन रहने दो, अभी वो कंपनी में नौकरी पर लगा है, उसके बदले मैं कुटुंब नियोजन आपरेशन करा लूंगी, ऐसा कहकर फोन रख दिया। उसके बाद दोनों पति-पत्नी रूबरू मुलाकात किया और समझाने के बाद पति अपनी पत्नी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर तैयार हो गया। सिर्फ 10 मिनट में चीर-फाड़ व टांका के वगैर पीड़ारहित आपरेशन किया गया। इसी तरह दूसरे लाभार्थी को मिला, उसके पत्नी को दो सीजर हुआ था। वह भी अपनी पत्नी की चिंता करके नसबंदी के लिए तैयार हो गया। इसी तरह तीसरे लाभार्थी को भी समझाया गया तो वो भी तैयार हो गया और इसी तरह सफलता मिलती गई।
मुझे खुशी है कि मैंने अपनी पत्नी को परिवार नियोजन ऑपरेशन से बचाया:-
पुरुष लाभार्थी ने बताया कि बिना दर्द के ऑपरेशन किया गया। अगले ही दिन से मैंने काम करना शुरू कर दिया। एक महिला को जीवन में कई तरह की पीड़ाओं से गुजरना पड़ता है। परंतु मुझे खुशी है कि मैंने अपनी पत्नी को एक और परिवार नियोजन ऑपरेशन से बचाया। साथ ही, सरकारी योजना के तहत, मुझे 2000 रूपया भी मिला है। इसके अलावा मेरी दो बेटियां होने के कारण मुझे 5000 रूपये का पोस्ट अकाउंट का सेविंग सर्टिफिकेट भी मिला है।
 महिला को स्वस्थ होने में डेढ़ महीना लगता है, जबकि पुरुष अगले दिन काम पर चला जाता है:-
गोरगाम पीएचसी की एफएचडब्ल्यू उषाबेन सोलंकी ने कहा कि परिवार नियोजन ऑपरेशन से महिला को ठीक होने में डेढ़ से दो महीने का समय लगता है, जबकि पुरुष की नसबंदी होने पर वह अगले दिन काम पर जा सकता है। परिवार नियोजन के लिए महिला नसबंदी की तुलना में पुरुष नसबंदी आसान, सुरक्षित और दर्द रहित है। अगर कोई एक बेटी का पिता नसबंदी करवाता है तो 500 रुपये और दो बेटियों के पिता के नसबंदी करवाने पर 5,000 रूपये का बचत प्रमाणपत्र मिलता है। इसके अलावा 2000 रूपये की सहायता तो मिलता ही है और जरूरत पड़ने पर नस को फिर से जोड़ने की सुविधा भी मुफ्त है।
परिवार नियोजन में धरमपुर और कपराडा में सर्वाधिक पुरुषों की भागीदारी:-
वलसाड जिले में एक वर्ष में पुरुष नसबंदी के 100 ऑपरेशन किए गए, जिनमें धरमपुर तालुका में सबसे अधिक 57 और कपराडा में 33 हुआ है। जबकि वलसाड में 7, पारडी में 2 और वापी में 1, जबकि उमरगाम में एक भी ऑपरेशन नहीं हुआ है। अतिरिक्त जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विपुल गामित ने कहा कि यह परिणाम धरमपुर तालुका के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जिग्नेश माहला, कपराडा टीएचओ डॉ. महेश पटेल और वलसाड टीएचओ डॉ. कमल चौधरी और एमपीएचडब्ल्यू सहित टीम की कड़ी मेहनत के कारण हासिल हुआ है।

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