पिछले 6 साल में मलेरिया से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं, स्वास्थ्य विभाग की मेहनत रंग लाई
छह साल में दिमागी बुखार के 14 मामले और मलेरिया के 299 पॉजिटिव मामले देखे गए
गुजरात सरकार का “मलेरिया से लड़ो जंग, आओ लड़िये सौ संग” का नारा घटते मामलों से सच साबित हुआ
रक्त कोशिकाओं के टूटने से भी गर्भवती माताओं और बच्चों में खून की कमी हो जाती है
विश्व मलेरिया दिवस पर विशेष रिपोर्ट:- जिग्नेश सोलंकी
स्टार मीडिया न्यूज,
वलसाड। आज 25 अप्रैल को दुनिया भर में विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो मलेरिया को सामान्य रोग कहा जाता है लेकिन इसकी गंभीरता इतनी अधिक होती है कि यह जानलेवा भी हो सकता है। यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी ने इस बीमारी को जड़ से मिटाने और देश को मलेरिया मुक्त बनाने का संकल्प लिया। जिसका राज्य के मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल की सरकार ने स्वागत किया और राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया उन्मूलन अभियान को एक मिशन के रूप में लिया। जिसके अच्छे परिणाम छेवाड़ा के वलसाड जिले में देखने को मिले हैं। पिछले 6 साल में मलेरिया से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है और 6 साल पहले जिले में मलेरिया के 129 मामले थे जो अब घटकर 8 रह गए हैं। जिससे प्रतीत होता है कि वलसाड जिला अब मलेरिया उन्मूलन की ओर अग्रसर है।
विश्व मलेरिया दिवस मनाने का उद्देश्य जन जागरूकता बढ़ाना और मलेरिया रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए जनता की सक्रिय भागीदारी की तलाश करना है। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि इस वर्ष विश्व मलेरिया दिवस 2023 की थीम “Time to deliver zero malaria: invest, innovate, implement (शून्य मलेरिया देने का समय: निवेश, नवाचार, कार्यान्वयन” है। मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है। मादा एनोफिलीज मच्छर को अंडे देने के लिए खून की जरूरत होती है। तो यह मनुष्य को काटता है।
इससे मलेरिया का कीटाणु मानव रक्त में प्रवेश कर जाता है। मलेरिया के लक्षण मच्छर के काटने के 10 से 15 दिन बाद दिखाई देते हैं। जिसमें सर्दी के कारण बुखार हो, शरीर बहुत टूटा हुआ हो, तिल्ली और लीवर बढ़ गया हो आदि। सही इलाज न होने पर मौत भी हो सकती है। इसके अलावा बड़ी संख्या में रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं, जिससे गर्भवती माताओं और बच्चों में खून की कमी हो जाती है। बरसात के मौसम में जगह-जगह जलजमाव वाले मच्छर पैदा हो जाते हैं। मलेरिया से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है कि रिहायशी इलाकों के आसपास के निजी और आम भूखंडों में जलभराव को दूर किया जाए और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए। याद रखें मलेरिया मच्छरों से फैलता है। इसलिए अगर हम मच्छरों के प्रजनन को रोक दें तो मलेरिया अपने आप खत्म हो जाएगा, लेकिन इसके लिए लोगों का सहयोग बहुत जरूरी है। मलेरिया में दो तरह का बुखार होता है। साधारण बुखार और दिमागी बुखार। दिमागी बुखार जानलेवा भी हो सकता है। पिछले 6 साल में दिमागी बुखार के 14 मामले और मलेरिया (साधारण बुखार) के 299 पॉजिटिव मामले देखे गए हैं। फिर आने वाले दिनों में अगर घर-घर में मलेरिया के खिलाफ जंग- आवो लड़ीये सौ संग का नारा गूंजे तो पूरी सफलता मिलेगी।
90 हजार के लक्ष्य के सामने 108373 लोगों के रक्त की जांच की गई और 123 प्रतिशत सिद्ध प्राप्त हुआ:-
वलसाड जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. वीरेन पटेल ने कहा कि वलसाड जिला में मलेरिया नाबूद होने के कगार पर है। इसका श्रेय स्वास्थ्य विभाग की टीम को जाता है। जिले में 90 हजार लोगों के रक्त परीक्षण का लक्ष्य था जिसके सामने 108373 लोगों का परीक्षण किया जा चुका है और 123 प्रतिशत कार्य सफलतापूर्वक हो चुका है। इस वर्ष 4 माह के दौरान 63887 घरों का सर्वेक्षण किया गया तथा 133527 मच्छरों के पनपने के स्थान पाये गये। जिनमें से 257 जगहों पर मलेरिया के परजीवी पॉजिटिव पाए गए। तो 5992 घरों में टैमीफॉस का छिड़काव किया गया और 1285 गड्ढे पोखरों में बीटीआई तरल का छिड़काव किया गया। जबकि करीब 250 घरों में फॉगिंग भी की गई।
पिछले साल राज्य सरकार ने 70 लाख रुपए का अनुदान आवंटित किया:-
पिछले वर्ष राज्य सरकार द्वारा वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत वलसाड जिला को 70 लाख रुपए का अनुदान आवंटित किया गया था। जिसके माध्यम से मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू एवं फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जनजागरूकता एवं प्रचार-प्रसार कार्यक्रम, फोंगिंग मशीन, दवाईयां, भगाने के अभियान, मलेरिया की प्रति स्लाइड रु. 15 और मलेरिया और डेंगू के मामलों के सर्वेक्षण के लिए रु. 200 का आशा कार्यकर्ता को भुगतान किया जाता है। जिले में मलेरिया उन्मूलन के लिए घर-घर जाकर सघन अभियान चलाया जा रहा है।
मलेरिया से बचने के लिए करें ये उपाय:-
मच्छरों के प्रजनन को रोकने में लोगों का सहयोग प्राप्त करने के लिए घर के अंदर और आसपास पानी नहीं भरना चाहिए, गमलों, कूलरों, सीमेंट की टंकियों, पानी के बक्सों, बैरलों आदि का पानी हर सप्ताह खाली करके, साफ करके, धूप में सुखाना चाहिए। और नए पानी से भरे, पानी के स्रोतों को एयर टाइट ढक्कन से बंद कर देना चाहिए। रखने के लिए, संहारक मछली (गप्पी) को स्थायी रूप से जलभराव वाली जगहों पर रखें, टूटे हुए बर्तन, खाली बोतलें, डिब्बे, पुराने टायर, नारियल की भूसी को नष्ट कर दें। क्योंकि इसमें पानी भरने से मच्छर पैदा होते हैं। इसके अलावा मच्छरदानी में सोने की आदत डालना, मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती या रिपेलेंट का इस्तेमाल करना, घर में कड़वी नीम का धुआंकरना, शरीर को पर्याप्त रूप से ढकने वाले कपड़े पहनना।