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वित्त मंत्री कनुभाई देसाई के हाथों प्राकृतिक कृषि कौशल्य प्रशिक्षण वर्ग का उद्घाटन किया गया 

किसानों की आय दोगुनी करने और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए प्राकृतिक खेती ही सबसे अच्छा विकल्प है:- मंत्री कनुभाई देसाई
स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो, 
 वलसाड। राज्य में पहली बार गुजरात प्राकृतिक खेती और जैविक कृषि विश्वविद्यालय, हालोल व वलसाड जिला के पारडी तालुका के उमरसाडी गांव में स्थित जे.वी.बी. स्मारक हाई स्कूल की एक संयुक्त तत्वाधान में 28 मई से 3 जून तक आयोजित होने वाले प्राकृतिक कृषि कौशल प्रशिक्षण वर्ग का उद्घाटन वित्त, ऊर्जा और पेट्रो रसायन राज्य मंत्री श्री कनुभाई देसाई ने किया।
पारडी के जेवीबी स्मारक हाई स्कूल में आयोजित होने वाले सात दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन के अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री कनुभाई देसाई ने कहा कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी ने दुनिया को विश्व योग दिवस का तोहफा दिया है ताकि पूरी दुनिया स्वस्थ और फिट हो सके। तब प्रधानमंत्री ने पचने में आसान और पौष्टिक आहार माने जाने वाले मोटे अनाज (बाजरा) को तरजीह दी। वर्तमान में पूरा देश बाजरा वर्ष मना रहा है। अब एक कदम आगे बढ़ते हुए मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य के लिए बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती शुरू की गई है। जिसके लिए बजट में प्रावधान किया गया है। गुजरात में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने जैविक खेती के नए आयाम की शुरुआत की है।
प्राकृतिक खेती के महत्व के बारे में बात करते हुए मंत्री कनुभाई देसाई ने आगे कहा कि अगर हम किसानों की आय दोगुनी करना चाहते हैं और जलवायु परिवर्तन से लड़ना चाहते हैं तो प्राकृतिक खेती ही सबसे अच्छा विकल्प है। सरकार ने प्राकृतिक कृषि बोर्ड के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। जैविक खेती सस्ती और बेहतर खेती है। यह आय और स्वास्थ्य भी देता है। राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने राज्य के सभी मंत्रियों और विधायकों को 2 से 3 घंटे का प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण भी दिया है। जैसा कि मैंने खुद को प्रशिक्षित किया है, मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि यह सात दिवसीय प्रशिक्षण न केवल प्रशिक्षुओं को उनकी खुद की खेती में मदद करेगा, बल्कि हजारों किसानों को एक नई दिशा भी देगा। निकट भविष्य में एक बाजार भी स्थापित किया जाएगा ताकि प्राकृतिक खेती के उत्पाद लोगों तक पहुंच सकें।
गुजरात प्राकृतिक खेती और जैविक कृषि विश्वविद्यालय, हालोल (वर्तमान परिसर आणंद) के कुलपति डॉ. सीके टीम्बडिया ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने जहर मुक्त कृषि का सपना देखा है। जिसके तहत 2017 में गुजरात में नेचुरल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई। जिसमें प्राकृतिक खेती का पाठ पढ़ाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के अनुसार बालवाटिका में एन.सी.ई.आर.टी. स्कूल छोड़ने वालों के लिए भी जैविक खेती सफलता के नए द्वार खोलेगी। देश और दुनिया का इकलौता प्राकृतिक कृषि विश्वविद्यालय अपने पास है जो हमें गर्व है। यहां से सात दिवसीय इस प्रशिक्षण के शुरू होने के बाद पूरे प्रदेश में युवाओं में प्राकृतिक खेती की भावना जगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इस अवसर पर गुजरात प्राकृतिक कृषि संवर्धन समिति के मुख्य समन्वयक एवं वर्ष 2022 में गुजरात सरकार के गरिमा पुरस्कार से सम्मानित प्रफुल्लभाई संजेलिया ने कहा कि गुजरात प्राकृतिक कृषि विश्वविद्यालय द्वारा 15 दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ किया गया है जिसके जरिए प्राकृतिक कृषि विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे। प्राकृतिक खेती के पांच आयामों घनजीवामृत, जीवामृत, बीजामृत, आच्छादन, व मिश्रित फसल को पूर्ण रूप से अमलीकरण किया जाये तो मिट्टी में जैविक कार्बन बढ़ता है। जो कृषि के लिए उपयोगी हो जाता है। जैविक खेती उत्पादन लागत कम कर उत्पादन बढ़ाती है और बेहतर गुणवत्ता भी देती है। अगर किसान के घर में देसी गाय है तो उसे रासायनिक खाद या कीटनाशक जैसे कुछ भी बाहर खर्च करने की जरूरत नहीं है। इस कृषि के माध्यम से जल, मिट्टी और पर्यावरण को भी संरक्षित किया जाता है। साथ ही फसल को रोग प्रतिरोधक क्षमता मिलती है। राज्य के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत के नेतृत्व में गुजरात जैविक खेती में काफी प्रगति कर रहा है। फिर ऐसे अल्पकालीन प्रशिक्षण वर्ग में युवक-युवतियों को प्रमाण-पत्र दिये जायेंगे जो रोजगार के लिये उपयोगी सिद्ध होंगे।
7 दिनों के प्रशिक्षण के दौरान 35 युवक-युवतियां प्राकृतिक खेती का पाठ सीखेगीं। स्कूल के कार्यकारी सदस्य और गांव के प्रमुख किसान भरतभाई देसाई को भी मंत्री ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में स्कूल बोर्ड के मंत्री धीरूभाई एन.देसाई, बंकिमभाई देसाई, स्कूल के प्रधानाचार्य विजयभाई पटेल, आत्मा परियोजना डायरेक्टर डी.एन.पटेल, स्कूल स्टाफ, किसान और प्रशिक्षु बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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