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10 जून से मुंबई, ठाणे, रायगड व पालघर के 18 मंदिरों में ‘ड्रेस कोड’ लागू

तंग कपड़ों में ‘नो एंट्री’, महाराष्ट्र के 114 मंदिरों में वस्त्रसंहिता लगाया गया:-
स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो, 
मुंबई। मुंबई के श्री शीतलादेवी मंदिर में महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से शुक्रवार को एक पत्रकार वार्ता आयोजित की गई थी। जिसमें कहा गया कि मुंबई, ठाणे, रायगड और पालघर के 18 मंदिरों में आज से वस्त्र संहिता (ड्रेस कोड) लागू कर दिया गया है। महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक सुनील घनवत ने कहा कि भक्तों को आपत्तिजनक कपड़े नहीं पहनने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का पालन कर मंदिर प्रशासन में सहयोग करें। नए नियमों के मुताबिक शॉर्ट्स हाफ पैंट, भड़काऊ कपड़े और शरीर को बेनकाब करने वाले कपड़े पहन कर आए लोगों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यह नियम लड़कियों, महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों पर भी लागू होगा।
जलगांव, अकोला, धुलिया, नागपुर, नाशिक, अमरावती, अहिल्यानगर (नगर) सहित महाराष्ट्र के कुल 114 मंदिरों में वस्त्रसंहिता (ड्रेस कोड) लागू कि गई है। इस में आज मुंबई, ठाणे, रायगड और पालघर के 18 मंदिर सहभागी हुऐ है, ऐसी जानकारी ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के समन्वयक सुनील घनवट ने दी। इस मौके पर जीएसबी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रवीण कानविंदे, श्री जीवदानी मंदिर के अध्यक्ष प्रदीप तेंडोलकर, कडव गणपति मंदिर के न्यासी (कर्जत) विनायक उपाध्याय, केरलीय क्षेत्रपरिपालन समिति के आचार्य पी.पी.एम. नायर उपस्थित थे। जिन मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू हुई है, उनके नाम सुनील घनवट ने घोषित किए हैं। महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से 7 जून को दादर के स्वातंत्र्ययवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में मुंबई, ठाणे, रायगड एवं पालघर जिले के मंदिरों की न्यासीओं की बैठक आयोजित की गयी थी। इस बैठक में उपस्थित सभी मंदिर न्यासियों ने मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू करने का प्रस्ताव एकमत से पारित किया। वर्ष 2020 में महाराष्ट्र सरकार ने मंत्रालय के साथ ही राज्य के सभी सरकारी दफ्तरों में वस्त्र संहिता लागू किया था। इस में ‘जीन्स पैंट’, ‘टी-शर्ट’, ‘चमकीले रंग के कपड़ों’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह वस्त्रसंहिता लागू करने के पीछे सरकार की मंशा है की सरकार की छबी खराब ना हो। इतना ही नहीं, अपितु देश के अनेक मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च, मस्जिद एवं अन्य प्रार्थनास्थल, निजी अस्थापन, विद्यालय-महाविद्यालय, न्यायालय, पुलिस आदि सभी क्षेत्रों में वस्त्रसंहिता लागू है । वैसी मंदिरों में भी वस्त्रसंहिता लागू होनी चाहिए, ऐसा घनवट ने कहा है। कुछ लोक मंदिर में अंगप्रदर्शन करनेवाले अशोभनीय, अश्लील, भद्दे कपड़े तथा फटी जींस या कम कपड़े पहनकर आते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार जब भक्त सात्विक पोशाक पहनकर मंदिर में आते हैं तो उन्हें मंदिर की सात्त्विकता का लाभ मिलता है, और मंदिर की पवित्रता, शुभता, परंपरा और संस्कृति संरक्षित रहती है। यही कारण है कि मंदिर के न्यासियों ने मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय स्वयं स्फूर्ती से लिया है। यह तो अभी शुरुआत है, ऐसा जीएसबी मंदिर ट्रस्ट के सचिव एवं ट्रस्टी शशांक गुलगुले ने कहा है।
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र का श्री घृष्णेश्वर मंदिर, वाराणसी का श्री काशी-विश्वेश्वर मंदिर, आंध्रप्रदेश का श्री तिरुपती बालाजी मंदिर, केरल के विख्यात श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, कन्याकुमारी का श्री माता मंदिर ऐसे कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में अनेक वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए सात्त्विक वस्त्र संहिता लागू है। गोवा के बहुतांश मंदिरों सहित ‘बेसिलका ऑफ बॉर्न जीसस’ एवं ‘सी कैथ्रेडल’, इन बड़े चर्चों में भी वस्त्र संहिता लागू है। सनातन संस्था श्रीमती धनश्री केळशिकर ने कहा कि मंदिर में सात्विक वस्त्र धारण करने से मंदिर की पवित्रता का लाभ होता है। इस अवसर पर जीएसबी टेंम्पल ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋत्विक औरंगाबादकर, श्री शीतलादेवी एवं मुरलीधर देवस्थान के पालक न्यासी अनिल परूळकर, श्री भुलेश्वर एवं श्री बालाजी रामजी देवस्थान के पालक विश्वस्त दीपक वालावलकर, माहिम के श्री दत्त मंदिर के किशोर सारंगुल, माहिम के श्रीराम मंदिर के सचिव अभय तामोरे, श्री जब्रेश्वर महादेव मंदिर (बाणगंगा) के पंकज सोलंकी आदि लोग उपस्थित थे।
ड्रेस कोड का किया जाएगा प्रचार-प्रसार:-
अगर भक्त फटी जींस, शॉर्ट कपड़े पहनकर मंदिर आते हैं, तो उन्हें ओढ़नी, दुपट्टा और लुंगी दी जाएगी। इससे वे बदन ढंक कर मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे। महासंघ की ओर से कहा गया है कि मंदिर ड्रेस कोड के संबंध में प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
संतों ने किया फैसले का स्वागत:-
मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किए जाने का समर्थन करते हुए अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रान्द सरस्वती ने कहा कि कुछ परिवार के लोग अर्धनग्न वस्त्र में अपने संतानों को मंदिर में भेजने लगे है। जब उन्हें क्लबों में जाने के समय ड्रेस कोड का पालन करने में असुविधा नही है तो मंदिरों के ड्रेस कोड का पालन करने में क्या असुविधा हो सकता है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी के द्वारा मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किए जाने की बात हम सभी को एक राह दिखाई है। हमें पूर्ण विश्वास है कि देशभर के मंदिर जो महंत और विभिन्न अखाड़ों के द्वारा संचालित है, वहां एक सभ्य और सुसंगत ड्रेस पहनकर ही लड़के और लड़कियां प्रवेश करेंगे, यह सभी से अपेक्षा रहेगी।

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