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वलसाड के विकलांग भाइयों द्वारा रक्तदान के रूप में एक अनूठी सेवा

भावसार बंधु बेलडी ने स्वैच्छिक रक्तदान को जीवन मंत्र बनाकर रक्तदान रूपी लाल रंग को जरूरतमंद मरीजों को प्रदान कर रहे हैं:-
स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो, 
वलसाड। 14 जून 2005 को दुनिया भर में विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में स्वैच्छिक रक्तदाताओं को रक्त के बहुमूल्य उपहार के लिए धन्यवाद देकर उन्हें मनाने का एक विशेष अवसर प्रदान करता है।
वहीं वलसाड के विकलांग भाइयों द्वारा रक्तदान की एक अनूठी सेवा प्रदान की जा रही है। वलसाड के छिपवाड़ में रहने वाले श्री हितेशभाई भावसार जो वाणिज्य स्नातक हैं और दादरा स्थित एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं। जिन्होंने 6 साल पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। और उनके भाई श्री हेमंतभाई भावसार जो विज्ञान स्नातक भी हैं और सेलवास स्थित डाबर इंडिया लिमिटेड कंपनी में रसायनज्ञ के रूप में कार्यरत थे। जिन्होंने भी वर्ष 2011 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। दोनों भावसार भाइयों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का कारण बना, Retinitis Pigmentosa नाम का एक पुरानी वंशानुगत नेत्र रोग।
आँख मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। जिसके माध्यम से मनुष्य दुनिया के रंग देख सकता है। इस बीमारी से हारे बिना, भावसार बंधु बेलडी ने स्वैच्छिक रक्तदान को जीवन मंत्र बनाकर रक्तदान रूपी लाल रंग को जरूरतमंद मरीजों को प्रदान कर रहे हैं।
श्री हितेशभाई भावसार ने अपना पहला रक्तदान वर्ष 2001 में किया था और अब तक वे कुल 31 बार रक्तदान कर नियमित रक्तदान का जज्बा दिखा रहे हैं। वे अपने जन्मदिवस पर वलसाड रक्तदान केंद्र में पहुंच कर रक्तदान करते हैं और अज्ञात मानव के जिंदगी को नवपल्लवित करते हैं।
श्री हेमंतभाई भवसार की रक्तदान यात्रा उनके कॉलेज के दिनों में शुरू हुई थी और वर्षों बाद वे 2006 से नियमित रूप से रक्तदान रूपी सेवा यज्ञ में अपनी आहुति दे रहे हैं। वे अब तक 29 बार रक्तदान भी कर चुके हैं और अपना अमूल्य योगदान देकर जरूरत मंद लोगों की जिंदगी बचा रहे हैं। वे पिछले कई वर्षों से 14 जून विश्व रक्तदाता दिवस पर नियमित रूप से रक्तदान करके अपना कर्तव्य बखूबी निभा रहे हैं। एक तरह से देखा जाए तो ऐसे दुर्लभ और विकलांग रक्तदाता जो सही मायने में रक्तदान महादान का आदर्श वाक्य को चरितार्थ कर रहे हैं।
 इन दो विकलांग रक्तदाताओं की रक्तदान सफर के सारथी भीखूभाई भावसार हैं जो स्वयं भी वलसाड के शतक रक्तदाता हैं जो 113 बार रक्तदान कर चुके हैं। इसके अलावा भीखूभाई भावसार नानी छिपवाड़ युवक मंडल-वावड़ी गणेश महोत्सव के सक्रिय सदस्य के रूप में उनका प्रोत्साहन और प्रेरणा बनकर दोनों दिव्यांग भाइयों के लिए नियमित रक्तदान के लिए निमित्त बन रहे हैं।
 भीखूभाई भावसार इन दोनों दिव्यांग भाइयों को रक्तदान केंद्र या रक्तदान शिविर में रक्तदान के लिए 24 घंटे 365 दिन लाने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाते रहे हैं। पिछले 13 वर्षों में भीखूभाई और सहयोगी मितेश भंडारी (93 बार रक्तदान) द्वारा रक्तदान केंद्रों की आवश्यकता के अनुसार केंद्र में जाकर और 25 रक्तदान शिविरों का आयोजन कर 2000 यूनिट से अधिक रक्त एकत्रित कर सराहनीय कार्य किया है। इसके अलावा युवा रक्तदाताओं व दिव्यांग रक्तदाताओं के लिए नियमित रक्तदान का माध्यम बनकर सिर्फ 14 जून को ही नहीं बल्कि नियमित विश्व रक्तदाता दिवस मना रहे हैं।
 दोनों दिव्यांग भाइयों द्वारा रक्तदान के रूप में निःस्वार्थ सेवा के लिए रक्तदान केंद्र और राजनीतिक गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रशंसा पत्र और स्मृति चिन्ह देकर उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है। रक्तदान के क्षेत्र में इन दोनों भाइयों की भागीदारी सराहनीय है और इन्होंने रक्तदान के माध्यम से निःस्वार्थ सेवा कर अनगिनत जरूरतमंदों की रक्त की आवश्यकता को पूरा किया है और अपनी सेवा की महक फैलाई है जो सराहनीय है।

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