श्यामजी मिश्रा
वलसाड जिला। हरी-भरी हरियाली और प्रकृति की अनुपम सौंदर्य के बीच धरती पर स्वर्ग के समान जैसा माँ विश्वंभरी तीर्थ यात्रा धाम में होली-धुलेटी के पावन अवसर पर दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। होली के पूर्व संध्या पर इस धाम में विशाल रूप से होलिका दहन विधि-विधान के साथ किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए।
वहीं होली के दिन इस धाम में दर्शनार्थियों का हुजूम उमड़ पड़ा। दूरदराज से आये हुए सभी दर्शनार्थी लाइन लगाकर माँ विश्वंभरी व पर्वत पर विराजमान भगवान महादेव के दर्शन कर लाभ प्राप्त किया। उसके बाद सभी दर्शनार्थियों ने माँ विश्वंभरी तीर्थ यात्रा धाम का भ्रमण कर अलौकिक वातावरण का अवलोकन किया।
आपको बता दें कि इस धाम में अलौकिक शाला (मंदिर) में माँ विश्वंभरी के चैतन्य मूर्ति स्वरूप के दर्शन होते हैं। पाठशाला के शीर्ष पर हिमालय में शिव दर्शन, गोकुलधाम में श्रीकृष्ण द्वारा उठाया गया गोवर्धन पर्वत और द्वापर युग की जीवनशैली को दर्शाती नंदबाबा की कुटिया, वैकुंठधाम में गीर गायों के लिए आदर्श गौशाला, पंचवटी में वनवास के दौरान श्रीराम-सीताजी और लक्ष्मलजी के संघर्ष के दर्शन और नारियल तथा कदम के पेड़ों के बीच विशाल परिसर में कुटियां तथा बगीचे में शेर, गजराज, जिराफ़, हिरण, बंदर सहित जानवर और मोर, तोते, कबूतर, गौरैया आदि की जीवंत मूर्तियाँ हर किसी का मन मोह लेती हैं।
विशाल वृक्ष, नारियल के पेड़, विभिन्न धामों की स्थापत्य सौंदर्य, उन सभी के लिए पर्याप्त जगह, बेदाग स्वच्छता जो मंदिरों में शायद ही कभी देखी जाती है, पार नदी की शीतलता के साथ बहती मीठी हवा और सबसे ऊपर धामों में प्रवेश करते ही हर इंसान के दिल में जो विशेष अनुभूति होती है, वह माँ विश्वंभरी के इस धाम को अविस्मरणीय बनाती है।