25.7 C
New York
Tuesday, Apr 30, 2024
Star Media News
Breaking News
Breaking Newsगुजरातप्रदेश

चेरापूंजी का क्षेत्र कहा जाने वाला कपराड़ा तालुका के गांवों में गर्मी आते ही पानी की किल्लत शूरू

आदिवासी महिलाओं को नहीं मिल पा रहा है नल से जल योजना का लाभ,

आदिवासी महिलाओं को पानी के लिए जाना पड़ता है दूर-दूराज में लगे हैंडपंपों तक,
श्यामजी मिश्रा
वलसाड जिला। देश में लोकसभा आम चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है। नेता जगह-जगह प्रचार कर रहे हैं और बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं। वहीं आज हम बात करने जा रहे हैं वलसाड जिला में स्थित चेरापूंजी क्षेत्र कहे जाने वाले धरमपुर और कपराड़ा तालुका के उन गांवों का, जहां की आदिवासी महिलाएं आज भी पानी के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं।
गर्मी का मौसम शुरू होते ही महाराष्ट्र सीमा पर स्थित कपराडा गांवों में पानी की किल्लत शूरू हो गई है। जबकि वलसाड जिला के कपराडा और धरमपुर तालुका क्षेत्र वर्षा के मामले में चेरापूंजी के बराबर हैं। गर्मी शुरू होने से पहले ही क्षेत्र के कई गांवों में पानी की समस्या शुरू हो जाती है, जिसे देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने  कपराडा और धरमपुर के जलविहीन गांवों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 650 करोड़ रुपये से अधिक की एस्टोल समूह जल योजना शुरू की थी। परंतु सरकारी तंत्र के भ्रष्ट आचरण और राजनेताओं से मिली भगत होने के कारण इस योजना के तहत लोगों को जो सुविधा अनुसार पीने का पानी मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पा रहा है। आज भी आदिवासी महिलाओं को पीने का पानी के लिए दूर-दराज पर लगे हैंड पंपों पर लाइन लगाकर पानी लेना पड़ता है। बहुत सी आदिवासी महिलाएं ऐसी भी जिन्हें घंटो तक लाइन लगाने के बाद भी पानी नसीब नहीं होता है। एस्टोल समूह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट था। परंतु ऐसा लगता है कि यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। जिसमें सरकारी अधिकारियों से लेकर राजनेताओं ने भी अपने-अपने हाथ महंगे-मंहगे साबुन धोए, जिससे आदिवासी महिलाओं को पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस योजना के अंतर्गत बनाये गये सभी पानी की टांकी, पानी के लिए पाइपलाइन जैसे अन्य कामों में नियमानुसार माल-सामान का उपयोग नहीं किया गया है। इसलिए एस्टोल समूह योजना के अंतर्गत पानी का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण अंदरूनी इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र सीमा से सटा हुआ वलसाड जिला के कपराड़ा तालुका का अंदरूनी इलाका हुंडा गांव, पांचवेरा गांव, वडोली गांव, आसलोना गांव, वावर गांव, बारपुडा गांव, मालघर गांव, विराक्षेत गांव आदि गांवों तक एस्टोल समूह योजना के अंतर्गत जल आपूर्ति विभाग के तहत पानी की टांकी तक पहुंचाया जाता है। परंतु कुछ बस्तियां ऐसी हैं, जहां आज तक नल से जल नहीं पहुंच सका है। ऐसी ही स्थिती कपराडा से जुड़े धरमपुर तालुका के अंदरूनी इलाकों में भी बनी हुई है।

Related posts

वापी में “एक्शन फॉर क्लाइमेट करेक्शन – सौर ऊर्जा” पर जागरूकता सत्र का हुआ आयोजन , वी आई ए ने उठाया महत्वपूर्ण कदम

starmedia news

 मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत वलसाड जिला में विगत दो वर्षों में 329.03 करोड़ रुपये की लागत से 355 सड़क कार्यों की स्वीकृति; 236 गांवों को मिलेगा लाभ

starmedia news

वलसाड की सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज को जीटीयू इंटर जोन वॉलीबॉल प्रतियोगिता में मिली शानदार सफलता

starmedia news

Leave a Comment