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वलसाड जिलाधिकारी क्षिप्रा आग्रे की अध्यक्षता में की गई जिला महामारी व संकलन समिति की बैठक

कुत्ते के काटने पर और जानवरों के काटने के मामलों में त्वरित उपचार प्रदान करने के लिए सिविल अस्पताल में 24 घंटे का सेंटर खोला गया:- 
स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो,
 वलसाड। वलसाड जिलाधिकारी क्षिप्रा आग्रे की अध्यक्षता में बुधवार 28 जून को कलेक्टर कार्यालय के सभागार में संचारी महामारी के रोकथाम के लिए जिला महामारी व संकलन समिति की बैठक आयोजित की गई। जिसमें जिला पंचायत की स्वास्थ्य शाखा द्वारा किये गये कार्यों एवं आगामी दिनों में किये जाने वाले कार्यों की समीक्षा की गई। इसके साथ ही राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम की बैठक एवं तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम-2003 के तहत तम्बाकू नियंत्रण समिति की जिला संचालन समिति की बैठक भी हुई। जिसमें जिलाधिकारी द्वारा लोगों के स्वास्थ्य को लेकर विभिन्न सुझाव दिये गये। इस बैठक में जिला विकास अधिकारी मनीष गुरवानी भी उपस्थित थे।
संचारी महामारी बैठक में बुखार, डायरिया, पेचिश, टाइफाइड और कुत्ते तथा जानवरों के काटने के मामलों की जून 2022 से मई 2023 के 12 महीने के केसों के सामने पिछले 3 महीनों मार्च से मई 2023 के बीच की गई।
मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के पी पटेल ने बताया कि विशेषकर कुत्ते-जानवरों के काटने के मामलों में तत्काल उपचार उपलब्ध कराने के लिए सिविल अस्पताल में 24 घंटे का सेंटर भी खोला गया है। पिछले वर्ष 2022 में लेप्टोस्पायरोसिस के केवल 2 मामले देखे जाने पर चर्चा करते हुए तदनुसार कार्य करने का कलेक्टर ने सुझाव दिया ताकि इस वर्ष शून्य मामले हों। वहीं मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के पी पटेल द्वारा तालुकावार जानकारी दी गई कि स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा इस बीमारी की रोकथाम के लिए कीमोप्रोफिलैक्सिस दवाओं का वितरण किया जा रहा है। इसके अलावा कृंतकरोधी गतिविधि, शिरो निगरानी रिपोर्ट पर चर्चा की गई।
पिछले 5 वर्षों में वलसाड जिले में तालुकावार मौसमी फ्लू (H1N1) की रिपोर्ट पर चर्चा की गई। वर्ष 2017 में जिले में मौसमी फ्लू के 31 पॉजिटिव मामले सामने आए और 11 मौतें हुईं। जिसके सामने वर्ष 2022 में 12 पॉजिटिव केस और 1 मृत्यु दर्ज की गई। जबकि मौजूदा साल 2023 में अब तक एक भी पॉजिटिव केस देखने को नहीं मिला है। चालू वर्ष 2023 में जनवरी से लेकर जून तक कोविड-19 कोरोना के कुल 343 मामले देखे गए। वर्ष 2013 में जहां मलेरिया के 4547 मामले सामने आए थे, वहीं पिछले वर्ष 2022 में केवल 8 मामले और वर्तमान वर्ष 2023 में जनवरी से अप्रैल तक केवल 5 मामले स्वास्थ्य विभाग के गहन कार्य के कारण सामने आए। जबकि वर्ष 2013 से अब तक जिले में मलेरिया से एक भी मौत नहीं हुई है। साल 2013 में डेंगू के 98 मामले देखने को मिले थे, जो 2022 में घटकर 22 हो गई। जबकि इस साल एक भी मामला देखने को नहीं मिला है। जिला महामारी नियंत्रण अधिकारी डॉ. मनोज पटेल ने बताया कि वर्ष 2022 में जिले में चिकनगुनिया के 5 मामले सामने आये थे, लेकिन इस वर्ष अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है।
बैठक में तंबाकू नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन के कार्यों पर भी चर्चा की गई:-
 तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम की बैठक में वर्ष 2017-18 में 60 विद्यालयों के लक्ष्य के सामने 63 विद्यालयों में 12589 छात्र-छात्राओं को तम्बाकू सहित अन्य व्यसनों से शरीर को होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक किया गया। जबकि वर्ष 2022 में 60 विद्यालयों के लक्ष्य के सामने 54 विद्यालयों में 8652 विद्यार्थियों की काउंसिलिंग की गयी तथा चालू वर्ष 2023 में अब तक 8 विद्यालयों में 839 विद्यार्थियों की काउंसिलिंग की गयी। वलसाड की जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज में कार्यरत तम्बाकू सेशन सेंटर में वर्ष 2017-18 में 1237 जबकि गत वर्ष 2022-23 में 2259 रोगियों को परामर्श दिया गया। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाये जाने के बारे में जानकारी दी गयी। सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 का उल्लंघन करने पर जुर्माने और दंड के बारे में समझाया गया। तंबाकू नियंत्रण के उल्लंघन के लिए जिला स्कोड विभाग, स्वास्थ्य विभाग, नगर पालिका, पुलिस, शिक्षा विभाग, परिवहन विभाग और खाद्य एवं औषधि नियामक प्राधिकरण द्वारा 2017-18 में कुल 1491 मामले दर्ज किए गए थे और 2,84,190 रुपये जुर्माना वसूला गया था। जबकि चालू वर्ष 2023 में 25 जून तक 37 केस और 5100 रुपये जुर्माना वसूला गया है।
राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम की बैठक में चर्चा की गयी कि जिले के 3 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं 2 सामूहिक स्वास्थ्य केन्द्रों में वर्षा जल संचयन, 3 पीएचसी एवं 2 सीएचसी में सोलार सिस्टम तथा 3 पीएचसी और 2 सीएचसी में गैर एलईडी बल्ब के बदले एलईडी बल्ब लगाये गये हैं। वहीं वायु प्रदूषण के कारण तीव्र श्वसन बीमारी के मामलों की निगरानी पर चर्चा की गई।
इस बैठक में जिला आपूर्ति अधिकारी काजल गामित, अपर जिला स्वास्थ्य पदाधिकारी डाॅ. विपुल गामित, आरसीएचओ डाॅ. एके सिंह, जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डाॅ. हरपाल सिंह, निजी अस्पतालों के विशेषज्ञ, जिले के सभी तालुका स्वास्थ्य अधिकारी व चिकित्सा अधिकारी उपस्थित थे।

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