स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो,
वलसाड । वलसाड के राबडा गांव में स्थित सुप्रसिद्ध माँ विश्वंभरी तीर्थ यात्रा धाम के पंचवटी में श्री राम कुटीर है। त्रेता युग में श्री राम और सीता माता ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान संघर्ष की स्थिति में आदर्श जीवन जीया था, जिसे इस धाम की पंचवटी में देखा जा सकता है। श्री राम ने अपने जीवन काल में कभी मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं किया। इसलिए उन्हें मर्यादापुरुषोत्तम कहा जाता है।
श्रीराम ने स्वयं एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई और आदर्श राजा के रूप में जीवन जीकर पूरे विश्व को आदर्श परिवार व्यवस्था की शिक्षा दी और अधर्म का नाश कर सत्य धर्म की स्थापना कर विश्व को सत्य और असत्य का अंतर भी समझाया। और प्रत्येक मनुष्य को उनके जीवन से सीख लेकर आदर्श जीवन जीना चाहिए। लेकिन त्रेता युग में श्री राम द्वारा प्रतिपादित आदर्श परिवार व्यवस्था और द्वापर युग में श्री कृष्ण द्वारा प्रतिपादित आदर्श सामाजिक व्यवस्था आज के समय में बिखरी और खंडित नजर आ रही है। मूल वैदिक संस्कृति को आज भुला दिया गया है।
आज का मनुष्य अधिकांशतः शक्ति की उपासना छोड़ कर व्यक्तिगत उपासना में फँस गया है, सत्कर्म व सत्य का आचरण करना बन्द कर दिया है तथा प्रकृति को नकारने लगा है। इसके कारण वर्तमान समय में सर्वत्र अराजकता, पापाचार , दुराचार , अनैतिकता, अन्याय, बेईमानी और अत्याचार देखने को मिलता है। आज संसार में 98% असत्य का प्रभाव और सत्य का आचरण मात्र 2% ही दिखाई देता है। वर्तमान में पुनह भगवान श्री राम जी अयोध्या में पधारे हैं। भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों किया गया है। पूरे देश में उत्सव मनाया जा रहा है।
वहीं इस अवसर पर माँ विश्वंभरी तीर्थ यात्रा धाम में भी भव्य उत्सव मनाया गया। इस धाम में स्थित पंचवटी में श्री राम कुटीर को रंग-बिरंगे फूलों और लाइटिंग से सजाया गया था। 22 जनवरी को प्रातः 11 बजे एक भव्य उत्सव आयोजित किया गया जिसमें भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।
इस धाम के संस्थापक श्री महापात्र द्वारा पूरे विश्व को मूल वैदिक संस्कृति, सनातन धर्म, मूल भक्ति, मोक्ष का मार्ग, सत्यधर्म और कर्म को व्यावहारिक रूप में सीखने और जानने को मिल रहा है। यह धाम दुनिया के हर घर को एक घर मंदिर बनाने के लिए प्रयासरत है, हर इंसान सात्विक शक्ति की पूजा करता है और वैदिक विचारधारा के अनुसार जीवन व्यतीत करता है, साथ ही कर्तव्यनिष्ठ होकर प्रकृति के नियमों का ईमानदारी से पालन करता है।