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वापी में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है गुरु गोविंद सिंह की 354 वी जयंती, 3 ,4 और 5 जनवरी तक चलेगा महोत्सव, 

कृष्ण मिश्र “गौतम”

स्टार मीडिया न्यूज, वापी । खालसा पंथ की स्थापना करने वाले ओर सिख धर्म के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की 354वीं की जयंती वापी दमन सिलवासा द्वारा वापी के चनोद स्थित गुरुद्वारे में प्रकाश पर्व के रूप में में मनाया जा रहा है। गुरुद्वारा प्रबंध कमिटी के सदस्य गुरुबिंदर सिंह ने बताया की 2 खुशियां एक साथ साझा करने का महान अवसर आज संगत को मिला है । 25 वर्ष पहले छोटे से गुरुद्वारे के रूप में आकार लेता गुरुस्थल आज विशाल गुरुद्वारे का रूप ले चुका है। वापी ,दमन सिलवास के सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा की सभी के अथक सहयोग से गुरुद्वारे का निर्माण कार्य संपन्न हो चुका है। इसी खुशी में गुरुजी का प्रकाश पर्व भी मनाया जा रहा है जो की हर पंजाबी के लिए गौरव की बात है।

गौरतलब है की वापी-दमन-सिलवासा के समस्त पंजाबी समुदाय श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के 357वें प्रकाश पर्व के अवसर पर 3, 4 और 5 जनवरी 2023 को गुरु नानक दरबार के 25 साल पूरे होने पर बड़े ही धूमधाम से मना रहा है। यह कार्यक्रम 3 जनवरी 2023 से आरंभ होकर श्री अखंड पाठ साहिब जी का 5 जनवरी 2023 को समाप्ती के साथ संपन्न होने वाला 3 दिवसीय महाउत्सव है। इस दौरान रागी जत्थों ने गुरू गोविंद सिंह महाराज के जीवन पर प्रकाश डाला और संगतों को निहाल किया। लगातार 3 दिन तक चलने वाले कार्यक्रम में रागी जत्थों द्वारा गुरू बाणी का पाठ चल रहा है। इस दौरान श्रद्धालुओं के लिए गुरुजी के लंगर का भी आयोजन प्रबंध कमिटी द्वारा किया गया है। प्रबंध समिति गुरु नानक दरबार वापी , गुरुद्वारा कमेटी ने सभी अनुयायियों, धर्मावलंबियों से इस महोत्सव में भाग लेने का साथ ही गुरु के लंगर में शामिल होने का अनुरोध किया है।

श्री गुरू गोविंदसिंह की जयंती प्रकाश पर्व के रूप में बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है,

” बता दें कि,सिख समुदाय गुरु गोविंदसिंह की जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में बड़े ही उमंग और उत्साह के साथ मनाते आए हैं। वे एक आध्यात्मिक गुरु थे जिन्होंने मानवता को शांति, प्रेम, करुणा, एकता और समानता की सीख दी। गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 में माता गुजरी व पिताश्री गुरु तेग बहादुर के घर पटना साहिब में हुआ था। गुरु गोविंद सिंह के चार पुत्र बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह थे। देश व कौम की खातिर गुरु गोविंद सिंह के दो पुत्र जंग के मैदान में तथा दो पुत्रों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था। गुरु गोविंद सिंह ने कभी भी मुगलों की नहीं मानी और वे उनका डटकर मुकाबला करते रहे। गुरु गोविंद सिंह को सरबंसदानी कहा गया है।”

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