साई भक्त और सनातनी आमने-सामने , सभी के अपने अपने तर्क , ज्यादातर समर्थन में:-
स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो ,
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री निरंतर चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं। जबलपुर में बाबा ने कहा है कि “साई बाबा एक संत या फकीर हो सकते हैं, परंतु सनातन के ईश्वर नहीं” । साथ ही इस बात को मुहावरे ढंग में पेश हुए करते कहा है की गीदड़ की खाल ओढ़े कोई शेर नही हो सकता। इसी बात को लेकर फिर से बाबा सुर्खियों में है। हालांकि साई बाबा को भारत समेत अन्य कई देशो में काफी मानने वाले लोग हैं, कई लोगों को इस बयान से आघात लगा हैं , वही कुछ लोग हैं, जिन्हे इन बातों में कुछ भी गलत नही लगता। कई उद्योगपति , शिक्षाविद ,पत्रकार , सनातनी , गैर सनातनी , अन्य धर्मों के धर्म गुरु ,पढ़े लिखे युवा , बुजुर्ग , गांव के लोगों से इस विषय को लेकर चर्चा होने पर लगभग 70 प्रतिशत लोगों को इस बयान से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन राजनीतिक पार्टियों से प्रेरित लोग इसे साई बाबा का अपमान कर उन्हें निशाने पर ले रहे हैं।
विस्तार में मामला कुछ इस तरह का है , कि मध्य प्रदेश के जबलपुर में आयोजित एक कथा आयोजन में पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से जब शैलेन्द्र राजपूत नामक युवा ने साई बाबा की पूजा के नाम पर प्रश्न पूछा, तो फिर उत्तर में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा “हमारे धर्म के शंकराचार्य जी ने साईं बाबा को देवता का स्थान नहीं दिया है। शंकराचार्य हिंदू धर्म के प्रधानमंत्री हैं। इसलिए, उनकी बात मानना प्रत्येक सनातनी का धर्म है। हमारे धर्म के कोई भी संत चाहे वह गोस्वामी तुलसीदास जी हों या सूरदास जी हों, संत हैं, महापुरुष हैं, युगपुरुष हैं, कल्पपुरुष हैं लेकिन भगवान नहीं हैं।”
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने यह भी कहा, “लोगों की अपनी-अपनी आस्था है। किसी की निजी आस्था को हम ठेस नहीं पहुँचा सकते हैं। लेकिन, इतना कह सकते हैं, साईं बाबा संत हो सकते हैं, फ़कीर हो सकते हैं लेकिन भगवान नहीं हो सकते। हमारे ऐसा बोलने को लेकर लोग इसे कंट्रोवर्सी कह सकते हैं। लेकिन यह बोलना बहुत जरूरी है कि खाल पहनकर कोई गीदड़ शेर नहीं बन सकता।”