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अयोध्या में भगवान श्री राम जी के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में 21 जनवरी को अखंड रामायण का भव्य आयोजन

अखंड रामायण के भव्य आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होगें वित्त मंत्री कनुभाई देसाई, 
श्यामजी मिश्रा 

वलसाड । वर्तमान समय में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य जोरों पर चल रहा है और आगामी 22 जनवरी को श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जायेगी। इस अवसर पर 22 जनवरी को भगवान श्री रामचन्द्रजी के आगमन को लेकर पूरे देश में उत्सव की तैयारी की जा रही है। इसी के उपलक्ष्य में वलसाड शहर के बेचर रोड स्थित एपीएमसी मार्केट के प्रांगण में श्री रामचरित मानस पाठ (अखंड रामायण) का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह भव्य आयोजन समाज सेवक व फ्रूट्स व्यापारी अरूण त्रिपाठी के मार्गदर्शन में वलसाड फ्रूट मर्चेंट एण्ड कमीशन एजेंट एसोसिएशन द्वारा आयोजित किया जा रहा है। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में वित्त, ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल राज्य मंत्री कनुभाई देसाई, विधायक रमणलाल पाटकर, विधायक भरतभाई पटेल, वीआईए प्रमुख सतीशभाई पटेल, वलसाड जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन अरविंदभाई पटेल, एपीएमसी मार्केट के चेयरमैन भरतभाई जी पटेल, फ्रूट मर्चेंट एण्ड कमीशन एजेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आर सी पांण्डेय सहित हजारों की संख्या अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे। अखंड रामायण का शुभारंभ 21 जनवरी को सुबह 9 बजे से होगा और 22 जनवरी को हवन के साथ पूर्णाहुति होगी। अखंड रामायण की पूर्णाहुति के बाद महाप्रसाद का भी आयोजन किया गया है। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सुरेंद्रचंद्र त्रिपाठी, शशिकांत तिवारी, राकेश तिवारी, सुनील तिवारी, नरेश बलसारा, अमरेश तिवारी व अजीत कुमार शाह सहित केरी मार्केट के व्यापारी तथा अन्य रामभक्त कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

करूणा को समझना हो तो तुलसीदास जी की पंक्तियाँ बड़े काम की हैं:-
सोच का दायरा बढ़ाकर विचार करें कि आपके परिवार, समाज और देश को लगातार नए-नए चीजों की जरूरत है। नवीनता आप सबके लिए स्वीकार कर रहे हैं। प्रयास भले ही आपका व्यक्तिगत होगा, लेकिन परिणाम सार्वजनिक होना है। निजी प्रयासों को सार्वजनिक बनाने का एक अच्छा उदाहरण है गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन। तुलसीदास जी ने जिस उदारता से उन्होंने दृश्य लिखे उसी के कारण श्रीराम कथा जनमानस में रच-बस गई है। आज मनुष्य योग्य होने की कोशिश कर रहा है और इसीलिए अहंकारी होता जा रहा है। इससे उसके व्यक्तित्व में कठोरता आ गई है, जो करूणा से ही समाप्त होगी। करूणा को समझना हो तो तुलसीदास जी की पंक्तियाँ बड़े काम की हैं। एक-एक शब्द को उन्होंने हृदय में डुबोकर लिखा है। वे पूरे समाज के उद्धार की करूणा लिए श्रीराम कथा लिख रहे थे, इसीलिए वह नव-सृजन आज भी घर-घर में रच-बस गया है।
लोग श्री रामचरित मानस का श्रवण कर जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाते हैं:-
जीवन में जब सौ जन्म का पुष्पोदय होता है तभी श्री रामचरित मानस का पाठ कराने और सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। देव दुर्लभ मानव तन रामजी की ही कृपा से प्राप्त होता है। इस भव सागर से तरने का सुगम साधन मानव तन ही है। श्रीरामजी के चरित्र का वर्णन विविध रामायण ग्रंथों में वर्णित है। संसार में चार प्रकार के भक्त होते हैं। अति जिज्ञासु अर्थार्थी तथा ज्ञानीभक्त सभी भक्त रामजी के प्रिय हैं। ज्ञानी भक्त रामजी को विशेष प्रिय है। श्रीरामचरित मानस श्रवण से सरलता पूर्वक इस भवसागर से पार पा सकते हैं। जो वस्तु हम खाते हैं, वह मलमूत्र के द्वारा बाहर निकल जाता है लेकिन जो हम श्रवण करते हैं वह मुख से बाहर निकलता है। इसलिए हम रामचरित मानस पाठ का श्रवण करेंगे तो उसी प्रकार के विचार हमारे मुख से निकलेंगे। श्री रामचरित मानस (अखंड रामायण) का आयोजन करने वाले बड़े ही सौभाग्यशाली होते हैं, जिनकी प्रेरणा से हजारों की संख्या में लोग श्री रामचरित मानस का श्रवण कर जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाते हैं।

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