स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो,
वलसाड। वलसाड जिला में महिलाओं और शिशुओं की मृत्यु दर को रोकने के लिए 18 से 19 सप्ताह में सगर्भा महिलाओं को सोनोग्राफी अनिवार्य किया गया है। जिसके तहत सरकारी और अनुबंधित निजी केंद्रों पर सोनोग्राफी की जाती है। जिसके लिए गर्भवती महिलाओं को लाने ले जाने हेतु पीएचसी/सीएचसी की एम्बुलेंस/वाहन की भी व्यवस्था की गई है।
वलसाड जिला में मातृ एवं शिशु मृत्यु को रोकने के लिए, सरकार द्वारा संचालित “जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम” के अंतर्गत सरकारी अस्पतालों और अनुबंधित निजी सोनोग्राफी केंद्रों में 18-19 सप्ताह के सगर्भा महिलाओं की मुफ्त सोनोग्राफी की जा रही है। इस सोनोग्राफी को करने का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु की वृद्धि, विकास, शारीरिक रचना की जांच करना है। जिससे जन्म लेने वाले बच्चे में किसी भी प्रकार की विकृति एवं शारीरिक संरचनात्मक विसंगतियों का पता चल सकेगा। सोनोग्राफी के माध्यम से समय पर निदान से मां और बच्चे दोनों के जीवन के जोखिम को कम किया जा सकता है।
वलसाड जिला में वर्ष 2022-23 में कुल 18,576 गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी हुई। जबकि वर्ष 2023-24 में जून तक कुल 10,938 गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी की गई है। जिसमें वर्ष 2022-23 में 12 और 2023-24 तक 20 महिलाओं में दोष पाया गया। जबकि वर्ष 2022-23 में गर्भ में पल रहे 13 बच्चों और वर्ष 2023-24 में 8 बच्चों में दोष पाए गए। सोनोग्राफी के बाद जोखिम में पाई गई गर्भवती महिलाओं को प्रा. आ. केंद्र /यू. पी. एच. सी. के चिकित्सा अधिकारी और स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा निरंतर घरेलू दौरे, समय पर जांच और उचित मार्गदर्शन के साथ सुरक्षित प्रसव कराया गया है। उपरोक्त सभी मामलों की तालुका स्वास्थ्य अधिकारी और जिला स्तरीय आरसीएच अधिकारी द्वारा लगातार निगरानी की जाती है। इसके बाद हर 15 दिन पर माह में दो बार जिला विकास अधिकारी द्वारा सभी मामलों की समीक्षा भी की जाती है।
सोनोग्राफी के माध्यम से समय पर जांच कराने से बच्चे को भविष्य में होने वाले खतरों से बचाकर सुरक्षित मातृत्व प्रदान करने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होती है और गर्भवती माताओं को गर्भावस्था की उचित जानकारी मिलती है और यह मातृ एवं शिशु मृत्यु को रोकने में भी एक बहुत प्रभावी मंच प्रदान करती है।