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मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के कुप्रबंधन को लेकर उपमुख्यमंत्री ने दिया कार्रवाई का आदेश

स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो, 

मुंबई। राष्ट्रवादी पार्टी के नेता शरद पवार की अध्यक्षता वाले मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय में भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन, मनमाना प्रबंधन आदि को लेकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कार्रवाई का आदेश दिया है। उक्त संस्थान में पदाधिकारियों की कुप्रबंधन बढ़ती जा रही है और संस्थान का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस से मुलाकात कर एक ज्ञापन दिया है। इस ज्ञापन में कहा गया है कि वर्ष 2021 में संगठन का चुनाव संगठन के संविधान और नियमों का उल्लंघन कर कराया गया। इस अवैध चुनाव को लेकर चैरिटी कमिश्नर कार्यालय में शिकायतें और दावे दायर किये गये हैं। वर्तमान परिदृश्य में, संगठन के खिलाफ आपराधिक अपराधों सहित कम से कम 5 दावे विभिन्न न्यायाधिकरणों के समक्ष लंबित हैं। साथ ही मौजूदा विवादास्पद पदाधिकारियों ने इस संस्था को एक तरह से हाईजैक कर लिया है। इसके चलते पत्र में एक प्रशासक नियुक्त करके या चैरिटी कमिश्नर के अधिकार के तहत एक तदर्थ समिति नियुक्त करके संगठन के मामलों की जांच करने का अनुरोध किया गया है।
इस बयान में निम्नलिखित मांगें की गई है। मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय की विवादास्पद कार्यकारिणी को तुरंत भंग किया जाना चाहिए और वहां प्रशासक या अस्थायी समिति नियुक्त की जानी चाहिए। संग्रहालय के वित्तीय मामलों की जांच होनी चाहिए। संग्रहालय चुनाव (2021) के संबंध में संविधानेतर कार्यवाही की जांच की जानी चाहिए। संग्रहालय की आय का मुख्य स्रोत ‘शारदा-सिनेमा’ को 2017 से बंद रखने के कारणों की जानकारी दी जाए तथा उक्त थिएटर को प्रारंभ करने के निर्देश दिए जाएं। संग्रहालय परिसर में अवैध पार्किंग, कोर्ट-मामलों, दिए गए ठेकों की जांच की जाए। पुणे, चेंबूर, पंतनगर, बांद्रा में संगठन की संपत्तियों के लेन-देन और भड़कमकर मार्ग पर संगठन की शाखा की अवैध बिक्री की भी जांच की जानी चाहिए और कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। कोविड काल में लॉक डाउन के कारण सभी प्रतिष्ठान बंद होने पर केंद्रीय कार्यालय खुला रखकर ओवरटाइम के नाम पर लाखों रुपये के गबन को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की जाए। मुंबई मनपा के साथ-साथ राज्य सरकार और अन्य संगठनों द्वारा अब तक दिए गए अनुदान और अन्य निधियों का ऑडिट किया जाना चाहिए। संविधान और नियमों का उल्लंघन कर एक ही दिन सदस्य और फिर ट्रस्टी व पदाधिकारी बने लोगों की जांच कर कार्रवाई की जाए। प्राइवेट बाउंसरों की नियुक्ति की जांच कर अनावश्यक रूप से ऐसी नियुक्तियां कर संस्था को नुकसान पहुंचाने वालों की जिम्मेदारी तय कर उनसे वित्तीय नुकसान की वसूली की जाए।

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