मेरी माटी, मेरा देश अभियान अंतर्गत विशेष लेख:- जिग्नेश सोलंकी द्वारा
धरमपुर तालुका स्थित बामटी गांव का वीर जवान कश्मीर में ड्यूटी के दौरान हुए थे शहीद:-
कारगिल युद्ध में अंबेलाल पटेल ने भी भाग लिया था, जब वे सेवानिवृत्ति के कगार पर थे, तब देश की सेवा करते हुए हो गए शहीद:-
वर्ष 2008 में जब शहीद हुए तो बेटा 4 साल का था, और 1 महीने की बेटी का चेहरा देखने से पहले ही हो गए शहीद :-
देशभक्ति में अग्रणी है बामटी गांव, अब तक 18 जवान विभिन्न क्षेत्रों में चुका रहे मातृभूमि का कर्ज:-
स्टार मीडिया न्यूज ,
वलसाड। देश की आजादी और देश की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले शहीदों की याद में 30 अगस्त तक
देशभर में आजादी के अमृतकाल में ”मेरी माटी, मेरा देश” अभियान चल रहा है। इस ऐतिहासिक अभियान के तहत वीरों को सम्मानित किया जा रहा है। वलसाड जिला के धरमपुर तालुका स्थित बामटी गांव में एक या दो नहीं बल्कि 18 जवान देश सेवा में शामिल हुए हैं। जिसमें एक सैनिक ने देश के इतिहास में सबसे गौरवपूर्ण माने जाने वाले कारगिल युद्ध में भी हिस्सा लिया था। वर्ष 2008 में जम्मू-कश्मीर सीमा पर शारीरिक परीक्षण के दौरान वे शहीद हो गए। उनके शहीद होने के बाद परिवार तबाह हो गया। लेकिन सरकार ने चल रहे “मेरी माटी, मेरा देश” अभियान के तहत उनकी गंगा स्वरूपा पत्नी का सरकार सम्मान कर शहीद पति का देश के प्रति कर्ज चुकाने का प्रयास किया।
शहीदों के सम्मान में मनाए जाने वाले “मेरी माटी, मेरा देश” अभियान ने लोगों में देशभक्ति का माहौल पैदा किया है। वीर नायकों की वीरता और बलिदान को याद करने के लिए शुरू की गई यह पहल शहीद नायकों को सच्ची श्रद्धांजलि दे रही है। धरमपुर के बामटी गांव के घोघरपति फलिया में रहने वाले अंबेलाल बाबूभाई पटेल ने 20 साल तक सीमा सुरक्षा बल में काम करके देश की सेवा की। जब उनका सेवानिवृत्ति सिर्फ 15 दिन ही बाकी थे तब कश्मीर सीमा पर एक शारीरिक परीक्षण के दौरान दिल का दौरा पड़ने से वे शहीद हो गए। वह अपनी 1 महीने की बेटी का चेहरा भी नहीं देख सके। उनकी विधवा पत्नी रेखाबेन आज भी उस दिन को याद कर रोती हैं। उन्होंने ने कहा कि, मेरे पति की मृत्यु 22 नवंबर 2008 को हो गई। मेरा बड़ा बेटा जयराज तब केवल चार साल का था, उसे अपने पिता का स्नेह मिला लेकिन बेटी जीनल का जन्म बमुश्किल एक महीने पहले हुआ था। मेरे पति, जिनकी आँखों में अपनी प्यारी बेटी को देखने के लिए बहुत सारी आशाएँ और सपने थे, परंतु अचानक हम सबको छोड़कर चले गए। बेटी के जन्म के 15 दिन बाद जब हमने उनसे बात की थी तो उन्होंने बेहद खुशी जाहिर करते हुए कहा कि बेटी के जन्म से परिवार पूरा हो गया है और कुछ दिनों बाद मैं घर आऊंगा और अपनी प्यारी बेटी के साथ खेलूंगा, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। कश्मीर में फिल्ड फिजिकल एफिशीन्यसी टेस्ट देते समय गिरने से वे शहीद हो गए। जब हमने पहले उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि जब 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था तब भी वे गए थे, इस पर उन्हें गर्व था। अब हमारे पास केवल उनकी देशभक्ति और देश सेवा की यादें हैं। सरकार द्वारा हर माह 12 हजार रुपये की पेंशन से दो बच्चों की पढ़ाई और परिवार का खर्च उठा रही हूं। मुझे गर्व है कि मेरे पति की देश सेवा को सरकार ने पहचाना और सम्मानित किया है।
विभिन्न क्षेत्रों में देश की रक्षा में सबसे आगे है बामटी गांव:- सरपंच
बामटी गांव के सरपंच विजयभाई पानेरिया ने कहा कि हमारा गांव देशभक्ति के रंग में रंगा हुआ है। बामटी गांव देश की रक्षा के लिए सेना, नौसेना, बीएसएफ, पुलिस समेत विभिन्न सेवाओं में सबसे आगे है। खुद हमें गर्व है कि अम्बेलाल भाई कश्मीर सीमा पर देश की रक्षा करते थे और उन्होंने कारगिल युद्ध में भी भाग लिया था।
शहीद सैनिक स्व. अंबेलालभाई का हाउस टैक्स आजीवन माफ:- तलाटी सह मंत्री
बामटी गांव के तलाटी सह मंत्री जयेंद्रभाई पटेल ने कहा कि अंबेलालभाई ने अपने जीवन का बहुमूल्य समय अपने परिवार के बजाय देश की सेवा में समर्पित किया और सेवानिवृत्ति के समय देश की सेवा करते हुए वे शहीद हो गए, जो उनकी देश के प्रति अगाध भक्ति को दर्शाता है। उनके बलिदानों को ध्यान में रखते हुए, उनके घर का 1000 रुपये वार्षिक हाऊस टैक्स ग्राम पंचायत द्वारा आजीवन माफ कर दिया गया है।