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प्रधानमंत्री जी की बात “नौकरी ढूंढने के बदले नौकरी देने वाले बनें” से प्रेरित होकर युवक ने शुरू किया स्टार्टअप

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से धरमपुर का शिक्षित बेरोजगार युवक बना आत्मनिर्भर, प्रतिमाह डेढ़ लाख से ज्यादा का कारोबार:-
स्टेट बैंक ऑफ कपराड़ा से मुद्रा योजना के अंतर्गत 4.80 लाख रुपए का लिया ऋण, जिसमें से 80 हजार रुपए की प्राप्त हुई सब्सिडी:-
प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के आह्वान के बाद, अब आदिवासी क्षेत्र के किसान भी कर रहे हैं डिजिटल भुगतान:-
स्टार मीडिया न्यूज, 
 वलसाड जिला। ग्रेजुएट व एग्रीकल्चर की डिग्री प्राप्त करने के बाद धरमपुर तालुका का आदिवासी युवक ने भी अन्य युवाओं की तरह सरकारी नौकरियों के लिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। प्रधानमंत्री के स्टार्टअप इंडिया अभियान व देश के युवा आत्मनिर्भर बने, इसके लिए प्रधानमंत्री द्वारा जो मुद्रा योजना शुरू की गई थी, उससे अवगत होने के बाद युवक ने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। यह विचार युवक के मन में कैसे आया और उसे साकार करने के लिए मुद्रा योजना उन्हें किस तरह उपयोगी साबित हुई ? तो आइए जानते हैं धरमपुर के काकड़कुवा गांव के दादरी बस्ती में रहने वाले 29 वर्षीय युवा लाभार्थी प्रदीपभाई बावनभाई पटेल के शब्दों में:-
बी. ए. पूरा करने के बाद वर्ष 2018 में एग्रीकल्चर इन डिप्लोमा की डिग्री मैंने हासिल किया। उसके बाद मैं वांकल गांव के कृषि केंद्र में 2 साल तक काम किया। लेकिन वेतन कम था इसलिए मैंने सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। कुछ वर्षों तक कुछ परीक्षाएं दीं लेकिन नंबर नहीं आया। क्योंकि, एक सरकारी नौकरी के लिए दस हजार से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में होते थे। इसी बीच मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी के स्टार्टअप अभियान के बारे में जानकारी मिली, जिसमें “नौकरी मांगने वालों के बजाय नौकरी देने वाले बनें” ने मुझे प्रेरित किया और मैं मन ही मन स्टार्टअप शुरू करने के बारे में सोचा। चूंकि हमारे क्षेत्र में कृषि अधिक मात्रा में होती है। इसलिए हमने कृषि से संबंधित उत्पाद शुरू करने का निर्णय लिया और 15 लाख की दुकान खरीदी। चूंकि जो बचत थी वह दुकान खरीदने में खर्च हो गई, इसलिए व्यवसाय शुरू करने के लिए मुझे पैसे की कमी होने लगी। उसी दौरान मेरे एक मित्र ने मुझे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बारे में जानकारी दी। उसके बाद कपराड़ा के भारतीय स्टेट बैंक हम गए और मुद्रा योजना के लिए आवेदन किया। आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बाद मुझे 4,80,000 का लोन स्वीकृत हुआ, जिसमें से 80 हजार रुपये की सब्सिडी मिली। और यह योजना मेरे स्टार्टअप की शुरुआत में मेरे लिए वरदान साबित हुई।
इस योजना का पल्स पॉइंट यह है कि इस योजना में ब्याज दर भी कम है। इसलिए कोई वित्तीय बोझ नहीं है। मारुति एग्रो सेंटर की शुरुआत मुद्रा योजना के तहत मिले लोन से हुई थी। जिसमें कृषि के लिए उपयोगी बीज और कीटनाशकों की बिक्री शुरू की। जिससे आसपास के गांवों के किसानों को अब धरमपुर, नानापोंधा या वलसाड जाने की जरूरत नहीं पड़ती है, सभी उत्पाद अब उनके दरवाजे पर उपलब्ध हैं। वर्तमान में प्रतिमाह 1 लाख से डेढ़ लाख रुपये का टर्नओवर हो रहा है, जिसमें से सारे खर्चे काटने के बाद 25 से 30 हजार की आमदनी हो रही है। अब आगामी दिनों में खाद की भी बिक्री शुरू कर यह टर्नओवर 5 लाख रुपए तक ले जाने की योजना है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के आह्वान पर ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए गूगल पे, फोन पे, पेटीएम के माध्यम से डिजिटल भुगतान करने या सीधे बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। आदिवासी किसान भी अब डिजिटल भुगतान कर खरीदारी कर रहे हैं। इस प्रकार, प्रधान मंत्री मुद्रा योजना मुझे आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए एक वरदान साबित हुई है। जिसके लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी को धन्यवाद देता हूं। और मैं अन्य बेरोजगार युवाओं से अनुरोध करता हूं कि वे सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं और आत्मनिर्भर बने। यहां यह उल्लेखनीय है कि धरमपुर के प्रदीपभाई पटेल जैसे कई युवा आज अपने कौशल और इनोवेशन से गुजरात-विकसित भारत के निर्माण में योगदान दे रहे हैं।
गांवों में एग्रो सेंटर शुरू करने से समय और पैसा दोनों की हो रही बचत:- किसान आशीष पटेल
धरमपुर के काकड़कुवा गांव के किसान आशीष पटेल ने कहा, ”पहले मैं अपने खेत में ककड़ी की खेती करता था और अब चोणी की खेती कर रहा हूं। पहले, चूंकि यहां कोई कृषि केंद्र नहीं था, इसलिए कृषि उपज खरीदने के लिए 6 किमी दूर धरमपुर या 10 किमी दूर नानापोंढ़ा जाना पड़ता था। लेकिन अब गांव में केंद्र खुलने से ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। इस केंद्र पर खरीदारी करने से समय और पैसा दोनों की बचत होती है क्योंकि छूट भी मिलती है।

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