जिला में साल भर में सर्पदंश के लगभग 1200 मामले आते हैं अस्पताल में इलाज के लिए :-
स्टार मीडिया न्यूज,
वलसाड जिला। वलसाड जिला का क्षेत्र विशेषकर धरमपुर और कपराडा तालुका जंगलों से घिरा हुआ है। वर्ष के दौरान सर्पदंश के लगभग 1200 मामले इलाज के लिए अस्पताल में आते हैं। ताकि रोगी को उचित उपचार मिल सके और जान बचाई जा सके। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, वलसाड जिला पंचायत की स्वास्थ्य शाखा द्वारा सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र और मेडिकल कॉलेज के कुल 63 चिकित्सा अधिकारियों के लिए सर्पदंश का इलाज कैसे करें और जहरीले और गैर विषैले सांपों की पहचान कैसे करें, इस पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें धरमपुर के साईनाथ अस्पताल के चिकित्सक एवं राज्य स्तरीय सर्पदंश प्रबंधन प्रशिक्षक सह सर्प अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष डाॅ. डीसी पटेल द्वारा जिला के चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया ।
स्वास्थ्य शाखा के हॉल में आयोजित इस सेमिनार में डाॅ. डी.सी.पटेल ने सर्पदंश से पीड़ित मरीज का इलाज कैसे करें, लक्षणों से निदान कैसे करें, एंटी-वेनम इंजेक्शन कितनी और कितनी बार दें, इस दौरान क्या सावधानी रखें, कृत्रिम श्वास नली से सांस कैसे लें, मेडिकल पीपीटी के माध्यम से अधिकारियों को समझाया। उन्होंने आगे बताया कि प्रत्येक सांप की पहचान कैसे करें और कहा कि इंसानों को काटने के लिए कोई भी सांप पृथ्वी पर पैदा नहीं हुआ है। जब सांप को डर लगता है तो वह खुद को बचाने के लिए काट लेता है। हालाँकि, साँप काटने से पहले चेतावनी की आवाज़ भी निकालता है। इसके अलावा डॉ. पटेल ने सर्पदंश से बचने की जानकारी भी दी। इस सेमिनार में प्रभारी मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विपुल गामीत एवं जिला महामारी नियंत्रण अधिकारी डाॅ. मनोज पटेल भी मौजूद रहे।