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Tuesday, Apr 30, 2024
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लगातार हो रहे आगजनी से सहमा वलसाड स्थित जीआईडीसी 

बड़ा सवाल ,

_आखिर किसकी है ये जिम्मेदारी , जीपीसीबी का रटा हुआ जवाब ” जांच है जारी

स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो, 
वापी / वलसाड । बीते कुछ दिनों से एशिया की मशहूर औद्योगिक क्षेत्र वापी में लगातार भीषण आगजनी की घटना निरंतर हो रही है। हालांकि किसी बहुत बड़े जान माल की हानि आधिकारिक आंकड़ों के तहत प्राप्त नहीं हुई है। लेकिन आस पास के विस्तारों में फैले मजदूरों और रहवासी क्षेत्रों में भय का माहौल है।
ताजा घटना की बात करें तो पिछले 24 घंटे में आगजनी की दो गंभीर घटनाएं सामने आ चुकी हैं। जिसमें टीवीएस मोटर साइकिल के शो रूम में आग लगने के कारण करोड़ों का नुकसान हुआ है , जो की काफी ज्यादा है। 12 दमकल की गाड़ियों के पहुंचने पर भी आग को काबू पाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
वहीं , 21 तारीख की रात में वापी के डूंगरा विस्तार में
पड़े भारी मात्रा में केमिकल वेस्ट के खाली ड्रम और प्लास्टिक की थैलियों में रात 3 बजे के आसपास अचानक आग लग गई। यह आग इतनी बिकराल थी कि बंगले के पीछे स्थित खुले मैदान और पतरे के शेड में रखे प्लास्टिक वेस्ट की खाली प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक ड्रमों को भी अपने चपेट में ले लिया ।
आग इतनी प्रचंड थी कि आस पड़ोस के घरों की खिडकिया तक जल गई। इस घटना की जानकारी वापी फायर बिग्रेड को होते ही फायर की गाड़ियां घटना स्थल पर आग बुजाने में लग गई और रात भर फायर की गाड़ियों ने आग बुजाने का काम किया। लेकिन 12 घण्टे से ज्यादा का समय लग जाने के बावजूद आग पर सम्पूर्ण नियन्त्रण नहीं पा सके।  जयेश भाई का भंगार का गोदाम डूंगरा में उसके बंगले के पीछे के भाग में है जो पूरा इलाका रेसिडेंशियल है। उस जगह पर केमिकल वेस्ट के खाली मैटेरियल का स्टॉक करने की परमिशन किसने दी पहला सवाल ये खड़ा होता है। दूसरा वहां के स्थानिक लोग इस डम्प को लेकर बहुत पहले से ही परेशान हैं। उस जगह पर छोटी बड़ी आग से पूरे इलाके में जहरीला और स्वास में तकलीफ वाला धुंआ फैला रहता है । लेकिन आरोपी अपना काम करते रहते हैं। आखिर इन पर किसका हाथ है ???? यह जांच का विषय है।
बता दें की फायर अधिनियम के मुताबिक कई तरह के कड़े प्रावधान हैं। लेकिन या तो उन कानूनों पर अमल नहीं किया जा रहा है या सरकारी अफसरों के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। आखिर किस तरह इन घटनाओं पर काबू पाया जाए , इसका तोड़ प्रशासन को निकालना पड़ेगा।
कुछ दिन पहले वापी की धागा कंपनी में आग लगने से करोड़ों का नुकसान हो गया था। सरीगाम जीआईडीसी स्थित वाल ऑर्गेनिक नाम की पेट्रोकेमिकल में भयानक आग लगी थी , जिसमें 3 मंजिला इमारत ध्वस्त हो गया था और  2 बड़े अधिकारियों की तड़के मौत हो गई थी। पेट्रोकेमिकल लीकेज होने के कारण गोदाम में उपयुक्त वेंटिलेशन न होने के कारण इतना बड़ा हादसा हुआ था। जिसमें जीपीसीबी ने समय रहते ऑडिट सही से किया होता तो ऐसे हादसों से बचा जा सकता था।
वहीं वापी जीआईडीसी में लगातार कबाड़ी के गोदामों में आग लगने की घटना सामने आ रही है। वापी जीआईडीसी में कबाड़ी के कारोबार में लिप्त 80% से अधिक लोगों के पास कोई भी लीगल लाइसेंस न होना , सरकारी भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। 2 दिन पहले हुए भीषण आगजनी में 10 कबाड़ के गोदाम बुरी तरह जल गए। राष्ट्रीय मीडिया ने इस खबर को जगह दिया था। आम तौर पर देखें
ऐसे स्क्रैप गोदामों के मालिक किसी भी प्रकार के अग्नि सुरक्षा उपकरण नहीं रखते हैं, ज्वलनशील पदार्थ और जहरीले रसायनों के ड्रम कंपनियों से लाए जाते हैं और उनके गोदामों में अवैध रूप से जमा होते हैं। जीपीसीबी और संबंधित अधिकारी ऐसे अवैध स्क्रैप के खिलाफ कार्रवाई केवल खानापूर्ति के लिए करते है , प्राप्त जानकारी के अनुसार इन गोदाम वालों से मोटी रकम हफ्ते के तौर पर जमा की जाती है। अधिकारी इस कदर बेखौफ हो चुके हैं की इस तरह के गोदाम रिहायशी इलाके के अंदर ही अनुमति प्रदान कर देते है। जिससे कई लोगों की जान और माल को खतरा होता है। नियमों के मुताबिक रासायनिक सामान GPCB द्वारा लाइसेंस प्राप्त स्क्रैप डीलरों द्वारा प्रदान किया जाना है, लेकिन वापी में ऐसे किसी नियम का पालन नहीं किया जाता है। अधिकारियों की लीपापोती के कारण कबाड़ी खुले आम मनमानी कर रहे हैं। भ्रष्टाचार की जड़ें किस हद तक जीआईडीसी में फैली है , ये तो जांच का विषय है। जीपीसीबी का दायित्व है जनता की उम्मीदों पर खरा उतर कर अपना दायित्व निर्वहन करें।

हर आगजनी पर केवल जांच जारी है कह कर अधिकारी पल्ला झाड़ लेते हैं, कभी कोई कड़ी कार्यवाही की खबर जनता तक नहीं सुनाई पड़ती । आखिर किन लोगों का शह इन उद्योग पतियों को प्राप्त है , जो की बड़ी बड़ी घटनाओं पर शांति से मामले को सुलझा लेते है। मृतक परिवारों को मुवावजे के रूप में क्या मिलता है , इसका भी कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं मिलता है। इस तरह की भयानक घटनाओं को गंभीरता से लेना पड़ेगा , आम आदमी की सुरक्षा का सवाल जुड़ा होने से मामला अति गंभीर श्रेणी में आता है।

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