राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर विशेष रिपोर्ट:- जिग्नेश सोलंकी द्वारा:-
वलसाड जिला में डेंगू का स्तर घटा, जो वर्ष 2022 में घटकर हुए मात्र 22 मामले, जबकि वर्ष 2019 में 345 मरीज थे:-
वलसाड जिला में 100685 घरों में मच्छरों की जांच किए जाने पर 8691 घरों में डेंगू के मच्छर पाए गए:-
डेंगू के इलाज के लिए कोई विशिष्ट दवा या टीका उपलब्ध नहीं है लेकिन इलाज ही एकमात्र उपाय है:-
स्टार मीडिया न्यूज
वलसाड। हर साल 16 मई को “राष्ट्रीय डेंगू दिवस” मच्छर जनित बीमारी और बुखार के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2023 में इस बीमारी के उन्मूलन के लिए “डेंगू को हराने के लिए साझेदारी का उपयोग करें” विषय के साथ एक अभियान शुरू किया है। डेंगू बुखार दर्दनाक होता है। सही इलाज न होने पर मौत का खतरा भी बढ़ सकता है। वलसाड जिला में पिछले 5 साल में 561 मरीज डेंगू बीमारी के शिकार हुए। हालांकि चालू वर्ष 2023 में मई माह तक डेंगू का एक भी मामला सामने नहीं आया है, जो जिला स्वास्थ्य व्यवस्था की सफलता को दर्शाता है।
डेंगू बुखार एक दर्दनाक और मच्छर जनित बीमारी है। एडीज प्रजाति के मच्छर से एक खास प्रजाति का मच्छर फैलता है। ये मच्छर मलेरिया वायरस वहन करते हैं जो मनुष्यों में मच्छर जनित बीमारी का कारण बनता है। पिछले 5 सालों में मच्छर जनित बुखार में डेंगू का प्रसार कम हो रहा है। हालांकि इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता होना बेहद जरूरी है। अक्सर लोगों को पता भी नहीं चलता कि यह बुखार संक्रामक और गंभीर है। डेंगू के लक्षणों में लगातार बुखार, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, थकान और घबराहट शामिल हैं, जो लंबे समय में हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए, जिला स्वास्थ्य प्रणाली घर-घर सर्वेक्षण करती है और लोगों को मच्छरों के प्रजनन के स्थानों का पता लगाने और भगाने के लिए जागरूक करती है।
वलसाड जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. वीरेन पटेल ने कहा कि मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. किरण पटेल एवं अपर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विपुल गामीत के मार्गदर्शन में जिले के पीएचसी. और स्थायी और अस्थायी प्रजनन स्थल जैसे टायर और स्क्रैपयार्ड, प्लास्टिक शेड, मैट और नर्सरी वहां यूपीएचसी कर्मचारियों द्वारा और साथ ही निर्माण स्थलों, आश्रयों, कुओं, नालियों और तालाबों का निरीक्षण किए जाते हैं। इसके अलावा घर-स्कूलों की भी जांच की जा रही है। जनवरी से अप्रैल 2023 तक जिले के 100685 घरों में मच्छरों की जांच करने पर 8691 घरों में डेंगू के मच्छर पाए गए। जिले में पीपला, कुंडा, टायर एवं फ्रीजर सहित 205469 पात्रों की जांच की गई, जिसमें से 9423 में मच्छर काटने वाले मिलने पर 7212 पात्रों में टेमीफॉस तरल मिला दिया गया। इसके अलावा 267 जगहों पर फोंगिग भी की गई। डेंगू बुखार से बचाव का प्राथमिक उपाय मच्छरों से बचना है।
डॉ. पटेल ने आगे कहा कि डेंगू बुखार के इलाज के लिए कोई विशिष्ट दवा या टीका उपलब्ध नहीं है। लेकिन लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। यदि बुखार अधिक है और स्थिति अधिक गंभीर है, तो डॉक्टर से निदान और रक्त परीक्षण करवाना आवश्यक है।
डेंगू को गंभीर क्यों माना जाता है ?
वलसाड के अतिरिक्त जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विपुल गामीत ने बताया कि यह बीमारी संक्रमित मादा मच्छर के काटने से होती है। जो रक्त में सफेद कोशिकाओं को खा जाता है। मानव शरीर में 4000 से 11000 सफेद कोशिकाएं होती हैं। यदि यह कण घटकर 1500 रह जाए तो मनुष्य के शरीर की त्वचा से रक्त निकलता है और मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है। इसलिए डेंगू की बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक कर मच्छर भगाने का अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा शिविर का आयोजन, पत्रक वितरण, पोरा प्रदर्शन एवं पोरभक्ष मत्स्य प्रदर्शन जैसे माध्यमों से इस रोग को फैलने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
डेंगू से बचाव के उपाय:-
ये मच्छर घर के आसपास निजी/सामूहिक भूखंडों में जलाशयों, पानी की टंकियों और केरबा, माटला, बाल्टी, हॉज जैसे भंडारण बर्तनों में पैदा होते हैं। इस प्रकार के जल भण्डारण यंत्र खुले न रहें इसके लिए इसे बंद करके ढक दें या कपड़े से बांध दें, जमा पानी को हर तीसरे दिन एक बर्तन से दूसरे बर्तन में छानकर निकाली हुई गांठों को नष्ट करें और मच्छर के अंडे को नाश करने के लिए बर्तन के तल को खूब घसकर साफ करें और पानी के बड़े हौज व टांकी में पोरा भक्षक मछली को स्वास्थ्य केंद्र से लाकर डालना अनिवार्य है।