वरिष्ठ समाजसेवी मुकेश वागरेचा ने नौ दिन की तपस्या द्वारा ज्ञान, दर्शन, चारित्र का पथ अपनाकर अपने आप का उद्धार किया:-
स्टार मीडिया न्यूज
कृष्ण मिश्र ” गौतम ”
वापी। शक्ति के सम्राट महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी ,नवम् अधिशास्ता साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभाजी के आशीर्वाद से वापी में जैन समाज के साधक मुकेश वाघरेचा ने पर्युषण व्रत के पारणा किया। ” बालक जब जन्म लेता है तभी वह श्रावक नहीं होता। श्रावक भी तब होता है जब वह अपने जीवन में ज्ञान , दर्शन और चारित्र का उपयोग करता है। लौकिक दिष्ट से तीन रत्न होते है अन्न, पानी और वचन लोकोत्तर दिष्ट से तीन रत्न होते है ज्ञान ,दर्शन और चारित्र । लेकिन चार चीजों के बिना हलवा नहीं बनता घी, आटा, पानी और शक्कर जब तक हल्वे में शक्कर नहीं होगा तो वह बेस्वाद लगता है , वैसे ही बिना तप के व्यक्ति का उद्धार संभव नहीं है। ”
आगे होने वाले कार्यक्रम की जानकारी दी जैसे 22 सितंबर को 900 बच्चे बच्चियों का फ्री सेमिनार , 25 सितंबर से 1 अक्टूबर तक रक्तदान शिविर का भव्य आयोजन होने वाला है ,जिसे वर्ल्ड गिनीज बुक में भी जगह मिल सकती है। मुकेश वागरेचा ने पर्युषण पर्व के दौरान वापी के मीरा बैंक्वेट हॉल में हुए कार्यक्रम में कहा।
राजस्थान के मेवाड़ से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ समाजसेवी और तपस्वी मुकेश वागरेचा के पिता सागरमल वागरेचा ने कहा कि उनके पुत्र ने नौ दिन की तपस्या कर कर्मों की निर्जरा कर अपनी आत्मा को उज्जवल बनाया। उन्होंने इस तपस्या द्वारा ज्ञान, दर्शन, चारित्र का पथ अपनाकर अपने आप का उद्धार किया। सैंकड़ों अनुयायियों और जैन समाज के प्रबुद्धजनों की उपस्थिति में हुए आयोजन में अपनी मधुर संगीत से गायिका अभिलाषा बांठिया ने पूरे माहौल को खुशनुमा बना दिया वहीं ” तकदीर वाले हैं वो जो मां की करें भक्ति ” और “दुनिया में पापा से बड़ा कोई और नही देखा ” गाने से पूरे हॉल को करुणामय कर दिया ।
पूरे आयोजन में सागरमलज हीरालालजी, रतनदेवी , जीतेश वागरेचा ,करुणा वागरेचा, टीना मुकेश वागरेचा , ममता महावीर डागलिया , डिम्पल तरुण लोढ़ा, सानीया , हिरव , गुनिष्का, सिद्धी, कुनिक , दर्शन, ध्रुव, शुभ एवं धीया समेत परिवार एवम समाज के प्रतिष्ठित लोग उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि वापी की मामलतदार कल्पना मैडम की उपस्थिति रही साथ में राजेश दुग्गड , भिकमजी बैद , रमेशजी कोठारी , रमेशजी जैन इत्यादि लोग उपस्थित रहे।
बता दें कि 19 सितंबर 2023 से दिगंबर जैन धर्म के लोगों का पर्यूषण पर्व शुरु हो चुका है. आत्मा शुद्धि का ये पर्व दस दिन तक चलता है. इस दौरान ईर्ष्या, कलह, विवाद, अहंकार से दूर तप और त्याग किया जाता है। जैन समुदाय के लिए पर्युषण पर्व बहुत महत्व रखता है। जैन धर्म के अनुयायियों के लिए यह महापर्व है।