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जौनपुर निवासी फल विक्रेता की बेटी ऐश्वर्या बनी रजत पदक विजेता

11 साल की उम्र में मैराथन प्रतियोगिता से शुरू किया करियर:-
दिवाली से पहले परिवार को मिला तोहफा, माता-पिता को ओलंपिक में गोल्ड मेडल की उम्मीद:-
स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो,
मुंबई। दहिसर पूर्व स्थित धारखाडी जैसे स्लम क्षेत्र में फल बेच कर बेटी के सपनों को पंख देने वाले कैलाश मिश्रा को इन दिनों लगातार बधाई संदेश मिल रहे हैं। उनकी बेटी ऐश्वर्या मिश्रा ने एशियाई खेलों में गत बुधवार को महिलाओं की 4×400 मीटर रिले स्पर्धा में भारत को रजत पदक दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत की विथ्या, एश्वर्या, प्राची और सुभा की टीम ने देश को रजत पदक दिलाकर भारत वासियों का सम्मान बढ़ाया है। एश्वर्या मिश्रा के माता-पिता का कहना है कि बेटी ने दिवाली से पहले बड़ा तोहफा दिया है। कैलाश मिश्रा बताते है कि बेटी का जन्म और पालन-पोषण मुंबई में हुआ है। मेरी एक छोटी सी फल की दुकान है जो हमारी घरेलू आय का प्राथमिक स्रोत है. रजत पदक विजेता मझली बच्ची है। 11 साल की उम्र में ऐश्वर्या ने मुंबई में मैराथन प्रतियोगिता से करियर की शुरुआत की थी और कई पुरस्कार भी जीती। इसके बाद कांदिवली स्थित साईं स्पोट्स एकादमी दाखिला कराया। कोच सुमित सिंह के मार्गदर्शन में ऐश्वर्या को ट्रेनिंग मिल रही थी। पहले 4×800 मीटर की दौड़ के लिए ट्रेनिंग दी जा रही थी, लेकिन 4×800 मीटर की दौड़ में ऐश्वर्या को सफलता नहीं मिली तो कोच ने 4×400 मीटर की दौड़ के लिए तैयार किया। मुंबई विश्वविद्यालय में आयोजित 4×400 मीटर की दौड़ प्रतियोगिता में पहली बार गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद राज्य स्तर पर कई मेडल ऐश्वर्या ने अपने नाम किए। 12 से 26 जुलाई 2023 को थाईलैंड में आयोजित एशियन चैपिंयनशिप में 4×400 मीटर रिले प्रतियोगिता में 2 कांस्य और एक गोल्ड मेडल ऐश्वर्या ने अपने नाम किया था। परिजनों को इस बात का दु:ख है कि बेटी ने कई बार पदक जीत चुकी है और राज्य सरकार की तरफ से बेटी को किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिल रहा है।
बेटी की कामयाबी के पीछे माता-पिता की कठोर तपस्या:-
देश को रजत पदक दिलाने वाली महिला टीम की हिस्सा ऐश्वर्या मिश्रा आज भी दहिसर पूर्व स्थित मिश्रा कपांउड जैसे स्लम क्षेत्र में 10×10 के रूम में रहती है। उनके पिता कैलाश मिश्रा और माता आशा मिश्रा ने बेटी को एथलीट बनाने में बहुत कड़ी तपस्या की हैं। ऐश्वर्या मिश्रा को बचपन से ही दौड़ने का शौक था और मुंबई मैराथन प्रतियोगिता में भाग लेकर कई पुरस्कार जीत चुकी थीं। माता-पिता बेटी की प्रतिभा को देखते हुए कांदिवली स्थित साईं स्पोट्स एकादमी में दाखिला कराया। वे रोज सुबह 4 बजे बेटी को छोड़ने के लिए साईं स्पोट्स एकादमी जाते थे और फिर बोरिवली में फल मार्केट से फल खरीदते थे। फिर उसे बेचने का काम करते थे। बेटी को एथलीट बनाने के लिए कई लोगों ने उनका मजाक भी उड़ाया था। परंतु वे अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने में ईमानदारी से लगे रहे। एशियाई खेलों में बेटी ऐश्वर्या की टीम ने रजत पदक जीत कर देश का नाम रोशन किया तो कैलाश मिश्रा की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए।
यूपी के जौनपुर जिले से अटूट रिश्ता:-
मुंबई के दहिसर इलाके में फल विक्रेता का काम करने वाले कैलाश मिश्रा मूल रूप से पूर्वांचल के जौनपुर जिले से है। इसी जिले में मड़ियाहूं तहसील के सुरेरी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले सुल्तानपुर गांव से ऐश्वर्या का अटूट रिश्ता है। बचपन में ऐश्वर्या अपने माता-पिता और भाईयों के साथ सुल्तानपुर गांव में आती रही हैं।
33 माह बाद घर लौटेंगी बेटी:-
कैलाश मिश्रा बताते है कि बेटी 33 माह से लगातार खेल की तैयारी कर रही थी। जब बेटी घर लौटेंगी तो लोग स्वागत की तैयारी भी कर रहे है। ऐश्वर्या संभवत: 10 अक्टूबर को देश लौटेंगी। मिश्रा बताते है कि महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह फोन पर परिजनों को बधाई के संदेश दिया है। बेटी की सफलता के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी शुभकामनाएं दी हैं।

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