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Saturday, Apr 27, 2024
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प्राकृतिक कृषि जन अभियान में मातृशक्ति को जोड़कर गुजरात एक नई क्रांति करेगा:- राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत

नवसारी में आयोजित किया गया प्राकृतिक कृषि महिला सम्मेलन:-
स्टार मीडिया न्यूज,
रविंद्र अग्रवाल 
नवसारी। गुजरात की महिलाओं ने पशुपालन और सहकारी गतिविधि के माध्यम से अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, जबकि गुजरात राज्य प्राकृतिक कृषि के जन आंदोलन में मातृशक्ति को जोड़कर एक नई क्रांति लाएगा। राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी ने रविवार को नवसारी के टाटा मेमोरियल हॉल में प्रकृति कृषि महिला सम्मेलन में भाग लेते हुए नवसारी, वलसाड, तापी और डांग जिलों की महिला किसानों से सीधा संवाद करते हुए कहा कि कृषि और किसानों की समृद्धि के साथ आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए प्राकृतिक कृषि को अपनाना जरूरी है।  उन्होंने जैविक खेती करने वाले किसानों से अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनने का अनुरोध करते हुए कहा कि गुजरात के मेहनती किसान जैविक खेती कर देश के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे।
राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रतजी गुजरात नेचुरल फार्मिंग साइंस यूनिवर्सिटी, हालोल (कैंप-आनंद), वलसाड जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ लिमिटेड, अलीपुर (वसुधारा) और नेशनल काउंसिल फॉर क्लाइमेट चेंज, सस्टेनेबल डेवलपमेंट एण्ड पब्लिक लीडरशिप अहमदाबाद के संयुक्त पहल पर आयोजित प्राकृतिक कृषि महिला सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि  प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने देश के किसानों को समृद्ध एवं कृषि को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक कदम उठाये हैं। इतना ही नहीं उन्होंने देशभर के किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने का आह्वान किया है।
आज पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से जूझ रहा है। राज्यपाल ने कहा कि विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के पीछे रासायनिक कृषि का बड़ा योगदान है। जैविक खेती से रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम होगा जिससे सब्सिडी पर खर्च होने वाला पैसा बचेगा। जंगल में पेड़-पौधों को कोई खाद या कीटनाशक नहीं दिया जाता है, बल्कि वे बढ़ते और विकसित होते हैं, जंगल में पेड़-पौधों को उगाने के प्राकृतिक नियम वही हैं, जो खेत में खेती करने से प्राकृतिक कृषि होती है।
राज्यपालश्री ने प्राकृतिक कृषि को किसानों की समृद्धि के लिए वरदान बताया और इस कृषि पद्धति के सिद्धांतों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि में देशी गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक ग्राम देशी गाय के गोबर में 300 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं। गौमूत्र खनिजों का भण्डार है। जिसके भाग रूप में बनते बीजामृत से बीज को संस्कारित किया जाता है। देशी गाय के गोबर, गोमूत्र, बेसन, गुड़ और मिट्टी के मिश्रण से बने जैव-ठोस पदार्थों के रूप में तैयार किया जाता है। जो प्राकृतिक खाद की तरह काम करता है। मिट्टी को कृषि अवशेषों से ढकना – इस विधि में मल्चिंग विधि भी महत्वपूर्ण है। मल्चिंग मिट्टी को उच्च तापमान से बचाती है। मिट्टी में नमी की मात्रा बनी रहती है। अतः इस विधि से पचास प्रतिशत पानी की बचत होती है। ज़मीन को ढकने से केंचुए जैसे मित्रवत प्राणियों को दिन में काम करने का वातावरण मिलता है। पृथ्वी और आकाश में कार्बनिक कार्बन का संतुलन बनाए रखकर विश्व के सभी जीवित प्राणियों को ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से बचाया जा सकता है। रासायनिक कृषि की लागत लगातार बढ़ती जा रही है और उत्पादन में गिरावट आई है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है।
राज्यपाल ने रासायनिक कृषि के हानिकारक प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए प्राकृतिक कृषि को एक सशक्त विकल्प माना तथा उपस्थित महिला कृषकों को कृषि में प्रयोग होने वाले रासायनिक उर्वरकों एवं विषैले कीटनाशकों का त्याग कर प्राकृतिक कृषि अपनाने का संकल्प दिलाया। जैविक खेती करने वाले किसान आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ जीवन शैली के साथ-साथ स्वच्छ हवा, पानी, मिट्टी और जलवायु प्रदान करने का पवित्र कार्य कर रहे हैं। राज्यपाल ने रसायनों का त्याग कर पूर्णतः विषमुक्त खेती का भी आह्वान किया। राज्यपाल ने गुजरात में साढ़े आठ लाख किसानों के प्राकृतिक कृषि से जुड़ने का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य सरकार के उत्साहवर्धक प्रयासों से गुजरात के प्राकृतिक कृषि आंदोलन को नई ताकत मिली है।
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल के हाथों महिलाओं को सम्मानित किया गया। जिला पंचायत अध्यक्ष परेशभाई देसाई, जिला कलेक्टर अमित प्रकाश यादव, जिला विकास अधिकारी पुष्पलता, गुजरात प्राकृतिक खेती विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. सी. के. टिम्बडिया, नवसारी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. जेड. पी. पटेल, राज्य समन्वयक प्रफुल्लभाई सेंजलिया, डाॅ. ए.आर. पाठक, पूर्व चांसलर, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय, डाॅ. कीरीट शेलट, वसुधारा डेयरी के अध्यक्ष गमनभाई पटेल, पदाधिकारी, अधिकारी और बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं।

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