पद्मविभूषित जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज जी ने की भविष्यवाणी, अयोध्या में राम मंदिर के बाद अब मथुरा-काशी की है बारी:-
श्यामजी मिश्रा
मुंबई। मुंबई उपनगर के मालाड पूर्व स्थित कुरार विलेज के बुआ साल्वी मैदान में भाजपा नगरसेवक विनोद मिश्रा के नेतृत्व में नव ऊर्जा फाउंडेशन व मानस परिवार द्वारा आयोजित श्री राम कथा का अमृत वर्षा पद्मविभूषित जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज द्वारा किया जा रहा है । गोरेगांव पूर्व स्थित ओबेरॉय एस्कवायर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया गया था। जिसमें पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि अयोध्या में 500 साल के संघर्ष के बाद प्रभु श्री राम अपने मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं, जो 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस समारोह में देशभर के साधु-संत पहुंचेंगे।
इस बीच पद्मविभूषित जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने श्रीराम मंदिर बनवाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया है। साथ ही साथ उन्होंने श्रीराम मंदिर बनने पर सुखद समय बताया है। रामभद्राचार्य जी का कहना है कि राम मंदिर का निर्माण उतना ही सुखदायक होगा, जितना जब श्रीराम अयोध्या आए थे। प्राण-प्रतिष्ठा समारोह अगले साल 22 जनवरी को होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे।उन्होंने बताया कि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में उन्हें बुलाया गया है और उन्हें निमंत्रण मिल गया है और वह जाएंगे। जगतगुरु ने कहा कि केंद्र सरकार ने हमारी सहायता की है। उन्होंने उदाहरण पेश करते हुए कहा कि जब तीन नदियां मिलती हैं तब प्रयागराज में संगम बनता है। हमने आंदोलन किया, संतों ने भी आंदोलन किया है, केंद्र ने सहायता की, इस तरह संगम का संजोग बना था और श्रीराम मंदिर के हित में फैसला आ गया। अब इस समारोह के लिए तैयारियां तेजी से चल रही हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का काम पूरा हो गया है, अब काशी और मथुरा बाकी है। अगर कोर्ट आदेश देगा तो हम काशी-मथुरा लेकर रहेंगे। कोर्ट के आदेश का मुस्लिम समाज विरोध भी करेगा तो उनके पैगंबर को काशी-मथुरा मंदिर की जमीन वापस लौटानी पड़ेगी। महाराज ने भविष्यवाणी करते हुए दावा किया कि मथुरा और काशी मंदिर का फैसला हिंदुओं के पक्ष में ही आने वाला है।
उन्होंने वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण पर कहा कि यह भी अयोध्या जैसा ही मामला है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि होने के अदालत में हमने 440 साक्ष्य पेश किए थे, इनमें से 437 स्पष्ट साक्ष्य थे। इन्हीं साक्ष्यों की वजह से इस प्रकरण की दिशा बदल गई। उन्होंने कहा कि जब हम पढ़ते थे, तब कहा जाता था कि काशी ज्ञानव्यापी का जो कुआं है, उसकी एक बूंद पी लेने से व्यक्ति विश्व का सबसे बड़ा विद्धान बन जाता है। हमने भी उसका जल पीया है। वहां 12 फुट 4 इंच का जो शिवलिंग मिला है, वह कोई फव्वारा नहीं है। महाराज ने कहा कि मुगलों के जमाने में सनातन संस्कृति का बहुत अपमान किया गया। इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता। यह सच्चाई मुस्लिम भी जानते हैं, इसलिए उन्हें हिंदुओं को पूजा स्थल सम्मान के साथ लौटा देना चाहिए।
मुलायम सिंह यादव ने हिन्दुओं का बहाया खून और कांग्रेस ने चलाये डंडे :-
जगतगुरु रामभद्राचार्य जी ने कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी को कोई ज्ञान नहीं है। उन्होंने पत्र लिखकर कहा था कि भगवान श्रीराम हैं ही नहीं। विपक्ष को पहले नहीं समझ आया, क्योंकि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने हिंदुओं का खून बहाया और कांग्रेस ने डंडे चलवाए ? राजीव गांधी के ताला खुलवाने से क्या होता है। हमें तो मंदिर चाहिए था, वो लॉलीपॉप था।
जगतगुरु रामभद्राचार्य जी ने बाला साहेब ठाकरे की जमकर तारीफ:–
जगतगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे की जमकर तारीफ की, जबकि उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि हम बालासाहेब ठाकरे का सम्मान करते हैं, वे हमेशा हिंदुओं के हित की बात करते थे। मैं भी उनके काम से प्रभावित था। अगर उद्धव ठाकरे कहते हैं कि वे अयोध्या जाएंगे तो उन्हें जाने दीजिए, उन्होंने सब चौपट कर दिया है। जगतगुरु रामभद्राचार्य जी ने पीएम मोदी को लेकर भविष्यवाणी की है कि 2024 में वहीं प्रधानमंत्री बनेंगे।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सर्वे कराने का अदालती आदेश स्वागत योग्य:-
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मस्जिद विवाद पर सर्वे कराने के अदालती आदेश का महाराज ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि छह महीने में सर्वे करने का अदालत का आदेश क्रांतिकारी कदम है। इससे श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि काशी, मथुरा और अयोध्या हिंदुओं के प्राण हैं। ये तीनों ही स्थान मुसलमानों को भी उदारवादी होकर दे देना चाहिए। महाराज ने यह भी कहा कि भारत के मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे। उन्हें अपने पूर्वजों की आस्था और उनकी भावना का भी सम्मान करना चाहिए। इससे प्रेम भाव बढ़ेगा और समस्त विवादों का अंत होगा।