अपने गुजरात प्रवास के दौरान वाराणसी में अपनी शिक्षा दीक्षा प्राप्त कर मुंबई महानगर में अध्यात्म का परचम लहराने वाले भागवत भास्कर पूज्य श्रीकांत जी महाराज का विशेष साक्षात्कार स्टार मीडिया न्यूज द्वारा लिया गया , प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश , जिसमे उन्होंने धर्म , अध्यात्म और कर्मकांड पर अपने विचार वक्तव्य किए।
👉 प्रश्न:- रामचरित मानस के खिलाफ जो षड्यंत्र चल रहा है ,आप इसे कैसे देखते हैं??
रामचरित मानस जैसे पवित्र ग्रंथ की प्रतियां जलाने वाले हिंदू नहीं हो सकते। केवल सनातन का सहारा लेकर वोट बैंक की राजनीति करने का काम कर रहे हैं , परिणाम तो अवश्य मिलेगा , ईश्वर के घर देर है , अंधेर नही। ईश्वर ऐसे लोगों को सद्बुद्धि दें। फिलहाल वर्तमान सरकार इस पर अपनी नजर बनाए हुए हैं।
👉युवा पीढ़ी लगातार पाश्चात्य संस्कृति के प्रति आकर्षित हो रहा है , इसपर आपका क्या मत है ??
युवा पीढ़ी पिछले कुछ वर्षों में सनातन की ओर लौट रहा है। सनातन का झंडा लगातार बुलंद हो रहा है। इसमें कोई इंकार नही किया जा सकता है की सारे सुधार गए। लेकिन जिस तरह से जगद्गुरु ,शंकराचार्य ,पीठाधीश्वर ,संत समाज , कथा वाचक और अध्यात्म धर्म गुरु सभी सनातन का झंडा बुलंद करने में लगे है, वो दिन दूर नही की सनातन में लोगों की होड़ सी मच जाएगी।
👉शिव रुद्राभिषेक करते समय किन विशेष बातो का ध्यान देना चाहिए ??
शिव रुद्राभिषेक भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने वाला एक साधन मंत्र है , जिससे भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न हो कर सभी कष्ट हर लेते हैं। रुद्राभिषेक करने से पहले शिव वास योग क विशेष ध्यान रखना चाहिए।
महामृत्युञ्जय इत्यादि के हवन के लिए भी यदि शिव वास देखा जाये तो बहुत उत्तम माना गया है ।शिव वास उस गतिविधि को कहते हैं जिसमें भगवान शिव समय की चलन में शामिल हो। रुद्र अभिषेक शुभ शिव वास के दौरान किया जाता है।
👉मंत्र और सिद्धि के बारे में लोगों में संशय बना रहता है , इस पर आपकी क्या राय है ???
मंत्र का शब्दार्थ है “मन को फल तक तारने का साधन”। मन के संकल्प को फल में बदल दे उसे मंत्र कहते हैं। उसकी विधि को तन्त्र कहते हैं। उसके उपकरण को यंत्र कहते हैं।
सिद्धि का अर्थ है मंत्र का प्रयोग करने की क्षमता। समस्त पाशों से मन की मुक्ति गायत्री की सिद्धि देती है। अन्य मंत्रों की सिद्धि का अर्थ है केवल उन पाशों से मुक्ति जो उस मंत्र के प्रयोग को बाधित करते हैं। हरेक मंत्र बाधित रहता है ताकि कुपात्र द्वारा दुरुपयोग न हो।
सावित्री की सिद्धि का निकटतम उपाय है गायत्री की सिद्धि, किन्तु गायत्री की सिद्धि असम्प्रज्ञात समाधि हेतु ही करनी चाहिये वरना क्षति होगी। गायत्री का भावार्थ ही है समाधि। किसी भी मंत्र का फल मंत्र के भावार्थ पर निर्भर करता है। किन्तु विपरीत पाठ अर्थात् वैदिक−वाममार्ग पर यह नियम लागू नहीं है। मंत्र वही श्रेष्ठ है जो स्वाभाविक रूप से मन को भाये। मंत्र की सिद्धि हो रही है या नहीं यह स्वतः पता चल जाता है। सात्विक रहन−सहन नहीं हो और पूरी ईमानदारी एवं लगन से जप−तप न करें तो अनगिनत जन्मों में भी सिद्धि नहीं मिलेगी।
👉मनुष्य जीवन के लिए कोई संदेश ???
जिस जीव में मन का सचेत उपयोग करने की क्षमता हो उसे “मनुष्य” कहते हैं। मन का सर्वात्तम उपयोग यही है कि मन को बाधित करने वाली समस्त बाधाओं को उत्तरोत्तर तोड़े और मुक्ति पा लें। बड़े कष्टों को भोगने के उपरान्त लगभग आधी बाधाओं के हटने पर जीव को मानवयोनि प्राप्त होती है। बची−खुची बाधाओं को तोड़ने में मानवजन्म का सदुपयोग करें।
युवा पीढ़ी को आप क्या संदेश देना चाहेंगे ???
हम ” वसुधैव कुटुंबकम् ” पर विश्व रखने वाले लोग हैं, सनातन विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति और धर्म है । आज का दौर आधुनिकता और डिजिटल है , युवा को आधुनिकता और डिजिटलीकरण के साथ अपने धर्म और संस्कृति के बारे में जानना और समझना चाहिए। भारत अपनी इसी महत्ता के कारण विश्वगुरु था , आज के युवाओं को अपनी विरासत के बारे में स्वयं के साथ दुनिया के लोगों को खुल कर बताना चाहिए। ताकि पूरी दुनिया में सनातन का झंडा बुलंद हो सके और विश्व गुरु बन सके। युवा शक्ति में बहुत तेज होता है , इसका उपयोग देश हित , सनातन हित मे करें। विश्व का कल्याण होगा।