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वलसाड जिला में धान की फसल में पत्ती सूखना एवं पत्ती झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु दिये गये सुझाव

स्टार मीडिया न्यूज ब्यूरो, 
वलसाड। वलसाड जिला के किसानों ने मानसून सीजन के दौरान धान की फसल में बीमारियों और कीटों के एकीकृत नियंत्रण के लिए आवश्यक उपाय करने को कहा है। बुआई के बाद ध्यान रखने योग्य बातें जैसे, रोपाई किए गए धान में रोग लगने पर पत्तियों का मुरझाना, यदि संभव हो तो रोगग्रस्त पौधों को तुरंत उखाड़कर जला देना, यह सुनिश्चित करना कि रोगग्रस्त खेत का पानी आसपास के खेत में न जाए, नाइट्रोजन का प्रयोग कर रोग पर नियंत्रण रखें। फिर रोग प्रकट होते ही या फूट स्टेज पूरी होने पर तथा मुरझाने के समय 0.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन + 10 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को 20 लीटर पानी में मिश्रण बनाकर स्प्रे करें।
धान में करमोडी रोग दिखाई देते ही ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें। नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग बंद करें और स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 6 मिलीलीटर प्रति 1 लीटर की दर से दो छिड़काव करें। पहला छिड़काव रोग की शुरुआत में तथा दूसरा छिड़काव अंकुर फूटने की अवस्था से शुरू करके 10 दिनों के अंतराल पर प्रोपिकोनाज़ोल 25 टका ईसी औषधि 10 मि.ली. या ट्राइफ्लक्सिस्ट्रोबिन 25 + टेबुकोनाज़ोल 50 (75 वेटेबल ग्रेन्यूल्स) 4 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के मिश्रण का छिड़काव करें। जिस क्षेत्र में ध्वज पत्ती अवस्था में जहां हर साल फॉल्स एंगारियो रोग होता है। मिश्रण को प्रति 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें तथा दूधिया दाने आने की अवस्था पर दूसरा छिड़काव करें।

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