
माँ विश्वंभरी तीर्थ यात्रा धाम भवसागर को पार करने, यानी मोक्ष प्राप्त करने के लिए एक अच्छा प्रकाशस्तंभ रहा है:-

श्यामजी मिश्रा
वलसाड। दीपावली व नववर्ष के अवसर पर सुप्रसिद्ध माँ विश्वंभरी के दर्शन करने के लिए वलसाड के राबड़ा गांव में स्थित सुप्रसिद्ध माँ विश्वंभरी तीर्थ यात्रा धाम में पिछले कुछ दिनों से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। हरी भरी प्राकृतिक सुंदरता के बीच पार नदी के तट पर स्थित इस दिव्य धाम में असंख्य लोगों को माँ विश्वंभरी के चैतन्य रूप के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है । इस धाम में दिव्य संदेश “अन्धविश्वास छोड़ घर लौटकर घर को ही मंदिर बनाओ” के साथ-साथ तीन चरणों की मूल भक्ति की श्रद्धालुओं को प्रेरणा मिल रही है।

इसके साथ ही कर्तव्यकर्म, कर्मभक्ति, कर्मयोगी, आज न केवल भारत में ही बल्कि विदेशों में भी अनगिनत लोग अपने घर को ही मंदिर बनाकर सात्विक शक्ति की आराधना कर रहे हैं। इसी तरह भारत में भी लोग अपने घर को मंदिर बनाकर सात्विक शक्ति की पूजा कर रहे हैं। इस धाम में गीर गाय की आदर्श गोशाला से प्रेरणा लेकर आज लोग अपने ही घर के आंगन में गायों का पालन-पोषण कर रहे हैं। साथ ही इस जगह की साफ-सफाई और शालीनता को देखकर लोगों ने भी अपने जीवन में स्वच्छता और शालीनता का पालन करने लगे हैं। इस तीर्थ यात्रा धाम में जीने की सच्ची कला सीखकर अनगिनत लोगों का जीवन बदल दिया है। ऐसे लोग अपने ही घर में वास्तविक शांति और स्वर्ग का अनुभव करने लगे हैं।

वैसे देखा जाये तो माँ विश्वंभरी तीर्थ यात्रा धाम में हमेशा श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां आने वाले सभी छोटे-बड़े दर्शनार्थियों को इस प्राकृतिक वातावरण में बहुत शांति और आनंद की अनुभूति होती है। इस धाम में अलौकिक पाठशाला (मंदिर) में माँ विश्वंभरी माता, हिमालय में शिवलिंग, गोकुलधाम में श्रीकृष्ण द्वारा उठाया गया गोवर्धन पर्वत, नंदबाबा की कुटिया, वैकुंठधाम (आदर्श गौशाला) में गीर गाय तथा पंचवटी में श्रीराम और सीतामाता के दर्शन कर भक्तगण धन्य महसूस कर रहे हैं। श्रद्धा के साथ सत्य को स्वीकार कराने जहाँ स्वयं माँ विश्वंभरी चैतन्य स्वरूप विराजमान हैं। ऐसे धाम की अद्भुत संरचना वास्तव में पृथ्वी पर स्वर्ग का एहसास कराती है और जीवन में सच्ची शांति और खुशी प्राप्त होती है।

यह तीर्थ यात्रा धाम पूरे विश्व के लिए परमतत्व-माँ विश्वंभरी का दिव्य संदेश है: – “अंधविश्वास त्याग कर घर लौटो और घर को ही मंदिर बनाओ”, मूलभूत भक्ति के राह को बताया गया है और बिना किसी जाति, ऊंच-नीच, पुरुष-महिला या अमीर-गरीब के भेदभाव के वगैर सनातन वैदिक धर्म की राह व सत्य-असत्य के भेद को बताया गया है। यह दिव्य धाम भवसागर को पार करने अर्थात मोक्ष प्राप्ति के लिए पूरे विश्व में यह दिव्य धाम एक अच्छा प्रकाशस्तंभ रहा है। इस अलौकिक धाम में ज्ञान, भक्ति और कर्म का त्रिवेणी संगम हुआ है जो देखने को मिल रहा है। इस धाम के विशाल परिसर में चारों ओर स्वच्छता से ” जहाँ स्वच्छता वहां प्रभुता” के प्रचलित कहावत को चरितार्थ करती है।
