राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने श्रीमद् राजचंद्र मिशन द्वारा नवनिर्मित राजसभागृह का किया उद्घाटन:-
श्यामजी मिश्रा
वलसाड जिला। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने वलसाड जिला के धरमपुर में श्रीमद् राजचंद्र मिशन द्वारा श्री धरमपुर तीर्थक्षेत्र में नवनिर्मित सत्संग और ध्यान परिसर ‘राज सभागृह’ का उद्घाटन किया।
राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रतजी की उपस्थिति में आयोजित समारोह में धर्मनिष्ठ अनुयायियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी भी श्रीमद् राजचंद्रजी के व्यापक धार्मिक ज्ञान और चरित्र की ताकत से प्रभावित थे और उन्होंने आध्यात्मिक गुरु के रूप में जीवन भर श्रीमद् राजचंद्रजी के जीवन आदर्शों का पालन किया।
राष्ट्रपति ने जैन समुदाय की प्रशंसा करते हुए कहा कि जैन शब्द का मूल ‘जिन’ शब्द से है, जिसका अर्थ विजेता होता है। विजेता वह है जिसने अनंत ज्ञान प्राप्त कर लिया है और जो दूसरों को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है। तीर्थंकर ही मनुष्य को भवसागर से पार लगाने में सहायता करते हैं। सभी 24 जैन तीर्थंकरों ने मानवता का मार्ग दिखाया है। जिसके माध्यम से व्यक्ति जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति पाता है, करुणा और दया की भावना पैदा करता है और मानव जाति को जीने का सही अर्थ समझाता है। इसीलिए सम्यक ज्ञान, सम्यक श्रद्धा और सम्यक आचरण ही जैन धर्म का सार है।
श्रीमद राजचंद्र मिशन ने आदिवासी इलाकों में धर्म के साथ सामाजिक दायित्व व सेवा की भी लौ जलाई है:- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि पू. गुरुदेव श्री राकेशभाई के अथक प्रयासों से श्रीमद् राजचंद्र मिशन ने अंदरूनी आदिवासी इलाकों में धर्म के साथ-साथ सामाजिक दायित्व के साथ सेवा की लौ जलाई है। उन्होंने यह भावना व्यक्त करते हुए कहा कि वनवासियों की भूमि धरमपुर में स्थित यह तीर्थ धार्मिक चेतना का केंद्र बन गया है। राष्ट्रपति ने संगठन की सेवा गतिविधियों की सराहना की और विचार व्यक्त किया कि संगठन की सेवा गतिविधियों से देश के लाखों अनुयायियों का जीवन को बदलने में एक प्रकाशस्तंभ बन गई हैं।
राष्ट्रपति ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलकर आधुनिक विकास हासिल करना संभव है। उन्होंने कहा कि श्रीमद राजचंद्र मिशन-धरमपुर दुनिया भर में 200 से अधिक स्थानों पर सक्रिय है। इस मिशन के माध्यम से आत्म-ज्ञान के मार्ग को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि सत्य और अहिंसा, जीवदया और धर्म के मूल्यों का जन-जन तक प्रसार होगा और एक शांतिपूर्ण, उन्नत और खुशहाल राष्ट्र का निर्माण होगा। सद्गुण भारत के कण-कण में हैं। जानवरों के प्रति दया 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का मानव जाति के लिए संदेश है। जहां महावीरजी के अहिंसा के मार्ग पर चलकर आत्मज्ञान प्राप्त करना बहुत आसान है, वहीं पू. गुरुदेव राकेशजी ने भगवान महावीर के पदचिन्हों पर चलकर सेवा और मानवता की लौ जलाने का सराहनीय कार्य किया है। राष्ट्रपति ने यह भावना व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने श्रीमद् राजचन्द्रजी के विचारों को केन्द्र में रखकर नई पीढ़ी को ज्ञान-विज्ञान के साथ-साथ धर्म की ओर मोड़कर ईश्वरीय कार्य किया है। राष्ट्रपति ने श्री राकेशजी को सामाजिक समरसता एवं आध्यात्मिक उन्नति का वाहक बनने की शुभकामनाएँ दीं।
भारत प्राचीन काल से आध्यात्मिक परंपरा को जीवित रखने वाला देश रहा है:- राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी
शाश्वत ज्ञान और आध्यात्मिक ऊर्जा के केंद्र धरमपुर तीर्थ क्षेत्र में राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए राज्यपाल ने कहा कि भारत अनादि काल से आध्यात्मिक परंपराओं को जीवित रखने वाला देश रहा है। भारतीय संस्कृति प्राचीन काल से ही सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अखंडता, सहिष्णुता, करुणा और मानवता की प्रतीक रही है। सत्य अहिंसा परमोधर्म का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने इसके महत्व को समझाया और कहा कि जो धर्म हिंसा और अहिंसा दोनों के साथ टिक सकता है और जो नहीं टिक सकता वह अधर्म है, इसी प्रकार सत्य और असत्य दोनों को एक साथ व्यवहार में लाने से सत्य जीवित रहेगा और झूठ की पराकाष्ठा उड़ जायेगी। जीवसेवा और मानवसेवा समाज में हर किसी के जीवन का हिस्सा होना चाहिए, यह प्रेरक आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर जन्म लेने वाले सभी लोगों की मृत्यु निश्चित है, लेकिन जो अपने जीवनकाल में परोपकार व जनकल्याणकारी भावना से मानव सेवा करते हैं, वे अमरत्व प्राप्त करते हैं। राज्यपाल ने गुरुदेव राकेशजी के जन कल्याण के प्रयास और दरिद्र नारायण की सेवा को सराहनीय बताते हुए राजचंद्र मिशन ने जाति, पाति, धर्म और बाड़ेबंदी की जगह संपूर्ण सृष्टि के हित को मंत्र बनाया है।
“तो ही ईश्वर प्रसन्न होंगे” ध्यान एवं सत्संग सिरीज, क्षमा ध्यान पुस्तिका एवं विज्युवल सिरीज का विमोचन:-
श्रीमद राजचंद्र मिशन के उपाध्यक्ष पू. आत्मार्पित नेमीजी ने संगठन की सेवा और साधना, अध्यात्म और समाज सेवा के समन्वय से राजचंद्र मिशन की गतिविधियों का वर्णन करते हुए राष्ट्रपति और राज्यपाल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि किसी राष्ट्रपति ने धरमपुर तालुका का दौरा किया है और उन्होंने ने देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मूजी को महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण बताया। वहीं शैक्षणिक गतिविधि की जानकारी संस्थान के संदीपभाई प्रेसवाला ने दी। इस अवसर पर पू. गुरुदेव श्री राकेशजी, ट्रस्टियों एवं आदिवासी महिलाओं ने राष्ट्रपति एवं राज्यपाल का शॉल, स्मृति चिन्ह एवं कलात्मक चित्र भेंट कर स्वागत किया। वहीं आदिवासी युवाओं, बच्चों ने पारंपरिक आदिवासी नृत्य प्रस्तुत कर सभी का दिल जीता।
इस दौरान श्रीमद राजचंद्र मिशन सेंटर फॉर एक्सीलेंस में कार्यरत 250 बहनों ने राष्ट्रपति को स्वनिर्मित आभूषण, भरत गूंथन की साड़ी और पौष्टिक भोजन की टोकरी भेंट की। पूज्य गुरुदेव द्वारा स्मृति चिन्ह के रूप में राष्ट्रपति को पवित्र पुस्तकों की एक पुस्तिका भेंट की गई। कार्यक्रम में राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी ने “तो ही ईश्वर प्रसन्न होंगे” ध्यान एवं सत्संग सिरीज, क्षमा ध्यान पुस्तिका एवं विज्युवल सिरीज का विमोचन किया। जिसका पहला सेट राष्ट्रपति को उपहार स्वरूप दिया गया। इस मौके पर सभी ने साधना एवं सेवाकार्य पर बनी डाक्यूमेंट्री फिल्म देखी। इस कार्यक्रम में जनजातीय विकास एवं शिक्षा मंत्री श्री डॉ. कुबेरभाई डिंडोर, उद्योग एवं सहकारिता राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा, जिलाधिकारी आयुष ओक, श्रीमद राजचंद्र मिशन के अध्यक्ष अभयभाई जसाणी, महेशभाई खोखानी एवं देश विदेश से आये अनुयायी उपस्थित थे।
सेंटर फॉर वूमेन एक्सेलेंसी की बहनों ने हाथ से बनी कलात्मक वस्तुएं राष्ट्रपति को उपहार दिया:-
श्रीमद् राजचंद्र मिशन द्वारा संचालित सेंटर फॉर वूमेन एक्सेलेंसी में वर्तमान में 250 बहनों को महिला सशक्तिकरण की दिशा में स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से उत्थान और आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इन प्रशिक्षु बहनों द्वारा हाथ से बनाई गई कलाकृतियाँ, व्यंजन, ध्यान आसन, हार, आभूषण और साड़ियाँ राष्ट्रपति को स्मृति चिन्ह के रूप में उपहार में दी गईं। जो उनके लिए एक यादगार स्मारिका होगी।